अपने सबसे अच्छे रूप में, पैसा शेयरों में निवेश करना एक रोमांचक, आकर्षक प्रयास हो सकता है। ज्यादातर मामलों में, यथासंभव कई शेयर खरीदकर निवेशित पूंजी का लाभ उठाने के लिए एक अच्छी रणनीति है। जब बड़ी स्थिति से गुणा किया जाता है तो केवल कुछ पेनीयों का एक कदम अपेक्षाकृत कम समय में पर्याप्त लाभ के बराबर हो सकता है।
मार्जिन ट्रेडिंग क्या है, What is Margin Trading in Hindi
नमस्कार डियर पाठक आज के इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि (MTF) मार्जिन ट्रेडिंग क्या है, What is Margin Trading in Hindi, डियर पाठक मार्जिन ट्रेडिंग को यूं समझिए जैसे कि अभी आपको कोई चीज खरीदनी है और आपके पास पैसे नहीं है तो आपके दिमाग में यह ख्याल आता है कि काश थोड़े पैसे होते तो,
मैं इस चीज को लाभ उठाना और मार्जिन खरीद लेता ठीक उसी प्रकार मार्जिन ट्रेडिंग हैं, यहां पर आप अपनी खरीदने की क्षमता से 4 गुना अधिक फायदा उठा सकते हैं। जी हां बिल्कुल मार्जिन ट्रेडिंग (MTF) में यह सुविधा उपलब्ध है। और यह सुविधा एक इन्वेस्टर को कैसे मिलेगी इस आर्टिकल में जानेंगे इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
उदाहरण के लिए– आपका खाता शेष = ₹50,000
एमटीएफ (MTF) आपको 4x तक खरीदने की शक्ति प्रदान करता है = ₹2,00,000 (50,000 x 4)
मार्जिन ट्रेडिंग क्या है? What is Margin Trading?
स्टॉक मार्केट में मार्जिन ट्रेडिंग का मतलब उस प्रोसेस से हैं, जहां व्यक्तिगत (individual) इन्वेस्टर अपने शेयर खरीदने की क्षमता से अधिक शेयर्स खरीदते हैं। इंडिया में मार्जिन ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग को भी परिभाषित करती हैं। मार्जिन ट्रेडिंग की फैसिलिटी लगभग सभी ब्रोकर्स प्रोवाइड करवाते हैं। मार्जिन ट्रेडिंग के अंदर एक सिंगल सेशन में सिक्योरिटीज की खरीददारी और बिक्री शामिल रहती है। समय के साथ लगभग सभी ब्रोकर ने टाइम ड्यूरेशन के मामले में कुछ ढील दी है।
मार्जिन ट्रेडिंग में इन्वेस्टर एक पर्टिकुलर सेशन में शेयर के चाल का अनुमान लगाते हैं। और आज के दौर में इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक एक्सचेंजो की बदौलत, अब मार्जिन लाभ उठाना और मार्जिन ट्रेडिंग छोटे ट्रेडर्स के लिए भी अवेलेबल है। डियर पाठक आपको बता दें कि मार्जिन ट्रेडिंग की प्रोसेस काफी सिंपल है।
अकाउंट खुल जाने के बाद क्या करना होता है। What to do after opening an account?
अकाउंट खुल जाने के बाद इन्वेस्टर को इनिशियल मार्जिन का भुगतान करना होता है। और यह टोटल कारोबार वैल्यू का निश्चित प्रतिशत होता है, और इसको ब्रोकर निर्धारित करता है। मार्जिन अकाउंट से ट्रेडिंग शुरू करने से पहले इन्वेस्टर को तीन महत्वपूर्ण स्टेप्स ध्यान में रखने पड़ते हैं।
- सेशन के जरिए मिनिमम मार्जिन को मेंटेन करना होता है।
- हर ट्रेडिंग सेशन के खत्म होने पर अपनी पोजीशन पर वापस लौटना होता है। यानी अगर आपने कोई शेयर खरीदे हैं, तो उन्हें बेचना होगा, और अगर आपने शेयर बेचे हैं तो उन्हें सेशन खत्म होने से पहले खरीदना होगा।
- ट्रेडिंग के बाद शेयरों को डिलीवरी ऑर्डर में कन्वर्ट करना होता है।
छोटे पशुपालकों को नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ
आलम यह है कि पशु पालन विभाग से संचालित दुग्ध, अंडा उत्पादन इकाईयों का लाभ सिर्फ सक्षम और बड़े पशुपालक उठा रहे हैं। छोटे पशुपालक कम लाभ उठाना और मार्जिन पैसों की कोई योजना शुरू होने के इंतजार में पशुपालन विभाग के चक्कर लगा रहे हैं।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा.वाईपी सिंह का कहना है कि शासन से दुग्ध उत्पादन की इकाइयां तीन श्रेणियों में लांच की जा चुकी हैं। इनका लाभ पशुपालक उठा रहे हैं। भविष्य में छोटी योजना आने की उम्मीद हैं, इनका लाभ पशुपालकों को दिया जाएगा।
दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने अनेक कामगार योजनाएं चलाई हैं, लेकिन योजनाओं का गरीब पशुपालकों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
भास्कर एक्सप्लेनर: आप शेयर ट्रेडिंग करते हैं तो यह जानना आपके लिए जरूरी है; एक सितंबर से बदल रहा है मार्जिन का नियम
शेयर बाजार में एक सितंबर से आम निवेशकों के लिए नियम बदलने वाले हैं। अब वे ब्रोकर की ओर से मिलने वाली मार्जिन का लाभ नहीं उठा सकेंगे। जितना पैसा वे अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। इसे लेकर कई शेयर ब्रोकर आशंकित है कि वॉल्युम नीचे आ जाएगा। आइए समझते हैं क्या है यह नया नियम और आपकी ट्रेडिंग को किस तरह प्रभावित करेगा?
