भारत की थल सीमा से जुड़े देशों से आने वाले FDI के लिये सरकार की अनुमति को अनिवार्य बनाए जाने के बाद, FPI की जाँच में वृद्धि के सेबी के निर्देश से, COVID-19 महामारी के दौरान, भारतीय कंपनियों के कम मूल्य पर अधिग्रहण के प्रयासों पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी। साथ ही इन प्रावधानों से भारतीय बाज़ार में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप की बेहतर निगरानी भी की जा सकेगी। परंतु निवेश संबंधी नियमों में सख्ती से चीन के साथ अन्य देशों से आने वाले विदेशी निवेश में कमी आ सकती है अतः सेबी को जल्द ही निवेशकों के बीच इन प्रावधानों को स्पष्ट करना चाहिये जिससे आवश्यक कानूनी प्रक्रिया को अपनाते हुए विदेशी निवेश को जारी रखा जा सके।
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हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) ने विदेशी निवेश से जुड़े संरक्षक बैंकों को चीन से आने वाले विदेशी निवेश की निगरानी में वृद्धि करने को कहा है। सेबी ने भारतीय कंपनियों में चीनी नागरिकों या संस्थाओं के निवेश को रोकने के लिये ये निर्देश जारी किये हैं।
- सेबी ने संरक्षक बैंकों से चीन और हाॅन्गकाॅन्ग के साथ 11 अन्य एशियाई देशों से भारतीय कंपनियों में किये गए ‘विदेशी पोर्टफोलियो निवेश’ (Foreign Portfolio Investment- FPI) का विवरण मांगा है।
- निवेश के क्षेत्र में संरक्षक बैंक या कस्टोडियन बैंक (Custodian Bank) से आशय उन वित्तीय संस्थाओं से है, जो चोरी या धोखाधड़ी जैसे नुकसानों को कम करने के लिये ग्राहक की प्रतिभूतियों को सुरक्षित रखने निवेश की निगरानी का कार्य करती हैं।
- कस्टोडियन बैंक प्रतिभूतियों और अन्य संपत्तियों को इलेक्ट्रॉनिक या भौतिक रूप में सुरक्षित रखता है।
- स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, स्टेट स्ट्रीट बैंक एंड ट्रस्ट और स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, आदि भारतीय कस्टोडियन बैंक के कुछ उदाहरण हैं।
FPI पर सेबी की सख्ती का कारण:
- COVID-19 की महामारी तथा इसके प्रसार के नियंत्रण हेतु लागू लॉकडाउन के कारण देश में व्यावसायिक गतिविधियों में कमी आई है जिससे कई कंपनियों के शेयर की कीमतों में काफी गिरावट हुई है।
- ध्यातव्य है कि हाल ही में भारत सरकार ने COVID-19 के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक दबाव के बीच भारतीय कंपनियों के ‘ अवसरवादी अधिग्रहण’ (Opportunistic Takeovers/Acquisitions) को रोकने के लिये भारत की थल सीमा से जुड़े देशों से FDI हेतु सरकार की अनुमति को अनिवार्य कर दिया था।
- सेबी द्वारा FPI के तहत विदेशी निवेश की जाँच करने का उद्देश्य सरकार द्वारा भारतीय कंपनियों के ‘अवसरवादी अधिग्रहण’ को रोकने की पहल को मज़बूत करना है।
- वर्तमान में पोर्टफोलियो निवेश के संदर्भ में किसी विशेष प्रतिबंध के अभाव में चीनी संस्थाएँ भारतीय कंपनियों में 10% तक शेयर खरीद सकती है।
- पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कंपनियों में चीन से होने वाले निवेश में भारी वृद्धि हुई है, वर्तमान में चीन के 16 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत में पंजीकृत हैं और इनका शीर्ष भारतीय स्टॉक में निवेश लगभग 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है।
