Mutual Fund SIP: अगर कोई SIP रुक जाये, तो उसे दोबारा शुरू करना चाहिए या नयी SIP चलानी चाहिए? -हर्षद चेतनवाला
अब ये समझ में नहीं आ रहा है कि नयी एसआईपी करें या पुरानी को दोबारा शुरू करना सही रहेगा। ऐसे हालात से आम निवेशक अक्सर जूझते हैं। आप भी इस सवाल का जवाब पाना चाहते हैं तो यह वीडियो जरूर देखें। माईवेल्थग्रोथ.कॉम के सह संस्थापक हर्षद चेतनवाला के साथ बातचीत कर रहे हैं निवेश मंथन के संपादक राजीव रंजन झा।
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SEBI: वायदा कारोबार में बेचैनी क्यों, जानिए क्या है मामला
हम जानते हैं कि गेहूं और धान का बड़ा उत्पादन और स्टाक होने तथा सरसों और सोयाबीन का अच्छा उत्पादन होने के बावजूद इनकी कीमतों में आग लग गई थी और थोक महंगाई दर तो पंद्रह फीसदी तक बढ़ गई थी। तेल तो हम आयात ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? ही करते हैं और उसकी कीमतें बढ़ाने का असर सारे खाद्य तेलों पर पड़ा।
Haryana News Post : Sebi extends suspension of derivatives trade in 7 agri commodities for 1 year: अरविन्द मोहन: सेबी (SEBI) द्वारा सात चीजों के वायदा कारोबार पर रोक की अवधि समाप्त होने की तारीख जैसे जैसे पास आ रही थी कमोडिटी पार्टीसिपेंट्स एसोसिएशन आफ इंडिया(Commodity Participants Association of India (CPAI) की तरफ से प्रतिबंध उठाने का दबाव बढ़ता जा रहा था।
और यह अच्छा हुआ की कीमतों में साफ कमी और महंगाई का शोर काम होने के बावजूग सेबी (SEBI) ने रोक को साल भर और बढ़ा दिया है। इसके बाद भी ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? एसोसिएशन के लोग दबाव बनाए हुए हैं और रोक से बाजार ही नहीं खेती को नुकसान का दावा किया जा रहा है। सेबी ने बासमती के अलावा बाकी धान, गेहू, चना, सोयाबीन, कच्चा पाम आयल और सरसों तथा उसके अन्य उत्पादों के कारोबार पर रोक लगाई है।
हम जानते हैं कि गेहूं और धान का बड़ा उत्पादन और स्टाक होने तथा सरसों और सोयाबीन का अच्छा उत्पादन होने के बावजूद इनकी कीमतों में आग लग गई थी और थोक महंगाई दर तो पंद्रह फीसदी तक बढ़ गई थी। तेल तो हम आयात ही करते हैं और उसकी कीमतें बढ़ाने का असर सारे खाद्य तेलों पर पड़ा। और अगर एसोसिएशन की दलील मानी जाए तो आज तेलहन और दलहन के की उत्पादों की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे आ चुकी है। जाहिर है कि सरकार और सेबी का फैसला सही साबित हुआ है और इस फैसले का असर हुआ है। एसोसिएशन के लोग अपनी कमाई को लेकर बेचैन हैं।
उनके इस तर्क पर सेबी ने भरोसा नहीं किया कि वायदा कारोबार कीमतों को स्थिरता देता है जिससे किसान और उपभोक्ताओं, दोनों का लाभ होता है। उनका दावा यह भी है कि हेजींग जैसे उपकरणों के माध्यम से वायदा कारोबार के व्यापारी और निवेशकों का धन खेती में लगता है। सेबी को इसके प्रमाण नहीं ही मिले होंगे तभी उसने अपने फैसले को आगे बढ़ाया।
यह पहली बार है कि इस तरह का प्रतिबंध लगा है और बढ़ाया गया है वरना हर बार की महंगाई के समय वायदा कारोबार की भूमिका पर सवाल उठते ही थे। अंगरेजी हुकूमत के समय ही हमारे यहां दुनिया में सबसे पहले वायदा कारोबार शुरू हुआ था.
