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Cryptocurrency की लेन-देन के लिए भारतीय बाजार में आने वाला है ये प्लेटफॉर्म, जानिए डिटेल

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देश में आरबीआई के निर्देशों के चलते क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेस (Crypto Currency exchanges ) कई तरह की बैंकिंग समस्याओं . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 14, 2021, 15:38 IST

नई दिल्ली . भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का रास्ता थोड़ा आसान होता दिख रहा है. हालांकि देश में आरबीआई के निर्देशों के चलते क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेस (Crypto Currency exchanges ) कई तरह की बैंकिंग समस्याओं का सामना कर रहे हैं. इसी कड़ी में यूके स्थित नेक्स्ट-जनरेशन क्रिप्टोकरेंसी बैंकिंग प्लेटफॉर्म (UK -based next-generation banking platform) कैशा (Cashaa) भारत आने की तैयारी कर रही है. वह अगस्त से यहां अपना ऑपरेशन शुरू कर सकती है. ये क्रिप्टो बैंक, क्रिप्टो ट्रेडर्स के बीच पीयर-टू-पीयर (P2P) ट्रेडिंग में मदद करेगा.

हाल के समय में बैंकिंग सेवाओं की अनुपस्थिति के चलते कई एक्सचेंज पीयर-टू-पीयर चैनल भी मुहैया करते हैं. जहां दो पार्टियों के बीच सीधे लेनदेन किया जाता है. P2P ट्रेडिंग में एक्सचेंज कस्टोडियन के तौर पर काम करता है.

विक्रेता को एक्सचेंज में ये क्रिप्टो जमा करना होता है. एक बार जब विक्रेता भुगतान की पुष्टि कर देता है, तो क्रिप्टो एक्सचेंज द्वारा ये खरीदार के खाते में रिलीज किया जाता है.

अगले महीने भारत आने की संभावना

कैशा के सीईओ और संस्थापक, कुमार गौरव ने कहा “हम अगले महीने भारत आएंगे. हम व्यक्तिगत बैंक खाते शुरू करेंगे, ताकि पर्सनल व्यापारी पीयर टू पीयर (P2P) ट्रेडिंग कर सकें. क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडर्स अब अपने बैंक खातों के फ्रीज होने के डर के बिना लेनदेन कर सकेंगे”.

ऑपरेशन सबसे पहले नई दिल्ली, गुजरात और राजस्थान से शुरू होगा. अगले चरण में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल भी शामिल होंगे.

इनके साथ है पार्टनरशिप

कैशा ने एक क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी (credit cooperative society), यूनाइटेड मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी (United Multistate Cooperative Society) के साथ हाथ मिलाया है.

ये ज्वाइंट वेंचर उपयोगकर्ताओं को एक ही खाते से क्रिप्टोकरेंसी और फिएट दोनों के लेनदेन की अनुमति देता है. बीटा प्लेटफॉर्म में 200 से ज्यादा क्रिप्टो बिजनेस हैं, जिनमें CoinDCX और Unocoin शामिल हैं.

कैशा, क्रिप्टोकरेंसी(cryptocurrency) पर लोन और डेबिट कार्ड भी ऑफर करेगा. ये प्लेटफॉर्म क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए लोन भी देगा.

बैंकिंग संकट

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 31 मई, 2021 को एक स्पष्टीकरण जारी किया कि बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency ) क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन पर पिछले साल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानना होगा. जिसमें भारत में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग के लिए बैंकिंग सेवाओं पर प्रतिबंध हटा दिया था. स्पष्टीकरण को एक महीने हो चुका है पर क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज अभी भी असमंजस में हैं.

आरबीआई का सर्कुलर ज्यादा नहीं बदला है, क्योंकि कई बैंक अभी भी क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों(cryptocurrency exchanges ) से दूरी बनाए हुए हैं. मई में आरबीआई (RBI) का सर्कुलर तब आया जब कई प्रमुख बैंकों ने अपने ग्राहकों को नोटिस भेजा कि अगर वे क्रिप्टो लेनदेन जारी रखते हैं, तो उनके खातों को निलंबित कर दिया जाएगा.