- गौरतलब है कि FDI का विनियमन वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) द्वारा और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का विनियमन सेबी द्वारा किया जाता है।
लाभ:
- वर्तमान में COVID-19 की चुनौती के दौरान FPI की निगरानी के संदर्भ में सेबी की पहल से भारतीय कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण की गतिविधियों को रोकने में सहायता प्राप्त होगी।
- हाल के वर्षों में चीनी निजी क्षेत्र के निवेशकों व संस्थाओं द्वारा भारतीय कंपनियों में बड़ा निवेश कई मामलों में चिंता का कारण बना हुआ था क्योंकि चीन की निजी कंपनियों और चीनी सरकार द्वारा संरक्षित कंपनियों में अंतर करना बहुत ही कठिन है।
- भारत में चीनी निवेशकों द्वारा किये गए निवेश का एक बड़ा भाग मोबाईल और इंटरनेट जैसे क्षेत्रों से संबंधित है, वर्तमान में इस क्षेत्र निवेश की निगरानी में बदलती तकनीकी एवं कठोर कानूनों के अभाव में लोगों की निजी जानकारी और अन्य ज़रूरी डेटा की सुरक्षा का खतरा उत्पन्न हुआ है, ऐसे में यह आवश्यक है कि विदेशी निवेश की बेहतर जाँच कर इंटरनेट तथा डेटा क्षेत्र की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
कॉर्पोरेट ऋण में म्युचुअल फंड निवेश की निगरानी बढ़ाएगा सेबी
मुंबईः पूंजी एवं कमोडिटी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उद्योग जगत को निवेश एवं उसकी प्रक्रियाओं के प्रति सावधानी बरतने की सलाह देते हुए आज कहा कि नियामक कॉर्पोरेट ऋण में म्युचुअल फंड निवेश की निगरानी बढ़ाएगा।
सेबी के अध्यक्ष यू.के. सिन्हा ने उद्योग संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा, "सेबी अगले कुछ महीनों में म्युचुअल फंड उत्पादों के वितरण के लिए नए नियम लाने की तैयारी कर रहा है। साथ ही वह रेटिंग प्रक्रियाओं के दौरान किसी का हित प्रभावित न/न हो, इसकी निगरानी भी करेगा।"
सिन्हा का बयान ऐसे समय में आया है जब साख निर्धारक एजैंसियों द्वारा ऑटोमोबाइल कलपुर्जे बनाने वाली कंपनी एमटेक ऑटो लिमिटेड की रेटिंग घटाने से अगस्त में जेपी मॉर्गन की भारतीय इकाई ने नुकसान उठाया। इसके बाद कॉर्पोरेट ऋण में परिसंपत्ति प्रबंधकों के निवेश को लेकर चिंता बढ़ी है।
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निवेश प्रबंधन
निवेश प्रबंधन से तात्पर्य वित्तीय संपत्तियों और अन्य निवेशों से निपटने से है – न केवल उन्हें खरीदना और बेचना। प्रबंधन में पोर्टफोलियो होल्डिंग्स के अधिग्रहण और निपटान के लिए एक छोटी या दीर्घकालिक रणनीति तैयार करना शामिल है। इसमें बैंकिंग, बजट, और कर सेवाओं और कर्तव्यों को भी शामिल किया जा सकता है।
यह शब्द अक्सर एक निवेश पोर्टफोलियो के भीतर होल्डिंग्स को प्रबंधित करने और एक निवेश की निगरानी विशिष्ट निवेश उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए उनके व्यापार को संदर्भित करता है। निवेश प्रबंधन को निवेश की निगरानी धन प्रबंधन, पोर्टफोलियो प्रबंधन या धन प्रबंधन के रूप में भी जाना जाता है।
निवेश प्रबंधन की मूल बातें
व्यावसायिक निवेश प्रबंधन का उद्देश्य उन ग्राहकों के लाभ के लिए विशेष निवेश लक्ष्यों को पूरा करना है जिनके धन की देखरेख की जिम्मेदारी उनके पास है। ये ग्राहक व्यक्तिगत निवेशक या संस्थागत निवेशक हो सकते हैं जैसे पेंशन फंड, सेवानिवृत्ति योजना, सरकार, शैक्षणिक संस्थान और बीमा कंपनियां।