लेकिन बहुत खराब अनुभव होने के चलते इसे बंद कर दिया गया था. सिर्फ सोने-चांदी/सर्राफा के वायदा कारोबार को चलाने दिया गया था और उससे भी कीमतों में किसी तरह की स्थिरता आने का मसाला विवादों में ही रहा। उसे भी वायदा की जगह सटटा बाजार ही कहा जाता है। और यह विवाद है कि वायदा कारोबारी जो मुनाफा कमाते हैं उसका बोझ अंतत: आम ग्राहक पर आता है या उसे कीमतों की स्थिरता से कोई लाभ मिलता है।
कृषि उत्पादों का वायदा कारोबार जब उदारीकरण के दौर में खोला गया तब भी इस सवाल पर विवाद था। अर्थशास्त्री और वायदा कारोबार के सबसे बड़े जानकार कमल नयन काबरा की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस सवाल पर विचार किया था और कारोबार शुरू न करने की सलाह दी थी। लेकिन कमेटी के सलाह को उलटकर तत्कालीन खाद्य प्रसंस्करण मंत्री शरद यादव ने यह फैसला किया था।
बाजार में निवेश का धंधा भी तभी आसमान पर जाने लगा था। देखते-देखते वायदा कारोबार में निवेशकों की संख्या शेयर बाजार के निवेशकों से ऊपर चली गई और कारोबार का हिसाब लाखों करोड़ में पहुँचने लगा। सर्राफा के वायदा के लिए तो एक दो फीसदी रकम जमा कराने का प्रावधान है जिसके चलते उसमें हाथ आजमाने वालों को मोटी रकम भी साथ रखनी होती है। लेकिन कमोडिटी बाजार में तो सिर्फ हवाई या मुँहामुँही सौदा होता है। न एक ग्राम माल लेना होता है न देना और नया सेटलमेंट करके आप अपना मुनाफा निकाल लेते हैं या घाटे की भरपाई कर देते हैं। इसमें उस्ताद खिलाड़ी तो कमा लेते हैं लेकिन नौसिखुआ लोग पिटते हैं।
इस कर्मकांड से किसानों और ग्राहकों का किस तरह लाभ होता है यह चीज भारतीय वायदा कारोबार से समझ नहीं आती क्योंकि यहां पेट्रोलियम पदार्थ तक का सौदा किया जाता है जबकि बाजार में एक ग्राम पेट्रोलियम भी खुले तौर पर उपलब्ध नहीं है। लगभग यही हाल पाम आयल का है जो देश में पैदा ही नहीं होता था। अब थोड़ा बहुत पैदा होने लगा है तो वह माल भी बाजार में नहीं आता। सबसे ज्यादा सौदे वाली चीजों में ग्वार और ग्वार गम है जो असल ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? में क्या चीज है देश के बहुत काम लोगों को पता होगा।
अमेरिका के तेल उत्पादन काम में और पशु चारे वाली इस चीज से राजस्थान के कुछ छोटे कारोबारी मालामाल हुए हैं लेकिन किसानों के लाभ के किस्से कम सुनाई देते हैं। और सौदे का फरेब यह है कि ग्वार ही नहीं कहना, सरसों, मूंगफली और जीरा जैसी चीजों के सौदे इस देश में उनके कुल उत्पादन से पचास से सौ गुना ज्यादा तक होते हैं। जाहिर तौर पर जब बिक्री वाला और खरीदार दोनों जानते हैं कि कोई न तो माल लेगा न कोई देगा तो जुबानी सौदा चलता है और ज्यादा लोभ में फँसकर अपनी पूंजी गँवाने वाले ग्राहक का इंतजार किया जाता है।
इस धंधे से कहीं किसानों का लाभ हुआ हो या आम ग्राहक के लिए कीमतों में फरक आया हों यह सुनाई और दिखाई नहीं देता। जिस ग्वार की चर्चा ऊपर हुई है उसके तो उत्पादक भी बहुत हैं और अमेरिका जैसे बाजार में वास्तविक मांग भी है। तब भी सारा मुनाफा बिचौलिए और वायदा कारोबारी हड़पते हैं, किसान को कुछ खास नहीं मिलता। आंकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ इन छह वस्तुओं के सौदे बाजार ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? का 54 फीसदी हुआ करते थे और अकेले चना का सौदा सबसे ज्यादा वजन बनाता था।
