2008-09 के जैसे मुश्किल समय में एफडी, लिक्विड इन्वेस्टमेंट और गोल्ड ही हमें ट्रेड करने में फाइनेंशियल सपोर्ट करेगा।
क्या केवल इक्विटी मार्किट में निवेश करना सही वित्तीय निर्णय है?
उपरोक्त प्रश्न- इक्विटी मार्किट में निवेश करना सही वित्तीय निर्णय है ? इसका का स्पष्ट उत्तर – “नहीं” होना चाहिए, केवल इसीलिए क्योंकि किसी अकेले एसेट वर्ग में अपनी पूरी सेविंग निवेशित करना बहुत अधिक जोखिम होगा׀
यह जोखिम भरा है क्योंकि इक्विटी मार्किट उतार- चढाव के अधीन है׀
जबकि ऐतिहासिक रूप से इक्विटी मार्किट ने एक एसेट वर्ग के रूप में अन्य एसेट वर्गों/क्लासों की तुलना में अधिक रिटर्न दिया है, परन्तु हमने यह भी देखा है की लोगों ने इक्विटी मार्किट में बहुत बड़ी रकम गवाई भी है׀
उदाहरण के लिए, 2008-09 के वित्तीय संकट के समय शेयर बाज़ारों में लगभग 50% की गिरावट देखी गयी थी. यदि आपका उस समय कोई लक्ष्य परिपक्व हो रहा था और आपने उस लक्ष्य के लिए इक्विटी मार्किट में निवेश किया था, तो आपने अपनी महत्वपूर्ण पूँजी गवाई होगी׀
डाइवर्सिफिकेशन
डाइवर्सिफिकेशन आपके निवेशों को एक से अधिक एसेट वर्गों में भाग करता है जिससे आपकी पूँजी हानि कम हो सके׀
डाइवर्सिफिकेशन के लिए कोई भी व्यक्ति पीपीएफ, एनएससी, एफडी, सरकारी बॉन्ड, इत्यादि जैसे सुरक्षित निवेश उपकरणों में निवेश करने के बारे में सोच सकता है׀
पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन लाने से हम अपने पोर्टफोलियो से जो रिटर्न चाहते है तथा जो जोखिम हम उठाते है, इनके बीच संतुलन बनाने में मदद मिलेगी׀
मार्केट एक्सपर्ट्स द्वारा पूर्ण फंडामेंटल एनालिसिस कोर्स के साथ इक्विटी मार्केट के बारे में अधिक जानें
हालांकि यहाँ थंब रूल्स है, एसेट एलोकेशन व्यक्तिगत जरूरतों पर आधारित होना चाहिए׀
एसेट एलोकेशन थंब रूल्स
एसेट एलोकेशन का निर्णय करने के लिए आयु एक महत्वपूर्ण कारक है׀
‘100 में से आपकी आयु को घटाना’ इक्विटी एलोकेशन में उपयोग होने वाला सामान्य थंब रूल है׀
इसका अर्थ है कम आयु के निवेशकों का अधिक इक्विटी एलोकेशन होना चाहिए (उदाहरण के लिए, निवेशक लिक्विडिटी जोखिम के प्रकार जिनकी आयु 25 व 35 वर्ष है, इनके इक्विटी एलोकेशन क्रमशः 75% व 65% होना चाहिए), जबकि अधिक आयु के लोगों/निवेशकों का इक्विटी एलोकेशन कम होना चाहिए׀
कम उम्र वाले लोगों के पास निवेश करने के लिए अधिक समय होता है और अधिक समय के लिए निवेश करके शेयर मार्केट के उतार – चढ़ाव का सामना करने के बावजूद अधिक रिटर्न के टारगेट को आसानी से पा सकते हैं।
2. जोखिम लेने की क्षमता:
जोखिम सहन करने की इच्छा ही जोखिम लेने की क्षमता है׀ जोखिमों के बारे में तथा निवेश के प्रकारों के बारे में जानना आवश्यक है׀
इक्विटी बाज़ार बहुत कम समय में तेजी से निचे जा सकता है, लेकिन जैसा की हमने देखा है यह अच्छी तरह से रिकवर भी हो जाता है׀
हालांकि डेब्ट फण्ड कम रिटर्न देते है, लेकिन इनकी स्थिरता की वजह से यह हमारे पोर्टफोलियो में होना आवश्यक है׀
3-6 महीनों के खर्चों के लिए एक आपातकालीन राशि/कोष बनाने के लिए, किसी को लिक्विड फण्ड और एफडी में निवेश करना चाहिए׀ लिक्विड निवेश हमारी आपातकालीन समय में जैसे मेडिकल इमरजेंसी या नौकरी छूट जाने के समय मदद करेगा׀
मार्केट रिस्क क्या होता है, निवेश में कितने तरह के होते हैं जोखिम? यहां मिलेगी पूरी जानकारी
- Vijay Parmar
- Publish Date - September 30, 2021 / 11:07 AM IST
Pixabay - निवेशक को यह पता होना चाहिए कि 'मार्केट' में किसी भी तरह की सिक्यॉरिटी के साथ हमेशा एक निश्चित जोखिम मौजूद होता है.