निवेश प्रबंधन सेवाओं में परिसंपत्ति आवंटन, वित्तीय विवरण विश्लेषण, स्टॉक चयन, मौजूदा निवेशों की निगरानी और पोर्टफोलियो रणनीति और कार्यान्वयन शामिल हैं। निवेश प्रबंधन में वित्तीय योजना और सलाह देने वाली सेवाएं भी शामिल हो सकती हैं, जो न केवल एक ग्राहक के पोर्टफोलियो की देखरेख करती हैं, बल्कि अन्य परिसंपत्तियों और जीवन लक्ष्यों के साथ समन्वय करती हैं। पेशेवर प्रबंधक विभिन्न प्रतिभूतियों और वित्तीय परिसंपत्तियों के साथ सौदा करते हैं, जिसमें बांड, इक्विटी, कमोडिटी और रियल एस्टेट शामिल हैं। प्रबंधक कीमती धातुओं, वस्तुओं और कलाकृति जैसी वास्तविक परिसंपत्तियों का प्रबंधन भी कर सकता है। प्रबंधक सेवानिवृत्ति और संपत्ति की योजना के साथ-साथ परिसंपत्ति वितरण के लिए निवेश को संरेखित करने में मदद कर सकते हैं।
निवेश प्रबंधन फर्म चलाना
एक निवेश प्रबंधन व्यवसाय चलाने में कई जिम्मेदारियां शामिल हैं। फर्म को ग्राहकों के लिए रिपोर्ट, मार्केट, सेटलमेंट और रिपोर्ट तैयार करने के लिए पेशेवर प्रबंधकों को नियुक्त करना चाहिए। अन्य कर्तव्यों में आंतरिक ऑडिट आयोजित करना और व्यक्तिगत संपत्ति-या परिसंपत्ति वर्ग और औद्योगिक क्षेत्रों पर शोध करना शामिल है।
मार्केटर्स और प्रशिक्षण प्रबंधकों को काम पर रखने के अलावा, जो निवेश के प्रवाह को निर्देशित करते हैं, जो निवेश प्रबंधन फर्मों के प्रमुख हैं वे सुनिश्चित करें कि वे विधायी और नियामक बाधाओं के भीतर चले जाएं, आंतरिक प्रणालियों और नियंत्रणों की जांच करें, नकदी प्रवाह के लिए खाते और रिकॉर्ड लेनदेन और फंड वैल्यूएशन को ठीक से ट्रैक करें।
सामान्य तौर पर, निवेश प्रबंधक जिनके पास प्रबंधन (एयूएम) के तहत कम से कम 25 मिलियन डॉलर की संपत्ति है या जो म्यूचुअल फंड की पेशकश करने वाली निवेश कंपनियों को सलाह देते हैं, उन्हें पंजीकृत निवेश सलाहकार (आरआईए) होना आवश्यक है । एक पंजीकृत सलाहकार के रूप में, उन्हें प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) और राज्य प्रतिभूति प्रशासकों के साथ पंजीकृत होना चाहिए । यह भी वे स्वीकार करते हैं इसका मतलब है प्रत्ययी अपने ग्राहकों निवेश की निगरानी को कर्तव्य। एक सहायक के रूप में, ये सलाहकार अपने ग्राहक के सर्वोत्तम हित में कार्य करने या आपराधिक दायित्व का सामना करने का वादा करते हैं। संपत्ति में $ 25 मिलियन से कम का प्रबंधन करने वाले फर्म या सलाहकार आमतौर पर केवल अपने संचालन के राज्यों में पंजीकृत होते हैं।
निवेश से जुड़े जोखिम को कम करने के ये हैं 5 आसान तरीके. जानिए
- News18Hindi
- Last Updated : March 13, 2021, 13:12 IST
नई दिल्ली. ज्यादातर निवेशक जोखिम का सही मतलब नहीं जानते हैं. बहुत सतर्क रहने वाले निवेशकों (कंजर्वेटिव इंवेस्टर) को जहां हर जगह रिस्क दिखता है. वहीं, आक्रामक निवेशक (एग्रेसिव इंवेस्टर) केवल रिटर्न के पीछे भागते हैं. उन्हें लगता है कि वे हर तरह के जोखिम का सामना कर सकते हैं. हालांकि, जोखिम का कॉन्सेप्ट इतना सरल नहीं है. निवेशकों को अक्सर अपनी जोखिम लेने की क्षमता का पता नहीं होता है. अगर इसे जान लिया जाए तो जोखिम लेने की क्षमता के बाहर जाकर रिस्की विकल्पों में निवेश से बचा जा सकता है.
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