Stop Loss Meaning in Hindi

What is Stop Loss in Share Market in Hindi?

Stop Loss वह मूल्य है जो शेयर मार्केट में ट्रेडर को ज्यादा नुकसान होने से बचाता है। यह ट्रेडर्स के जोखिम को कम कर उन्हें सही समय पर मार्केट से बाहर निकलने की अनुमति देता है।

शॉर्ट टर्म ट्रेड में स्टॉप लॉस की जरुरत और भी बढ़ जाती है क्योंकि यहां जोखिम की संभावना और भी ज्यादा होती है। स्टॉप लॉस ट्रेडर के इसी जोखिम को सीमित करता है।

यह उनलोगों के लिए रामबाण की तरह है जो निरंतर ट्रेडिंग नहीं करते और जो शेयर बाजार के ट्रेंड से अनजान हैं। ऐसे लोग स्टॉप लॉस लगाकर स्टॉप लॉस टाइप्स अपने नुकसान को कम कर सकते हैं।

स्टॉप लॉस को अच्छे से समझने के लिए एक उदहारण लेते है।

यदि हम किसी कंपनी के शेयर को 100 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से इस उम्मीद में खरीदते हैं कि इसकी प्राइस मार्केट में कभी तो 120 रुपये हो जाएगी और यह अच्छा-खासा रिटर्न देगी।

इसके उलट दूसरी स्थिति यह भी हो सकती है कि प्राइस 85 रुपये तक पहुंच जाए। मार्केट में इस तरह के बदलाव इतनी तेजी से होते हैं कि ट्रेडर को पता भी नहीं चलता।

इस स्थिति में यदि शेयर खरीदते समय ट्रेडर ने स्टॉप लॉस मूल्य यानी एक खास मूल्य जैसे 95 रुपये तय कर लिया है तो किसी भी वक्त मार्केट के उतार-चढ़ाव के दौरान शेयर प्राइस 95 पर पहुंचेगा तो शेयर खुद ब खुद सेल हो जाएगा और ट्रेडर बड़े नुकसान से बच जाएगा।

तो ये बात हुए स्टॉप लॉस क्या होता है, लेकिन अक्सर शुरूआती ट्रेडर्स इस असमंझस में रहते है कि स्टॉप लॉस कैसे लगाए।

SL Trigger Price Means in Hindi

जैसे की बताया गया है की स्टॉप लॉस की सही वैल्यू से आप अपने नुक्सान को सीमित कर सकते है तो यहाँ पर ज़रूरी है की आपको ट्रिगर प्राइस की जानकारी हो । ट्रिगर प्राइस वह प्राइस है जिस प्राइस पर आर्डर एक्सचेंज पर ट्रांसफर हो जाता है और फिर स्टॉप लॉस हिट होते ही आपका आर्डर निष्पादित हो जाता है ।

बाय और सेल दोनों के लिए स्टॉप लॉस ट्रिगर प्राइस की वैल्यू अलग-अलग होती है, जैसे की अगर लॉन्ग पोजीशन ले रहे है तो ट्रिगर प्राइस की वैल्यू स्टॉप लॉस से ज़्यादा होती है और शार्ट पोजीशन के समय ट्रिगर प्राइस स्टॉप लॉस से कम रखा जाता है ।

Stop Loss Kaise Lagaye

ऐसे ट्रेडर जो स्टॉक मार्केट में ट्रेड की शुरुआत करने जा रहे हैं और उनके पास मार्केट के ट्रेंड को समझने का अनुभव नहीं है तो ट्रेडर के मन में नुकसान का डर सबसे ज्याादा होता है।

यह डर कभी-कभी इतना ज्यादा होता है कि लोग अपने ट्रेंडिंग के इरादों को भी बदल देते हैं। ऐसे ट्रेडर के लिए स्टॉप लॉस एक सहारे की तरह है जिससे वे अपने हिसाब से अपने लॉस को तय कर सकते हैं और प्रॉफिट को लॉक कर सकते हैं।

आइये जानते है कुछ ऐसे स्ट्रेटेजी जो आपको इंट्राडे ट्रेडिंग में सही ट्रिगर प्राइस सेट करने में मदद करती है ।

Best Stop Loss Strategy in Hindi

Stop loss के बारे में अच्छी तरह समझने के बाद सवाल उठता है कि आखिर किस प्राइस पर Stop loss लगाया जाए, क्या इसके लिए कोई नियम है?

