अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट की लिस्‍ट में फिलहाल चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान का नाम इस सूची में बरकरार रखा गया है। चीन को लेकर रिपोर्ट में स्‍पष्‍ट कहा गया है कि वो अपने विदेशी विनिमय हस्तक्षेप को प्रकाशित करने में विफल रहा है। विनिमय दर तंत्र में पारदर्शिता की कमी के बारे में भी इस रिपोर्ट में कहा गया है।

यूएस की currency monitoring list से बाहर होने के क्या हैं मायने, जानें- इससे जुड़े हर सवाल का जवाब

भारत में होने वाले जी-20 सम्‍मेलन से पहले ही भारत को अमेरिका द्वारा currency monitoring list से बाहर करने की खबर वास्‍तव में राहत भरी है। इससे आने वाले समय में दोनों देशों के बीच व्‍यापारिक रिश्‍ते और मजबूत होंगे।

नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। अमेरिका ने भारत को भारत का नाम अपनी मुद्रा निगरानी सूची से हटा दिया है। ये भारत के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है। अमेरिका ने इसकी घोषणा ऐसे समय में की है जब अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन भारत के दौरे पर हैं और कुछ समय बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन की पीएम नरेन्‍द्र मोदी से जी-20 सम्‍मेलन में मुलाकात होनी तय मानी जा रही है। ऐसे में अमेरिका के इस फैसले के कई बड़े अर्थ भी निकाले जा रहे हैं। अमेरिका ने ये फैसला अपने ट्रेजरी विभाग की दी गई रिपोर्ट के आधार पर लिया है। हाल ही में ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने एक रिपोर्ट कांग्रेस सौंपी थी। इस द्विवार्षिक रिपोर्ट मुद्रा जोड़े क्या हैं में कहा गया था कि भारत का नाम अब मुद्रा निगरानी सूची से हटा दिया गया है। इसका सबसे बड़ा फायदा दोनों देशों के बीच व्‍यापारिक रिश्‍तों को होगा। आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच व्‍यापार और बढ़ेगा।

इन देशों का नाम भी हटाया गया

भारत के अलावा जिन देशों का नाम इस सूची से हटाया गया है उसमें इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम का नाम भी शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन देशों ने तीन मानदंडों में से एक को पूरा किया है, जिसके चलते इनका नाम इस लिस्‍ट से हटाया गया है। लगातार दो रिपोर्ट में भारत और दूसरे देशों के बारे में इसी तरह की रिपोर्ट सामने आई थी।

बता दें कि अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने इसी वर्ष जून में अपने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष (trade surplus) के कारण भारत को करेंसी मैनिपुलेटर की निगरानी सूची में रखा था। विश्‍व में फैली कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद भारत का नाम तीसरी बार इस सूची में शामिल किया गया था।

अरुणाचल के तवांग में फिर भिड़े भारतीय और चीनी सैनिक। फाइल फोटो।

किस रिपोर्ट के बाद भारत को इस लिस्‍ट से निकाला

गौरतलब है कि अमेरिका का ट्रेजरी डिपार्टमेंट अपने प्रमुख भागीदारों की मुद्रा पर निगरानी के लिए इस सूची को तैयार मुद्रा जोड़े क्या हैं मुद्रा जोड़े क्या हैं करता है। इसमें वो प्रमुख व्यापारिक भागीदारों की मुद्रा को लेकर गतिविधियों और उनकी दूसरी मोनेटरिंग पालिसी पर काफी बारीकी से नजर रखता है। पिछले दो साल से भारत अमेरिकी की इस मुद्रा निगरानी सूची में शामिल था।

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व्यापार डेरिवेटिव के लिए न्यूनतम निवेश कितना है?