उस समय कई लोगों ने इसे एक सकारात्मक कदम के तौर पर इस उम्मीद से लिया कि क्रिप्टो ट्रेडिंग पर स्पष्टता आएगी, लेकिन इससे उलट एक्सचेंज अभी भी बैंकों के साथ तालमेल बिठाने में परेशानी महसूस कर रहे हैं, जो आज भी क्रिप्टो ट्रेडिंग के साथ जुड़ने में संकोच करते हैं.

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Cryptocurrency: भारत में लाने की तैयारी, चीन ने किया सभी क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन को अवैध घोषित

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह चुकी हैं कि वह क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े विधेयक को लेकर मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। प्रस्तावित विधेयक उसके सामने है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 24, 2021 17:45 IST

China declares all cryptocurrency transactions illegal- India TV Hindi

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China declares all cryptocurrency transactions illegal

बीजिंग/नई दिल्‍ली। एक ओर जहां भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारत में डिजिटज करेंसी मॉडल लाने की तैयारियों में जुटा है, वहीं दूसरी ओर चीन के केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को बिटकॉइन सहित अन्‍य वर्चुअल करेंसी में किए गए सभी लेनदेन को अवैध घोषित कर दिया है। चीन ने अनाधिकृत डिजिटल मनी के उपयोग को हतोत्‍साहित करने के लिए यह कदम उठाया है। 2013 में चीनी बैंकों द्वारा क्रिप्‍टोकरेंसी को संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन सरकार ने इस साल फ‍िर रिमाइंडर जारी किया। जो दर्शाता है कि सरकार की चिंता के बावजूद देश में क्रिप्‍टोकरेंसी की माइनिंग और ट्रेडिंग चोरी-छिपे चल रही है या सार्वजनिक वित्‍तीय प्रणाली के लिए परोक्ष रूप से जोखिम हो सकता है।

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शुक्रवार को जारी नोटिस में कहा गया है कि बिटकॉइन, एथेरियम और अन्‍य डिजिटल मुद्राएं वित्‍तीय प्रणाली में बाधा खड़ी कर रही हैं और इनका मनी-लॉन्ड्रिंग और अन्‍य अपराधों में उपयोग किया जा रहा है। पीपुल्‍स बैंक ऑफ चाइना ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि वर्चुअल करेंसी डेरीवेटिव ट्रांजैक्‍शन सभी अवैध वित्‍तीय गतिविधियां हैं और इन पर सख्‍त प्रतिबंध है। क्रिप्‍टोकरेंसी के प्रवर्तक कते हैं कि वे गोपनीयता और लचीलेपन की अनुमति देते हैं, लेकिन चीनी नियामकों को चिंता है कि वे वित्‍तीय प्रणाली क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन पर सत्‍तारूढ़ कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के नियंत्रण को कमजोर कर सकते हैं और आपराधिक गतिविधियों में मदद कर सकते हैं।

पीपुल्‍स बैंक ऑफ चाइना देश की आधिकारिक मुद्रा युआन के इलेक्‍ट्रॉनिक वर्जन को विकसित कर रही है, ताकि कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा दिया जा सके और इसपर बीजिंग द्वारा निगरानी व नियंत्रण रखा जा सके।

इस साल के अंत तक डिजिटज करेंसी मॉडल ला सकता है आरबीआई

भारतीय रिजर्व बैंक इस साल के अंत तक डिजिटल करेंसी का मॉडल ला सकता है। केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी पेश करने की संभावनाओं का आकलन कर रहा है। वह इसके विभिन्न पहलुओं मसलन दायरे, प्रौद्योगिकी, वितरण तंत्र तथा अनुमोदन की व्यवस्था पर गौर कर रहा है। इससे पहले शंकर ने 22 जुलाई को कहा था कि भारत भी चरणबद्ध तरीके से डिजिटल मुद्रा पर विचार कर रहा है। यह इसके लिए सही समय है।

शंकर ने कहा हम निकट भविष्य, संभवत: इस साल के अंत तक इसका मॉडल ला सकते हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय बैंक निजी डिजिटल मुद्रा को लेकर लगातार चिंतित है और उसने इस बारे में सरकार को अवगत करा दिया है।

क्रिप्टोकरेंसी विधेयक पर मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह चुकी हैं कि वह क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े विधेयक को लेकर मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। प्रस्तावित विधेयक उसके सामने है। डिजिटल मुद्राओं से जुड़े मुद्दों का अध्ययन करने और विशिष्ट कार्यों का प्रस्ताव पेश करने के लिए आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में गठित क्रिप्टोकरेंसी संबंधित अंतर-मंत्रालयी पैनल ने अपनी रिपोर्ट पहले ही जमा कर दी है।