इन सवालों के जवाब के साथ ही आप Stop loss को लेकर एक अच्छी रणनीति तैयार कर सकते हैं। शेयर मार्केट का गणित का सही उपयोग कर आप स्टॉप लॉस की जानकारी प्राप्त कर सकते है।

1. परसेंटेज मेथड (Percentage Method): ज्यादातर ट्रेडर Stop loss के लिए परसेंटेज नियम का पालन करते हैं। यह परसेंटेज नियम शेयर प्राइस का 10 प्रतिशत होता है। उदाहरण के लिए यदि शेयर प्राइस 100 रुपये है तो 100 रुपये का 10 प्रतिशत कम यानी 90 रुपये पर आप अपना Stop loss लगा सकते है।

क्योकि आप अपने रिस्क के अनुसार स्टॉप लॉस सेट करते है इसलिए शुरुआती ट्रेडर के लिए ये काफी चुनौतीपूर्ण होता है । अगर आप सही वैल्यू के साथ स्टॉप लॉस लगाना चाहते है तो उसके लिए आप आगे दी गयी सपोर्ट और रेजिस्टेंस मेथड का उपयोग कर सकते है। नए ट्रेडर्स के लिए ये एक अच्छा इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Intraday Trading Strategy in Hindi) मानी जा सकती है.

2. सपोर्ट और रेजिस्टेंस मेथड (Support and Resistance in Hindi): हर स्टॉप लॉस टाइप्स एक स्टॉक अस्थिरता के चलते शेयर मार्केट चार्ट में एक सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल बनाता है और ये लेवल आपको स्टॉप लॉस लगाने में मदद करते है ।

अगर आपने लॉन्ग पोजीशन लेकर इंट्राडे ट्रेड की है तो यहाँ पर आप ट्रेडिंग प्राइस से पहले वाले सपोर्ट को पहचान उससे थोड़ा कम स्टॉप लॉस लगा सकते है ।

उदारहण के लिए अगर स्टॉक का एंट्री प्राइस 200 है और उसका सपोर्ट 185 पर है तो आप 182 पर स्टॉप लॉस ट्रिगर प्राइस लगा सकते है । इसी तरह से अगर आपने शार्ट पोजीशन लेकर ट्रेड किया है तो आप रेसिस्टेन्स की जानकारी प्राप्त कर स्टॉप लोस्स ट्रिगर प्राइस लगा सकते है ।

अगर आपको सपोर्ट और रेजिस्टेंस की जानकारी प्राप्त करने में मुश्किल हो रही है तो आप इंट्राडे ट्रेडिंग फॉर्मूला का उपयोग कर सकते है ।

स्टॉप लॉस के फायदे

Stop loss लगाने के लिए ट्रेडर को अलग से कोई राशि नहीं देनी पड़ती है। इस तरह से देखा जाए तो ट्रेडर के लिए यह एक फ्री इंश्योरेंस पॉलिसी की तरह है जो केवल फायदा ही पहुंचा सकती है नुकसान नहीं।

नए ट्रेडर को ट्रेड करने के लिए प्रोत्साहित करती है। नए ट्रेडर के सामने सबसे बड़ी चुनौती और मार्केट में उतरने का डर होता है कि कही वो अपने पैसे न गंवा दें। इसलिए Stop loss जोखिम को कम कर ट्रेडर का मार्केट में उतरने के निर्णय में मदद करता है।

ये आपके मार्केट संबंधी भ्रांतियों को दूर कर एक विश्वास प्रदान करता है। यदि कोई ट्रेडर अपनी उम्मीद के मुताबिक ही मार्केट में जोखिम उठाता है तो मार्केट के प्रति उसका स्टॉप लॉस टाइप्स विश्वास बढ़ता है।

स्टॉप लॉस के नुकसान

Stop loss के सबसे बड़े नुकसानों में से एक की बात करें तो मार्केट में आई कुछ समय की अस्थिरता पर भी यह सक्रिय हो जाते हैं क्योंकि हो सकता है कुछ समय अंतराल के बाद मार्केट में फिर से तेजी आ जाए।