Market Risk in Mutual Fund: आखिर क्यों बार-बार ये कहा जाता है और हमारे सुनने में आता है कि म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिम के अधीन हैं? ये बाजार जोखिम (Market Risk) क्या हैं? एक जानकार और स्मार्ट निवेशक अपने निवेश से पहले सारी इंफॉर्मेशन कलेक्ट करता है और अपनी सिक्योरिटी की कीमत निर्धारित करने के लिए सभी प्रकार का होमवर्क करता है, फिर भी याद रखें कि अंततः तो मार्केट ही कीमत तय करता है. हरेक निवेशक को ये पता होना चाहिए कि ‘मार्केट’ में किसी भी तरह की सिक्योरिटी के साथ हमेशा एक निश्चित जोखिम मौजूद होता है. आपको ये भी पता होना चाहिए कि म्यूचुअल फंड इस जोखिम को यथासंभव कम करने के लिए ही डिजाइन किए गए हैं.
क्या है मार्केट रिस्क
म्यूचुअल फंड द्वारा विभिन्न सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता हैं और सिक्योरिटीज की प्रकृति फंड के उद्देश्य पर निर्भर करती है.
उदाहरण के लिए, एक इक्विटी या ग्रोथ फंड द्वारा विभिन्न कंपनी के शेयरों में निवेश किया जाता हैं, वहीं लिक्विड फंड द्वारा सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉडिट (CoD) और कमर्शियल पेपर (CP) में निवेश किया जाता है.
हालांकि, इन सभी सिक्योरिटीज का कारोबार मार्केट में किया जाता है. जैसे कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से खरीदे और बेचे जाते हैं, जो कैपिटल मार्केट का हिस्सा है.
इसी तरह, सरकारी प्रतिभूतियों जैसे ऋण उपकरणों में स्टॉक एक्सचेंज में एक मंच के माध्यम से या एनडीएस नामक विशेष प्रणालियों के माध्यम से कारोबार किया जा सकता है.
ये प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने के लिए बाजारों के रूप में काम करते हैं और खरीदार और विक्रेता में काफी विविधता होती है. यानी, खरीदने और बेचने की पूरी प्रक्रिया, और मूल्य निर्धारण ‘मार्केट’ द्वारा किया जाता है.
मार्केट की दिशा का अनुमान लगाना मुश्किल
किसी भी सिक्योरिटी की कीमत ‘मार्केट फॉर्स’ पर निर्भर होती है और बाजार किसी भी समाचार या गतिविधि के आधार पर अपनी दिशा तय करता है, इसलिए मार्केट की दिशा का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता लिक्विडिटी जोखिम के प्रकार है, शॉर्ट-टर्म के लिए किसी शेयर या सिक्यॉरिटी की कीमत की भविष्यवाणी करना असंभव है. मार्केट कि दिशा को प्रभावित करने में बहुत सारे कारक और खिलाड़ी हैं.