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि भारत में सरकार द्वारा जारी किसी भी डिजिटल मुद्रा को छोड़कर, अन्य सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित कर दिया जाए। वित्त मंत्री ने कहा क्रिप्टोकरेंसी (विधेयक) पर मंत्रिमंडल का नोट तैयार है। मैं मंत्रिमंडल से इसे मंजूरी देने का इंतजार कर रही हूं।

Cryptocurrency News: क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन पर हो सकती है डेढ़ साल की जेल, बिना वारंट गिरफ्तारी का बनेगा कानून, विज्ञापन पर भी रोक

सरकार 20 करोड़ रुपये तक जुर्माना और डेढ़ साल की सजा का नियम भी बना सकती है। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के अंधाधुंध विज्ञापनों पर भी रोक लगाने की तैयारी में है।

क्रिप्टोकरेंसी पर बैन

सरकार संसद में चल रहे शीतकालीन शत्र में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सख्त कानून बना सकती है। इसके तहत क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन करने पर गैर जमानती धाराओं में बिना वारंट गिरफ्तारी कर जेल भेजा जा सकता है। इसके अलावा 20 करोड़ रुपये तक जुर्माने का भी प्रावधान होगा।

मामले से जुड़े अधिकारी ने बताया कि संसद में पेश होने वाले बिल के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री, जमा करने या होल्ड करने का काम सिर्फ एक्सचेंज के जरिये ही किया जाएगा। इसमें से किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है, जो गैर जमानती होगा।

सरकार 20 करोड़ रुपये तक जुर्माना और डेढ़ साल क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन की सजा का नियम भी बना सकती है। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के अंधाधुंध विज्ञापनों पर भी रोक लगाने की तैयारी में है, क्योंकि इससे निवेशकों को गलत जानकारी देकर उकसाने की शिकायतें मिली हैं। बिल में क्रिप्टोकरेंसी को होल्ड करने वाले वॉलेट पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है और यह काम सिर्फ एक्सचेंज के जरिये करने की छूट होगी। एक अनुमान के मुताबिक, करीब दो करोड़ भारतीयों ने क्रिप्टोकरेंसी में 45 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है।

निवेशकों को समय देगी सरकार
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बनने वाले कानून में सरकार निवेशकों को संपत्ति की घोषणा करने और नए नियमों का पालन करने के लिए पर्याप्त समय दे सकती है। इससे स्पष्ट है कि सरकार की मंशा इस पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाए नियमन करने की है। बिल में क्रिप्टोकरेंसी के बजाए क्रिप्टोएसेट शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा भी तय की जाएगी।

सेबी करेगा क्रिप्टो एक्सचेंज की निगरानी
सूत्रों का कहना है कि बाजार नियामक सेबी को क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज की निगरानी का जिम्मा सौंपा जाएगा। इसे संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किए जाने के बाद सिर्फ निवेश की छूट रहेगी और सेबी पूंजी बाजार की तरह इसका नियमन भी करेगा। देश में क्रिप्टोकरेंसी का आधार लगातार बढ़ता जा रहा है और सरकार निवेशकों को इसके जोखिम से बचाने की तैयारी में है। चेनालिसिस की अक्तूबर में जारी रिपोर्ट के अनुसार, जून 2021 तक भारत में क्रिप्टो का बाजार 641 फीसदी बढ़ चुका है।

विस्तार

सरकार संसद में चल रहे शीतकालीन शत्र में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सख्त कानून बना सकती है। इसके तहत क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन करने पर गैर जमानती धाराओं में बिना वारंट गिरफ्तारी कर जेल भेजा जा सकता है। इसके अलावा 20 करोड़ रुपये तक जुर्माने का भी प्रावधान होगा।

मामले से जुड़े अधिकारी ने बताया कि संसद में पेश होने वाले बिल के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री, जमा करने या होल्ड करने का काम सिर्फ एक्सचेंज के जरिये ही किया जाएगा। इसमें से किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है, जो गैर जमानती होगा।