ऐसे में ट्रेडर ज्यादा रिटर्न पाने की संभावना से वंचित रह जाता है। इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। मान लिया किसी ट्रेडर स्टॉप लॉस टाइप्स ने 120 में शेयर खरीदे और 108 का स्टॉप लॉस लगाया।

अब यदि मार्केट कुछ समय के लिए भी नीचे आया तो शेयर 108 में सेल हो जाएगा जबकि यह शेयर ट्रेडर को और भी ज्यादा बड़ा रिटर्न दे सकता था।

स्टॉप लॉस लगाने के लिए कोई स्थायी नियम नहीं है। अलग-अलग ट्रेडर अपने हिसाब से इसका उपयोग कर सकते हैं। एक और नुकसान की बात करें तो मार्केट ट्रेंड के हिसाब से स्टॉप लॉस में बदलाव नहीं किया जा सकता है।

निष्कर्ष

नए ट्रेडर के लिए Stop loss एक इंश्योरेंस की तरह तो है जो उनके जोखिम को खत्म कर उनके पैसे खोने के डर को खत्म करता है लेकिन लेकिन कभी-कभी यह नुकसान भी पहुंचाता है।

स्टॉप लॉस को उन लोगों के लिए तो फायदेमंद है जो ट्रेड के बाद मार्केट के ट्रेंड पर नजर नहीं रखते लेकिन उन लोगों के लिए यह उतना फायदेमंद नहीं है जो मार्केट को करीब से जानते हैं और उसके हर मूवमेंट पर कड़ी नजर रखते हैं। सरल भाषा में इंट्राडे ट्रेडिंग के नियमों (intraday trading rules in hindi) में स्टॉप लॉस लगाना सबसे पहला और महत्वपूर्ण नियम माना जाता है।

तो सही से इसकी जानकारी लें ट्रेड में होने वाले नुकसान को सीमित करें ।

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स्टॉप लॉस टाइप्स

स्टॉप लॉस आर्डर आप की मदद करता है जब भी आप को लगे की आपने जो आर्डर प्लेस किया है (चाहे वो खरीद का हो या बेचने का हो) वो आपके खिलाफ जा सकता है और आपके नुक्सान को कम करने में आपकी मदद करता है। उदहारण के तौर पे - अगर आपने Rs 100/- का कोई स्टॉक खरीदा है और आप ज़्यादा से ज़्यादा Rs 5/- का नुक्सान उठा स्टॉप लॉस टाइप्स सकते है तो आपको अपना स्टॉक को Rs 95/- में बेचने के लिए आर्डर प्लेस करना होगा। इस तरह के आर्डर को स्टॉप लॉस आर्डर कहते है क्योंकि आप आपने नुकसान को उतना ही लिमिट कर रहे स्टॉप लॉस टाइप्स हैं जितना की आप सह सकते है।

दो तरह के स्टॉप लॉस आर्डर होते है:

1. SL आर्डर (स्टॉप -लॉस लिमिट) = प्राइस + ट्रिगर प्राइस

2. SL-M आर्डर (स्टॉप -लॉस मार्किट) = सिर्फ ट्रिगर प्राइस

केस 1 > अगर आप ने बाय पोजीशन लिया है तो, आप सेल SL प्लेस करना होगा

केस 2 > अगर आप ने सेल पोजीशन लिया है तो, आप बाय SL प्लेस करना होगा

केस 1 में, अगर आपके पास Rs 100/- में बाय का पोजीशन है और आप स्टॉप लॉस Rs 95/- में प्लेस करना चाहते है

a. SL-M आर्डर टाइप - आपको सेल आर्डर SL-M प्लेस करना होगा, जिसमें ट्रिगर प्राइस 95 होगा और जब प्राइस 95 पर ट्रिगर होगा तो , सेल मार्किट आर्डर एक्सचेंज को जायेगा और आपका पोजीशन मार्किट प्राइस पर क्लोज हो जायेगा।

b. SL आर्डर टाइप - आपको सेल SL आर्डर प्लेस करना होगा, ट्रिगर प्राइस के साथ क्योंकि आपका आर्डर को पहले ट्रिगर करना होगा इसीलिए (ट्रिगर प्राइस ≥ प्राइस ) इस तरह के आर्डर आपको रेंज देता है , स्टॉप लॉस के लिए।

