भारत इस रैंकिंग में क्यों निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना ऊपर आ रहा था?
केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार लगातार कारोबार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की कोशिश कर निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना रही है। इस सरकार ने पिछले सात साल में नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। गैर-जरूरी नियमों को खत्म किया गया है। 2017 में जीएसटी को लागू कर टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना किया गया। सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स की दर में कमी कर कंपनियों को नए निवेश के लिए आकर्षित किया है। कई सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाई गई है। टेलीकॉम सहित कुछ क्षेत्रों में 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत दी गई है। इन सभी कदमों से देश में बिजनेस का माहौल लगातार सुधर रहा है। दुनिया भर निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना की कंपनियां भारत को निवेश के निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना शानदार डेस्टिनेशन के रूप में देख रही है। यह बात चीन को हजम नहीं हो रही है।

Agriculture News: रबड़ आयात पर घटेगी निर्भरता, सरकार की इस योजना से बढ़ेगी खेती, मिलेंगे नए रोजगार

भारत में वर्ष 2021-22 में 12.3 लाख टन प्राकृतिक रबड़ की खपत के मुकाबले घरेलू उत्पादन 7.7 लाख टन ही रहा. अंतर को पूरा करने के लिए भारत ने 7,500 करोड़ रुपये मूल्य के बराबर रबड़ आयात किया था.

Agriculture News: सरकार रबड़ को लेकर अपनी एक नई योजना के जरिए एक साथ कई लक्ष्य हासिल करने की कोशिश कर रही है. ये योजना है एनई मित्र.. जिसके जरिए सरकार पूर्वोत्तर राज्यों में रबड़ की खेती को बढ़ावा दे रही है. जिससे एक तरफ रबड़ उत्पादन बढ़ा कर सरकार आयात पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती है और आने वाले समय में देश को रबड़ उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना चाहती है वहीं साथ ही इससे उत्तर पूर्वी राज्यों में रोजगार के नए साधन उपलब्ध कराने और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति देने की भी उम्मीद रखी जा रही है. रबड़ का उत्पादन बढ़ाने के लिए रबड़ बोर्ड ने वर्ष 2025 तक पूर्वोत्तर राज्यों में दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबड़ की खेती का लक्ष्य रखा है.

Ease of Doing Business : क्या चीन के दबाव में काम करता है वर्ल्ड बैंक? जानिए क्यों बंद हुई ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रिपोर्ट

क्यों बंद हुई ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट?
वर्ल्ड बैंक को साल 2018 और 2020 की उसकी रिपोर्ट में आंकड़ों में हेराफेरी का पता चला था। एक आंतरिक जांच के बाद यह गड़बड़ी सामने आई थी। यह जांच वाशिंगटन की लॉ फर्म विल्मरहेल ने की थी। इसमें यह खुलासा हुआ कि वर्ल्ड बैंक के स्टाफ ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में चीन की रैंकिंग बढ़ाने के लिए आंकड़ों में हेराफेरी की थी। उन्होंने यह ऐसा विश्व बैंक के तत्कालीन प्रेसिडेंट जिम योंग किम, सीईओ क्रिस्टालिना जॉर्जीवाके दबाव में किया था। अभी जॉर्जीवा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) हैं।

क्या है नई योजना

रबड़ बोर्ड के चेयरमैन डॉ सावर धनाणिया ने कहा, पूर्वोत्तर के सात राज्यों में रबड़ उत्पादन और रबड़ की खेती बढ़ाने के लिए हमने एनई मित्र नाम की एक योजना शुरू की है. इस योजना के तहत 2025 तक इस क्षेत्र में रबड़ की खेती का रकबा दो लाख हेक्टेयर तक बढ़ाया जाएगा. दरअसल सिक्किम को छोड़कर पूर्वोत्तर के बाकी सभी राज्य अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा का वातावरण रबड़ उत्पादन के लिए उपयुक्त है. अभी निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना पूर्वोत्तर क्षेत्र के सात राज्यों में कुल मिलाकर दो लाख टन रबड़ का वार्षिक उत्पादन होता है जिसमें सर्वाधिक एक लाख टन रबड़ अकेले त्रिपुरा में पैदा होती है.

केरल के बाद त्रिपुरा का रबड़ उत्पादन के मामले में देश में दूसरा स्थान है. त्रिपुरा की 40 लाख की आबादी में से करीब 1.15 लाख रबड़ उत्पादक हैं. धनाणिया ने कहा कि त्रिपुरा निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना में रबड़ उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये की एक परियोजना का प्रारूप सरकार को सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बावजूद त्रिपुरा में रबड़ की खेती में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. यहां 2021 में 2,374 हेक्टेयर क्षेत्र में रबड़ की खेती हुई थी जो 2022 में बढ़कर 8,400 हेक्टेयर हो गई.

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