सरकार 20 करोड़ रुपये तक जुर्माना और डेढ़ साल की सजा का नियम भी बना सकती है। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के अंधाधुंध विज्ञापनों पर भी रोक लगाने की तैयारी में है, क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन क्योंकि इससे निवेशकों को गलत जानकारी देकर उकसाने की शिकायतें मिली हैं। बिल में क्रिप्टोकरेंसी को होल्ड करने वाले वॉलेट पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है और यह काम सिर्फ एक्सचेंज के जरिये करने की छूट होगी। एक अनुमान के मुताबिक, करीब दो करोड़ भारतीयों ने क्रिप्टोकरेंसी में 45 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है।

निवेशकों को समय देगी सरकार
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बनने वाले कानून में सरकार निवेशकों को संपत्ति की घोषणा करने और नए नियमों का पालन करने के लिए पर्याप्त समय दे सकती है। इससे स्पष्ट है कि सरकार की मंशा इस पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाए नियमन करने की है। बिल में क्रिप्टोकरेंसी के बजाए क्रिप्टोएसेट शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा भी तय की जाएगी।

सेबी करेगा क्रिप्टो एक्सचेंज की निगरानी
सूत्रों का कहना है कि बाजार नियामक सेबी को क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज की निगरानी का जिम्मा सौंपा जाएगा। इसे संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किए जाने के बाद सिर्फ निवेश की छूट रहेगी और सेबी पूंजी बाजार की तरह इसका नियमन भी करेगा। देश में क्रिप्टोकरेंसी का आधार लगातार बढ़ता जा रहा है और सरकार निवेशकों को इसके जोखिम से बचाने की तैयारी में है। चेनालिसिस की अक्तूबर में जारी रिपोर्ट के अनुसार, जून 2021 तक भारत में क्रिप्टो का बाजार 641 फीसदी बढ़ चुका है।

जयप्रकाश चौकसे का कॉलम: क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल आकल्पन है, इसमें असल माल का लेन-देन नहीं होता, क्रिप्टो के मोल तेजी से घटते-बढ़ते हैं

जयप्रकाश चौकसे, फिल्म समीक्षक - Dainik Bhaskar

आदिवासी बस्तियों में सप्ताह में एक बार हाट-बाजार लगता है। शहद के बदले, तीर-कमान, जड़ी -बूटियों के बदले वस्त्रों के लेनदेन को बार्टर (वस्तु विनिमय) व्यवस्था कहते हैं। आवश्यकताओं की पूर्ति आपसी लेनदेन से होती रही। तब सोने-चांदी, तांबे आदि का सिक्का किसी ने देखा ही नहीं था। बादशाह मुहम्मद तुगलक ने अपने दौर में चमड़े की मुद्रा चलाने का विचार किया। उसने तय किया कि चमड़े पर बादशाह की मुहर लगते ही वह मुद्रा में बदल जाएगी। प्राय: नए विचार स्वीकार नहीं किए जाते। ऐसे विचार शक की निगाह से देखे जाते क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन हैं।

लैटिन भाषा में क्रिप्टो का अर्थ है, छुपा हुआ धन। क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल आकल्पन है। इसमें असल माल का लेन-देन नहीं होता। क्रिप्टो के मोल तेजी से घटते-बढ़ते हैं। इस क्षण का रुपया अगले ही क्षण एक पैसा बन जाता है। इसमें शेयर मार्केट की तरह उतार-चढ़ाव आते हैं। बहरहाल, सोने को खरा माल माना गया है। सोने की तलाश पर कई रोचक फिल्में बनी हैं। इसी कड़ी में अमेरिकन वेस्टर्न बहुसितारा फिल्म ‘मैकानोस गोल्ड’ अत्यंत सराही गई थी। सोने के प्रति मनुष्य के लालच पर चार्ली चैपलिन ने ‘गोल्ड रश’ नामक फिल्म बनाई थी । इसमें नायक, गोल्ड की तलाश में मारा-मारा क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन फिरता है। सोने की चाह और खोज में वह इतना भटकता है कि उसका भोजन तक समाप्त हो जाता है। वह अपने जूते के चमड़े के तले को उबालता है ताकि अपनी भूख को शांत करने का कुछ इंतजाम कर सके। चार्ली की इस फिल्म का संदेश स्पष्ट था कि अनार्जित धन की चाह में धन चाहने वाले शख्स को जूता भी खाना पड़ सकता है।