मान लीजिये आप रेंज Rs 0.10 (10 paise) का दिया है अब आप ट्रिगर प्राइस = 95 और प्राइस = 94.90 होगा। जब प्राइस 95 पर ट्रिगर करता है, तब सेल लिमिट आर्डर एक्सचेंज को जाता है और आर्डर स्क्वायर ऑफ हो जाता है। जो भी प्राइस उपलब्ध होगा 94.90 से उपर उसी पर स्क्वायर ऑफ हो जायेगा। मतलब SL आर्डर 96 या 94.95 पर ही पूरा होगा और 94.90 से नीचे नहीं होगा।

इस तरह के आर्डर का नुकसान भी है, अगर मान लीजिए मार्किट बहुत जल्दी से गिरने लगता है जब तक 95 ट्रिगर हो और इससे पहले की 94.90 सेल लिमिट आर्डर एक्सचेंज को मिले, स्टॉक प्राइस पहले ही 94.90 से नीचे गिर चूका हो, तब स्टॉप-लॉस आर्डर आप का क्लोज नहीं होगा। आपका स्टॉप लॉस आर्डर खुला ही रहेगा और आपका नुकसान बहुत ही बढ़ सकता है।

आपको खुद ही तय करना होगा की SL or SL-M का इस्तेमाल करें मार्किट को दिमाग में रख कर तय करना होगा।

केस 2 में, आप के पास सेल पोजीशन है 100 पर है, आप SL 105 में प्लेस करना चाहते है,

a. SL-M आर्डर टाइप - आप को बय SL-M आर्डर प्लेस करना होगा ट्रिगर प्राइस = 105 यहाँ जब प्राइस 105 ट्रिगर करेगा तब बय मार्किट आर्डर एक्सचेंज को मिलेगा और आपका पोजीशन स्क्वायर ऑफ मार्किट प्राइस पर हो जायेगा।

b. SL आर्डर टाइप - आपको बय SL आर्डर प्लेस करना होगा, ट्रिगर प्राइस के साथ क्योंकि आपका आर्डर को पहले ट्रिगर करना होगा इसीलिए (ट्रिगर प्राइस ≤ प्राइस ) इस तरह के आर्डर आपको रेंज देता है , स्टॉप लॉस के लिए।

मान लीजिये आप रेंज Rs 0.10 (10 paise) का दिया है अब आप ट्रिगर प्राइस = 105 और प्राइस = 105.10 होगा। जब प्राइस 105 पर ट्रिगर करता है, तब बय लिमिट आर्डर एक्सचेंज को जाता है और आर्डर स्क्वायर ऑफ हो जाता है। जो भी प्राइस उपलब्ध होगा 105.10 से नीचे उसी पर स्क्वायर ऑफ हो जायेगा। मतलब SL आर्डर 105.05 या 105 पर ही पूरा होगा और 105.10 से ऊपर नहीं होगा।

SL आर्डर का दूसरा अल्टरनेटिव इस्तेमाल:

जैसे की सेल SL आर्डर बय प्राइस के नीचे के लिए इस्तेमाल होता और बय SL आर्डर सेल प्राइस के ऊपर , तो आप यह आर्डर टाइप्स को लास्ट ट्रेडेड प्राइस (LTP) के ऊपर या लास्ट ट्रेडेड प्राइस के नीचे इस्तेमाल कर सकते है।

1. LTP के अपर बय करने के लिए आप बय SL आर्डर प्लेस कर सकते है जो भी प्राइस में आपको बय करना है।

2. LTP के नीचे सेल करने के लिए आप सेल SL आर्डर प्लेस कर सकते है जो भी प्राइस में आपको सेल करना है।

Kite का टुटोरिअल जो स्टॉप लॉस आर्डर पर है उसकी जानकारी के लिए है यहाँ क्लिक करें और Kite यूजर मैन्युअल के लिया यहाँ क्लिक करें