यह कदम तब आया जब बाज़ार नियामक सेबी ने छोटे निवेशकों को उच्च जोखिम वाले उत्पादों से बचाने के प्रयास में वर्तमान में किसी भी इक्विटी डेरिवेटिव उत्पाद के लिए न्यूनतम निवेश आकार में 2 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक की बढ़ोतरी की।

रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवाह से जुड़े मानकों को उदार बनाया

आरबीआई ने वित्तीय बाजारों के बंद होने के बाद शाम को जारी एक बयान में इन कदमों की घोषणा की। उसने कहा कि पोर्टफोलियो निवेश को छोड़कर बाकी सभी पूंजी प्रवाह स्थिर बना हुआ है और विदेशी मुद्रा का समुचित भंडार होने से बाहरी झटकों को झेलने की सुरक्षा भी मिलती है।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 24 जून को 593.3 अरब डॉलर था।

रिजर्व बैंक ने बयान में कहा, ‘‘विदेशी मुद्रा बाजार में व्याप्त अस्थिरता कम करने और वैश्विक झटके को झेलने के लिए विदेशी मुद्रा वित्तपोषण के स्रोतों के विस्तार और विविधीकरण करने के लिए पांच कदम उठाने का फैसला लिया गया है।’’

इन कदमों में ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश मानकों को सरल करना और एक वित्त वर्ष में स्वचालित मार्ग से ईसीबी सीमा को 75 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 1.5 अरब डॉलर करना शामिल है।

मुद्रा जोड़े क्या हैं

यह बैंक और उसके ग्राहकों के बीच एक अनुबंध है जिसमें मुद्राओं का एक्सचेंज/रूपांतरण अनुबंध के तहत अग्रिम रूप से एक्सचेंज दर पर भविष्य की तारीख में होगा। .

अग्रेषित अनुबंधमें प्रवेश करने का आवश्यक विचार एक्सचेंज दर को अग्रिम रूप से तय करना है और इस तरह एक्सचेंज दर जोखिम से बचना है। फॉरवर्ड रेट्स = स्पॉट रेट +/- प्रीमियम / डिस्काउंट .
अग्रेषित अनुबंध का उपयोग भविष्य के निपटान के लिए विदेशी मुद्रा जोखिम की हेजिंग के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक आयातक या निर्यातक जिसकी एफएक्स अनुबंध सीमा है, वह प्रतिकूल दर से बचने के लिए बैंक के साथ वायदा अनुबंध में प्रवेश करके वर्तमान एक्सचेंज दर को लॉक कर सकता है।
दो प्रकार के अग्रिम संविदा उपलब्ध हैं:
1. निश्चित तिथि पर वितरण - एक विशिष्ट भविष्य की तारीख पर निपटान के साथ अग्रिम संविदा.
2. वैकल्पिक वितरण - विशिष्ट भविष्यावधि के भीतर निपटान के साथ अग्रिम संविदा.

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क्या है Digital Rupee, कैसे आप कर सकते हैं मुद्रा जोड़े क्या हैं इस्तेमाल? जानिए हर सवाल का जवाब

आज हकीकत बनने जा रहा आरबीआई का डिजिटल रुपया

  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2022,
  • (अपडेटेड 01 नवंबर 2022, 10:56 AM IST)

अब जेब में कैश लेकर चलता पुराने जमाने की बात होगी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का खास उपयोग के लिए आज 1 नवंबर से डिजिटल रुपया (E-Rupee) का पायलट लॉन्च करने जा रहा है. यानी मंगलवार से आरबीआई की अपनी डिजिटल करेंसी (RBI Digital Currency) हकीकत बनने जा रही है. आइए जानते हैं ये डिजिटल करेंसी कैसे काम करेगी और आपके लिए किस तरह फायदेमंद साबित होगी.

RBI ने पिछले महीने की थी घोषणा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अक्टूबर महीने की शुरुआत में घोषणा करते हुए मुद्रा जोड़े क्या हैं कहा था कि वह जल्द ही खास इस्तेमाल के लिए डिजिटल रुपया (E-Rupee) का पायलट लॉन्च शुरू करेगा. इसके लिए केंद्रीय बैंक ने 1 नवंबर 2022 की तारीख तय की थी. यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) के तौर पर शुरू किया जा रहा है. RBI होलसेल ट्रांजैक्शन और क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट के लिए अपने डिजिटल रूपी की शुरुआत कर रहा है.

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