सबसे पहले, यह मार्जिन क्या है?
- शेयर मार्केट की भाषा में अपफ्रंट मार्जिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्दों में से एक है। यह वह न्यूनतम राशि या सिक्योरिटी होती है जो ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक स्टॉक ब्रोकर को देता है।
- वास्तव में यह राशि या सिक्योरिटी, बाजारों की ओर से ब्रोकरेज से अपफ्रंट वसूली जाने वाली राशि का हिस्सा होती है। यह इक्विटी और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग से पहले वसूली जाती है।
- इसके अलावा स्टॉक्स में किए गए कुल निवेश के आधार पर ब्रोकरेज लाभ उठाना और मार्जिन हाउस भी निवेशक को मार्जिन देते थे। यह मार्जिन ब्रोकरेज हाउस निर्धारित प्रक्रिया के तहत तय होती थी।
- इसे ऐसे समझिए कि निवेशक ने एक लाख रुपए के स्टॉक्स खरीदे हैं। इसके बाद भी लाभ उठाना और मार्जिन ब्रोकरेज हाउस उसे एक लाख से ज्यादा के स्टॉक्स खरीदने की अनुमति देते थे।
- अपफ्रंट मार्जिन में दो मुख्य बातें शामिल होती हैं, लाभ उठाना और मार्जिन पहला वैल्यू एट रिस्क (वीएआर) और दूसरा एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम)। इसी के आधार पर किसी निवेशक की मार्जिन भी तय होती है।
अमूल के साथ शुरू करें बिजनेस, कमा सकते हैं 5 लाख से 10 लाख रुपए महीना
अगर आप अपना कारोबार (business) शुरू करना चाहते है तो आज हम आपको एक ऐसे बिजनेस के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको शुरू कर के आप जल्दी मोटी कमाई कर सकते हैं। बता दें कि डेयरी प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी अमूल (Amul) ने आम लोगों के साथ बिजनेस करने लाभ उठाना और मार्जिन का एक सुनहरा मौका दिया है। दरअसल, अमूल फ्रेंचाइजी (Amul franchis) ने यह ऑफर निकाला है। इस छोटे निवेश में हर महीने रोजाना की तरह कमाई की जा सकती है। वहीं हर महीने अच्छी कमाई करने के लिए कोई भी अमूल की फ्रेंचाइजी ले सकता है। अच्छी खबर यह है कि किसी को फ्रेंचाइजी के लिए कोई रॉयल्टी या लाभ शेयर करने की आवश्यकता नहीं है और एक अच्छे लाभ के लिए केवल 2 लाख रुपये से 6 लाख रुपये खर्च करके इसे प्राप्त किया जा सकता है।
कौन सा विकल्प म्यूचुअल फंड पर बेहतर होता है: एक विकास विकल्प या लाभांश पुनर्निवेश विकल्प?
एक म्यूचुअल फंड का चयन करते समय, एक निवेशक को लगभग अंतहीन विकल्प चुनना पड़ता है अधिक भ्रामक फैसले के बीच में विकास विकल्प और एक लाभांश पुनर्निवेश विकल्प के साथ एक फंड के साथ एक फंड के बीच का विकल्प होता है। प्रत्येक प्रकार के फंड में इसके फायदे और नुकसान होते हैं, और यह तय करना कि एक बेहतर फिट एक निवेशक के रूप में आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। म्यूचुअल फंड पर विकास विकल्प का अर्थ है कि फंड में निवेशक को किसी भी लाभांश नहीं मिलेगा जो कि म्यूचुअल फंड में स्टॉक द्वारा भ
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