सबसे आम स्टॉक मार्केट ऑर्डर प्रकार

ट्रेडिंग, एक पूरी प्रक्रिया के रूप में, केवल खरीद और बिक्री की जटिलताओं को पार कर जाती है। अलग-अलग ऑर्डर प्रकारों के साथ, जब खरीदने और बेचने की बात आती है, तो इसे लागू करने के कई तरीके हैं। और, बेशक, इस पद्धति में से प्रत्येक एक अलग उद्देश्य की सेवा करता है।

मूल रूप से, प्रत्येक व्यापार में अलग-अलग ऑर्डर होते हैं जो एक पूर्ण व्यापार बनाने के लिए संयुक्त होते हैं। प्रत्येक व्यापार में कम से कम दो आदेश होते हैं; जबकि एक व्यक्ति सुरक्षा खरीदने का आदेश देता है, और दूसरा उस सुरक्षा को बेचने का आदेश देता है।

तो, जो स्टॉक से अच्छी तरह वाकिफ नहीं हैंमंडी आदेश प्रकार, यह पोस्ट विशेष रूप से उनके लिए है, कार्यप्रणाली में गहराई से खुदाई करने की कोशिश कर रहा है।

Stock Market Order Types

स्टॉक मार्केट ऑर्डर क्या है?

एक आदेश एक निर्देश है कि एकइन्वेस्टर स्टॉक खरीदने या बेचने का प्रावधान करता है। यह निर्देश या तो स्टॉक ब्रोकर को या किसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर दिया जा सकता है। विचार करें कि विभिन्न स्टॉक मार्केट ऑर्डर प्रकार हैं; स्टॉप लॉस टाइप्स ये निर्देश तदनुसार भिन्न हो सकते हैं।

ऑर्डर देने की अनिवार्यता

एक एकल आदेश या तो एक बिक्री आदेश या एक खरीद आदेश होता है, और इसे निर्दिष्ट किया जाना चाहिए, भले ही ऑर्डर प्रकार दिया जा रहा हो। अनिवार्य रूप से, प्रत्येक ऑर्डर प्रकार का उपयोग प्रतिभूतियों को खरीदने या बेचने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, ऑर्डर खरीदने और बेचने दोनों का उपयोग या तो किसी ट्रेड में प्रवेश करने या उससे बाहर निकलने के लिए किया जा सकता है।

यदि आप एक खरीद आदेश के साथ व्यापार में प्रवेश कर रहे हैं, तो आपको इसे बेचने के आदेश से बाहर निकलना होगा और इसके विपरीत। उदाहरण के लिए, एक स्टॉप लॉस टाइप्स साधारण व्यापार तब होता है जब आप स्टॉक की कीमतों में वृद्धि की उम्मीद करते हैं। आप व्यापार में कदम रखने के लिए एक खरीद आदेश दे सकते हैं और फिर, उस व्यापार से बाहर निकलने के लिए एक बिक्री आदेश दे सकते हैं।

यदि इन दो आदेशों के बीच स्टॉक की कीमतों में वृद्धि होती है, तो आपको बेचने पर लाभ होगा। इसके विपरीत, यदि आप स्टॉक की कीमतों में कमी की उम्मीद कर रहे हैं, तो आपको एक व्यापार में प्रवेश करने के लिए एक बिक्री आदेश और बाहर निकलने के लिए एक खरीद आदेश देना होगा। आमतौर पर, इसे स्टॉक को छोटा करने या शॉर्टिंग के रूप में जाना जाता है। इसका मतलब है कि स्टॉक पहले बेचा जाता है और फिर बाद में खरीदा जाता है।

स्टॉक मार्केट ऑर्डर के प्रकार

कुछ सबसे सामान्य स्टॉक मार्केट ऑर्डर प्रकार नीचे सूचीबद्ध हैं:

बाजार आदेश

यह तुरंत प्रतिभूतियों को खरीदने या बेचने का एक आदेश है। यह आदेश प्रकार गारंटी देता है कि आदेश निष्पादित किया जाएगा; हालांकि, यह निष्पादन की कीमत की गारंटी नहीं देता है। आम तौर पर, एक मार्केट ऑर्डर मौजूदा बोली पर या उसके आसपास निष्पादित होता है या कीमत मांगता है।