कंसंट्रेशन रिस्कः किसी एक सेक्टर या एक स्टॉक या एक एसेट में पूरा पैसा लगाने से ये रिस्क बढ़ जाता है.
उपायः कंसंट्रेशन रिस्क से दूर रहने के लिए आपको डाइवर्सिफिकेशन का हथियार आजमाना चाहिए.
इंटरेस्ट रेट और इंफ्लेशन रिस्कः साइलेंट किलर कहा जाने वाला ये रिस्क आपके निवेश के मूल्य पर प्रभाव डालता है. आपके रिटर्न के मुकाबले इंफ्लेशन की दर ज्यादा हो, तो आपको नेगेटिव रिटर्न मिलता हैं और नुकसान होता है.
समझदारी से लें फैसला, कुछ खास टिप्स अपनाकर आप सुरक्षित कर सकते हैं अपना जीवन
Updated Oct 19, 2022 | 05:40 PM IST
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समझदारी से लें फैसला, कुछ खास टिप्स अपनाकर आप सुरक्षित कर सकते हैं अपना जीवन
- अपने अर्जित धन को इस तरह लिक्विडिटी जोखिम के प्रकार उपयोग एवं निवेश करें जिससे बुढ़ापे में किसी पर निर्भर न होना पड़े।
- निवेश जरूरी है, लेकिन कब निवेश करना और कब बाहर आना यह समझना भी जरूरी।
- मौदूदा समय में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं। आपको सोच समझकर की निर्णय लेना चाहिए।
Top 5 Small Saving Sachems: 5 कम जोखिम वाले निवेश के विकल्प, जो आपको आपको दे सकते हैं एफडी से बेहतर रिटर्न
Top 5 Small Saving Sachems: बाजार में निवेश के कई ऐसे विकल्प मौजूद हैं जो आपको एफडी बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। (फोटो: Freepik)
Top 5 Small Saving Sachems: निवेश किसी भी व्यक्ति के भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए बेहद जरूरी होता है। निवेश के जरिए ही कोई व्यक्ति अपने लॉन्ग टर्म लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, लेकिन निवेश करते समय जोखिम का भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जिससे हम बाजार के उतार- चढ़ाव के बीच भी अच्छे रिटर्न कमा सकें। आज हम आपको पांच ऐसे निवेश योजनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें आप बैंक एफडी जितने ही कम जोखिम में अधिक रिटर्न हासिल कर सकते हैं।
नए फाइनेंसियल ईयर में ना दोहराएं पुरानी गलतियां, इन ऑप्शन्स में करें निवेश, कमाई में 100 फीसदी तक का होगा इजाफा
सिर्फ अमीर बनने की चाहत रखने से कोई अमीर नहीं बन सकता ना ही घर बैठे बैठे मोटा कमाया जा सकता है। लेकिन अगर थोड़ी समझ हो तो आप बस थोड़ा सा इन्वेस्ट करके अच्छी रकम जमा कर सकते है। यहां हम आपको बेहतरीन तरीके बताएंगे जिसकी मदद से आप अपनी आमदनी में काफी हिजाफा कर सकते हैं।
फिक्सड इनकम (डेट फंड)
फिक्सड इनकम को डेट फंड भी कहते हैं। यह एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है। डेट फंड स्टेबल, लिक्विड और टैक्स देनदारी के लिए एक अच्छा ऑपशन है। इसमें अधिकतर लोग पसंद निवेश करना पसंद करते हैं। इसमें निवेशकों का पैसा डेट इंस्ट्रूमेंट में लगाया जाता है। बता दें कि कॉल मनी, बॉन्ड, डिबेंचर्स, सरकारी सिक्योरिटीज, डिपॉजिट सर्टिफिकेट और कमर्शियल पेपर को डेट इंस्ट्रूमेंट कहते हैं। इसे आप अपनी जरूरतों के हिसाब से चुन सकते हैं। यह 1-15 दिन से लेकर 5-10 साल (long term Bond funds) तक होता है।
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