प्रतिबंध के पहले रोजाना औसत 2310 करोड़ का सौदा होता था जो गिरकर 960 करोड़ हों गया। वायदा कारोबारी इस प्रतिबंध में आगे का ‘खतरा’ भी देख रहे हैं क्योंकि अगर इस बार के प्रतिबंध से कीमतों को थामने में मदद मिली है तो कहीं प्रतिबंध पूरा ही न लगा दिया जाए। अगर बीस साल के अनुबहव के बाद सरकार और सेबी यह नतीजा निकालें तो शुभ ही होगा। लेकिन एक बार विदा होकर यह धंधा अगर वापस आया है तो उसके पीछे बैठे सूत्रधार भी काम ताकतवर नहीं होंगे।
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जो कोई स्टॉक मार्केट में ट्रेड कर रहा है, उसे पता है कि अमरिका की भूमिका, अमेरिका में मंदी आने का डर, युक्रेन युद्ध से जुड़ी भू- राजकीय उथलपुथल, चीन का फिर से खुलना और उससे जुड़ी जोखिम आदि के कारण हाल के समय में मार्केट में बहुत अस्थिरता है।
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Share Market Opening : तेज बढ़त से सेंसेक्स 60 हजार पार, इन शेयरों में तेजी
मुंबई. भारतीय शेयर बाजार (Share Market) ने पिछले सप्ताह के चार सत्रों से जारी गिरावट के सिलसिले को आज तोड़ दिया है और बाजार ने दमदार वापसी की है. सेंसेक्स एक बार फिर 60 के ऊपर ट्रेडिंग करने लगा जबकि निफ्टी 17,900 का आंकड़ा पार कर लिया है. पिछले सप्ताह लगातार गिरावट से सेंसेक्स में करीब 2,000 अंकों का नुकसान हुआ था.
सेंसेक्स आज सुबह 90 अंकों के नुकसान के साथ 59,755 ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? पर खुला और ट्रेडिंग की शुरुआत हुई, जबकि निफ्टी 23 अंक चढ़कर 17,830 पर खुला और कारोबार शुरू हुआ. आज ग्लोबल मार्केट से भी पॉजिटिव संकेत मिल रहे थे, जिससे निवेशकों का उत्साह बढ़ा और बाजार खुलने के बाद उन्होंने खरीदारी पर जोर दिया. सुबह 9.32 बजे सेंसेक्स 344 अंकों की तेजी के साथ 60,190 पर ट्रेडिंग करने लगा, जबकि निफ्टी 95 अंक चढ़कर 17,901 पर पहुंच गया.
आज इन शेयरों में तेजी
निवेशकों ने आज शुरुआत से ही Divis Labs, Cipla, Power Grid Corp, Sun Pharma और ONGC जैसी कंपनियों पर दांव लगाया और लगातार निवेश से ये स्टॉक टॉप गेनर की सूची में आ गए. दूसरी ओर, Asian Paints, Bajaj Finance, Adani Ports, Tata Consumer Products और Maruti Suzuki जैसे स्टॉक लगातार बिकवाली से टॉप लूजर की श्रेणी में चले गए.
किस सेक्टर ने बनाई बढ़त
आज के कारोबार को सेक्टरवार देखें तो सिर्फ ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? निफ्टी फार्मा ही लाल निशान पर कारोबार कर रहे हैं, जबकि अन्य सभी सेक्टर्स में आज तेजी दिख रही है. मेटल, पीएसयू बैंक और रियल्टी इंडेक्स में आज 1 फीसदी तक उछाल है. आज के कारोबार में निफ्टी स्मॉलकैप 100 और मिडकैप 100 पर 1 फीसदी का उछाल दिख रहा है.
एशियाई बाजारों का मिलाजुला रुख
एशिया के शेयर बाजारों पर कोरोना का असर साफ दिख रहा है. सोमवार सुबह कई एक्सचेंज हरे निशान पर तो कुछ लाल निशान पर कारोबार कर रहे थे. सिंगापुर स्टॉक ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? एक्सचेंज पर आज सुबह 0.15 फीसदी की तेजी दिख रही तो जापान के निक्केई पर 0.40 फीसदी का उछाल है. इसके अलावा ताइवान के बाजार में 0.05 फीसदी की तेजी है, लेकिन दक्षिण कोरिया का कॉस्पी 0.27 फीसदी की गिरावट पर कारोबार कर रहा है. चीन का शंघाई कंपोजिट भी 0.08 फीसदी की तेजी पर कारोबार कर रहा है.
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