लेकिन, व्यापारियों के लिए यह याद रखना आवश्यक है कि अंतिम-व्यापार मूल्य विशेष रूप से वह मूल्य नहीं होगा जिस पर अगला ऑर्डर निष्पादित किया जाएगा।

सीमा आदेश

एक सीमा आदेश एक निश्चित कीमत पर प्रतिभूतियों को खरीदने या बेचने का आदेश है। एक खरीद सीमा आदेश केवल सीमा मूल्य या उससे कम पर रखा जा सकता है। और, एक विक्रय आदेश को सीमा मूल्य या उससे अधिक पर रखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप किसी शेयर के शेयर खरीदना चाहते हैं, लेकिन कहीं भी रुपये से अधिक खर्च नहीं करना चाहते हैं। 1000.

फिर आप उस राशि के लिए एक लिमिट ऑर्डर सबमिट कर सकते हैं, और यदि स्टॉक की कीमत रु. 1000 या उससे कम है।

स्टॉप लॉस ऑर्डर

यह आदेश प्रकार प्रतिभूतियों में स्थिति पर निवेशकों के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि यदि आप किसी विशिष्ट कंपनी के 100 शेयर रुपये पर रखते हैं। 30 प्रति शेयर। और, शेयर रुपये की कीमत पर कारोबार कर रहा है। 38 प्रति शेयर।

आप स्पष्ट रूप से अपने शेयरों को अधिक उछाल के लिए जारी रखना चाहेंगे। हालाँकि, साथ ही, आप अवास्तविक लाभों को भी खोना नहीं चाहेंगे, है ना? इस प्रकार, आप शेयरों को रखना जारी रखते हैं लेकिन अगर उनकी कीमत रुपये से कम हो जाती है तो उन्हें बेच दें। 35.

निष्कर्ष

सबसे पहले, ट्रेडिंग ऑर्डर के लिए अभ्यस्त होना काफी भ्रमित करने वाला हो सकता है। और, वहाँ कई अन्य स्टॉक मार्केट ऑर्डर प्रकार मौजूद हैं। जब आपका पैसा दांव पर लगा हो तो गलत ऑर्डर देने से कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इन ऑर्डर प्रकारों पर अपना हाथ पाने का सबसे अच्छा तरीका उनका अभ्यास करना होगा। आप चाहें तो डेमो अकाउंट खोल सकते हैं और देख सकते हैं कि कामकाज कैसे होता है। और फिर, आप इसे अपनी ट्रेडिंग रणनीतियों में शामिल कर सकते हैं।

Order type (Regular / Stop loss / GTT)

what is Order type text image,order types in stock market image

⇒ दोस्तों share market में जब हम पहली बार कुछ खरीदते या बेचते हैं तब हमारे सामने तरह - तरह के order type दिखते हैं जिससे हम confuse हो जाते हैं कि आखिर किसका क्या मतलब होता है। और हमें As a trader इसके बारे में detail से पता होना चाहिए। तो चलिए आज के इस post में हम order type के बारे में सिखते हैं ।

(1) Regular Order :

» दोस्तों Regular order कि validity सिर्फ 1 दिन की होती है। यानी की आप जिस दिन order place करते हैं, उसी दिन execute हो सकता है, अगर order execute नहीं हुआ तब वह order expire हो जाएगा और Next day आपको फिर से order place करना पडेगा।

» Regular order में Intraday और delivery दोनो type का order ले सकते हैं। और इन दोनो में हम limit order या market order लगाकर limit price या market price पर खरीद सकते हैं।

Limit Price Order :

» इस order की मदद से हम अपने अनुसार जिस price पर किसी share को खरीदना चाहते हैं उस price पर order लगाकर खरीद सकते हैं।

Example -

» अगर किसी share का price 173 रू. Currently चल रहा है और हम उसे 170 रु में खरीदना चाहते हैं तो हम limit order लगाकर खरीद सकते हैं।

(We can place a buy order, at limit price)

Market Price Order :

