नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी (covid-19 pandemic) की तीसरी लहर (third wave) के बीच विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) में फिर इजाफा हुआ है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 जनवरी को समाप्त हफ्ते में 2.229 अरब डॉलर बढ़कर (increased by $2.229 billion) 634.965 अरब डॉलर हो गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी।
विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार
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भारतीय रिजर्व बैंक की विदेशी मुद्रा परिसम्पत्ति सरकार की विदेशी मुद्रा परिसम्पत्ति : भारतीय रिजर्व बैंक का स्वर्ण स्टॉक सरकार की विशेष आहरण अधिकार ,
Solution : आरबीआई के स्वामित्व वाली विदेशी मुद्रा/ परिसंपत्तियों, आरबीआई की स्वर्ण सम्पत्ति, स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDRs) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में जमा भारतीय मुद्रा को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल किया जाता है। 29 जनवरी, 2016 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ₹23,528 बिलियन था। 3 अक्टूबर, 2017 को भारतीय रिजर्व बैंक के पास विदेशी विनिमय भंडार 400 बिलियन डॉलर को पार कर गया इस प्रकार भारत विदेशी विनिमय भंडार के मामले में आठवें स्थान पर पहुंच गया है।
विनिमय दर में बदलाव का विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट में 67 प्रतिशत योगदान: आरबीआई
मुंबई, 30 सितंबर (भाषा) चालू वित्त वर्ष में अप्रैल विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार से विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी में विनिमय दर में हुए बदलाव का 67 प्रतिशत योगदान है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने तथा अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के बढ़ने से विनिमय दर में बदलाव देखने को मिला। गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में तेज गिरावट हुई है।
विदेशी मुद्रा भंडार दो अप्रैल को 606.475 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि 23 सितंबर को यह घटकर 537.5 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया। यह लगातार आठवां सप्ताह था, जब विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट हुई।
चालू वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार 28 सितंबर तक छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में 14.5 प्रतिशत की तेजी आई है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर मुद्रा बाजारों में भारी उथल-पुथल मची हुई है।
विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी कमी
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब भी रिकॉर्ड ऊंचाई विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार पर है। लेकिन इसमें पिछले छह महीने में बड़ी कमी आई है। पिछले साल सितंबर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 642 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया था। लेकिन अब यह छह सौ अरब डॉलर से नीचे आ गया है। एक तरफ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है और दूसरी ओर डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत ऐतिहासिक गिरावट पर है। पिछले महीने 29 अप्रैल को खत्म हुए कारोबारी हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 597 अरब डॉलर पर आ गया था और छह मई को खत्म हुए कारोबारी हफ्ते में डॉलर की कीमत 76 रुपए से ऊपर पहुंच गई थी।
बहरहाल, पिछले छह-सात महीने में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 44.73 अरब डॉलर कम हुआ है। सांस्थायिक विदेशी निवेशकों के पैसा निकालने की वजह से विदेशी मुद्रा कम हो रहा है। पिछले छह महीने में संस्थागत विदेशी निवेशकों ने 21.43 अरब डॉलर निकाल लिया है। यानी कम हुई विदेशी मुद्रा में आधा हिस्सा संस्थागत विदेशी निवेशकों का है। इसका प्रत्यक्ष कारण तो यह दिख रहा है कि अमेरिका में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला किया है। अमेरिका में मौद्रिक नीति में बदलाव से विदेशी निवेशक लौट रहे हैं। अकेले मार्च के महीने में विदेशी निवेशकों ने छह अरब डॉलर से ज्यादा निकाले। इसके विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार अलावा रूस और यूक्रेन की जगह की वजह से तेल की कीमतें बढ़ी हैं, जिनके डॉलर में भुगतान की वजह से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ रहा है। हालांकि भारत के लिए अब भी चिंता की कोई खास बात नहीं है लेकिन शेयर बाजार का उतार-चढ़ाव लंबे समय में मुश्किल का कारण बन सकता है। इसका असर हाल में लांच हुए एलआईसी के शेयरों पर भी पड़ सकता है।
विदेशी मुद्रा भंडार 2.229 अरब डॉलर बढ़कर 634.965 अरब डॉलर पर
नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी (covid-19 pandemic) की तीसरी लहर (third wave) के बीच विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) में फिर इजाफा हुआ है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 जनवरी को समाप्त हफ्ते में 2.229 अरब डॉलर बढ़कर (increased by 800.229 billion) 634.965 अरब डॉलर हो गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को जारी विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार आंकड़ों में यह जानकारी दी।
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रिजर्व बैंक के जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार 2.229 अरब डॉलर बढ़कर 634.965 अरब डॉलर हो गया। इससे पहले 7 जनवरी को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 87.8 करोड़ डॉलर घटकर 632.736 अरब डॉलर हो गया था, जबकि 3 सितंबर, 2021 को समाप्त हफ्ते में यह रिकार्ड 642.453 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक 14 जनवरी को समाप्त समीक्षाधीन हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल की वजह कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) और स्वर्ण आरक्षित भंडार में बढ़ोत्तरी है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान एफसीए 1.345 अरब डॉलर बढ़कर 570.737 अरब डॉलर हो गया। इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 27.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 39.77 अरब डॉलर हो गया।
आलोच्य सप्ताह विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार में 37.886 अरब डॉलर पर आ गया गोल्ड रिजर्व
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में भारत का स्वर्ण भंडार में भी कमी आयी है. 23 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह 30 करोड़ डॉलर घटकर 37.886 अरब डॉलर पर आ गया है. इससे पहले गोल्ड रिजर्व 45.8 करोड़ डॉलर कम होकर 38.186 अरब डॉलर रह गया था. इसी तरह आलोच्य विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार सप्ताह में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी एमआईएफ (IMF) में देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट (Special Drawing Rights) 93 करोड़ डॉलर घटकर 17.594 अरब डॉलर पर पहुंच गया. वहीं रिपोर्टिंग वीक में आईएमएफ के पास रखा देश का आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार 54 करोड़ डॉलर गिरकर 4.826 अरब डॉलर हो गया.
आरबीआई के अनुसार, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट को थामने के लिए वो लगातार डॉलर बेच रहा है. जिसकी वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आयी है. हालांकि आरबीआई का यह उपाय कारगर साबित नहीं हो रहा है. डॉलर को बेचने के बावजूद भारतीय करेंसी लगातार गिर रही है. बताते चलें कि सितंबर 2021 यानी एक साल पहले देश का विदेशी मुद्रा भंडार 642 अरब डॉलर था. जो एक साल बाद यानी सितंबर 2022 में 545.652 अरब डॉलर रह गया. इस तरह एक साल में भारत का कोष 100 अरब डॉलर कम हुआ है.
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