» इस order की स्टॉप लॉस टाइप्स मदद से हम जिस share को खरीदना चाहते हैं उसे market में चल रहे current price ही पर immediately खरीद सकते हैं।

Example -

» अगर किसी share का price 173 रू Currently चल रहा है तो हम market order लगाकर तुरंत 173 रू में ही खरीद सकते हैं।

(we Can place a buy order, at Market price)

Note : ये सभी orders Option trading करते समय Index में भी लगा सकते है।

  • Time Decay क्या होता है ?
  • Stop loss, Target and Trailing S.L. क्या है ?
  • Option Buyers Maximum Profit and Loss
  • Option Sellers Maximum profits and loss

(2) Stop loss (SL) Order :

» Stop loss order की Validity भी सिर्फ एक ही दिन की होती हैं, और इसमें भी Intraday और delivery order ले सकते हैं।

लेकिन इसमें limit और market की जगह stop loss order place किया जाता है। तो चलिए अब हम Sl order लगाना सीखते हैं।

दोस्तों stop loss order में बहुत ध्यान पूर्वक समझना होगा क्योंकी इसको समझना थोड़ा मुश्किल होता है। तो चलिए मैं इस मुश्किल को आसान करके समझाता हूँ ।

दोस्तों उपर दिए गए example में xyz share का current price 250/- चल रहा है। जिसका हम 1 quantity खरीद रहे हैं।

अब सबसे बड़ा Confusion तब होता है जब हम SL Price में market के price से ज्यादा डालते हैं। पहली बार में हम सभी यही सोचते हैं की SL price तो market के price से कम होना चाहीए।

अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो सही सोच रहे हैं इसमें कुछ गलत नहीं है, बस आपको ये पता होना चाहिए कि ऐसा सोचना कब सही है ।

» दोस्तों जब हम share sell करते हैं तब हम stop loss, Market price से कम रखते हैं, इसके बारे में हम आगे detail में जानेंगे।

» दोस्तों अभी हम share buy करने के लिए SL order लगा रहे हैं, इसलिए market price से ज्यादा डाले हैं।

Share Buy करते समय Sl order, market price से ज्यादा इसलिए रखते हैं, कि कहीं अचानक से Market price बहोत ज्यादा बढ़ जाता है जब हम Buy पर click करते हैं तो ऐसे में महंगे price पर buy हो जाएगा और हमारा loss हो सकता हैं।

Example :

मानलो xyz Company का share price अभी 250/- हैं और हम जैसे ही Buy पर click करते हैं और उसका market price 260 हो जाता है तो हमे

नुकसान होगा इस नुकसान से बचने के लिए हम 251/- का stop loss लगाते हैं जिससे उस share का price 251 से कम रहे तो Buy हो जाएगा और अगर price 260 होगा तब हमारा order execute ही नहीं होगा जिससे हमारा loss नहीं होगा।

“I hope कि आपको Sl order बहोत अच्छे से समझ आ गया होगा।”

(3) GTT Order :

दोस्तों GTT का full farm 'Good Till Triggered" होता है और इसकी सबसे खास बात यह है कि एक बार आपने GTT order place कर दिया, तो यह order पूरे एक साल (365 दिन) तक Active रहेगा। हालांकी इस order को manually कभी भी कर cancel कर सकते हैं।

Note - अगर आप GTT का उपयोग option trading में करते हैं तो इस order की validity Option के expiry date तक ही रहेगा, न कि 365 दिन तक।

दोस्तों GTT order के through भी आप Intraday या delivery में order ले सकते हैं। लेकिन GTT की दूसरी सबसे खास बात यह है की इसमें आप share buy करते समय ही stop less और target दोनो एक साथ लगा सकते हो।

दोस्तों GTT order का उपयोग ज्यादातर ऐसे trader या Investor करते हैं। जो अक्सर market में Active नहीं रहते, जिनको समय नहीं है market को बार- बार देखने का या जो लोग Job में हैं। वो लोग अक्सर GTT order लगाकर काम करते हैं।

'दोस्तों वैसे तो GTT order का महत्व हम सभी के लिए बहोत ज्यादा है, यह trading को बहोत आसान बना देता है लेकिन यह features सभी brokers नहीं देते हैं।

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