धन संग्रह से जुड़ी हुई बात है कंजूसी की। रवींद्रनाथ टैगोर की एक कथा में एक अमीर व्यक्ति बहुत ही कंजूस है और इस कारण से वह क्षेत्र में बुरी तरह बदनाम हो जाता है । उसका इकलौता पुत्र अपने पिता की कंजूसी और बदनामी के कारण उसे छोड़कर अन्य शहर में एक नए सरनेम के साथ जीवन शुरू करता है और कालांतर में उसके यहां एक बेटा भी होता है। इधर उसका कंजूस पिता धन संग्रह करता रहता है, क्योंकि उसे इसी में खुशी मिलती है। समय बीतने पर कंजूस को कहीं से ज्ञान होता है कि एकत्रित धन रखने के तहखाने में किसी बालक को बंद कर दें तो बाद में वह बालक नाग बनकर धन की रक्षा करता है और वंश के सदाचारी व्यक्ति को वह धन मिलता है। कंजूस को नदी के तट पर एक मासूम बालक मिलता है, जो उसे बताता है कि वह अपने पिता के साथ आने वाला था परंतु आवश्यक कार्य से पिता को कलकत्ता रुकना पड़ा इसलिए वह अकेला ही आया है। उसके पिता दो-तीन दिन बाद यहां आएंगे।

कंजूस व्यक्ति, उस अनजान बालक को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाता है। उसे तहखाने में चीखता हुआ छोड़ देता है। तीन दिन बाद कंजूस का पुत्र लौटा है और अपने पिता को बताता है कि उसने अपने पुत्र को गांव भेजा था, ताकि वो अपने दादा से मिल सके। कंजूस समझ लेता है कि उसने अपने ही पोते को तहखाने में बंद कर दिया था। वह पागल हो जाता है। बहरहाल बिटकॉइन, ब्लॉकचेन अत्यंत लोकप्रिय है। भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी प्रतिबंधित करने का प्रशंसनीय निर्णय लिया है। गोया की अमेरिका ने अपना सोना फोर्ट नॉक्स नामक क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन स्थान पर सुरक्षित रखा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुद्रा का मूल्य देश में जमा गोल्ड पर निर्भर करता है। आज आदिवासी जीवन की सादगी का समन्वय आधुनिकता से किया जा सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि वैश्विक आर्थिक मंदी की पदचाप सुनी जा सकती है। कुछ ही दिनों में वह हर द्वार पर दस्तक देगी। उस समय आभासी मुद्रा क्रिप्टो करेंसी का महत्व बढ़ सकता है। सोना ही हमेशा मानदंड बना रहेगा। लेकिन मनुष्य का लोभ-लालच इसी धरती मां को लूट रहा है, जिसने बहुत कुछ दिया है।

क्या है RBI का ‘डिजिटल रुपया', बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे है अलग

क्या है RBI का ‘डिजिटल रुपया', बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे है अलग

देश की डिजिटल मुद्रा- ‘डिजिटल रुपया’ (e₹) का पहला पायलट परीक्षण 1 नवंबर से शुरू हो गया. केंद्रीय बैंक (RBI) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया जारी किया है. इस परीक्षण में बैंक, सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन के लिए इस डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल करेंगे. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुरू ‘डिजिटल रुपये’ के पहले पायलट परीक्षण में ICICI बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा समेत कई बैंकों ने मंगलवार को सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन के लिए हिस्सा लिया.

न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ (सीबीडीसी) का इस्तेमाल करते हुए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को जीएस 2027 प्रतिभूतियां बेचीं. डिजिटल रुपये के साथ कुल मिलाकर 275 करोड़ रुपये के 48 सौदे हुए. भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और कोटक महिंद्रा बैंक ने भी डिजिटल रुपये (थोक खंड) (e₹-W) के पहले पायलट परीक्षण में भाग लिया.

आखिर क्या है डिजिटल रुपया उर्फ CBDC

डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency or CBDC) है. सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी. 30 मार्च 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया था. सीबीडीसी किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी होने वाले मौद्रिक नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे. डिजिटल रुपया, डिजिटल रूप में नकद रुपए-पैसे की ही तरह है. इसका उपयोग संपत्ति जमा करने के साधन के बजाय लेनदेन की मुद्रा के रूप में किया जाएगा. CBDC को फिजिकल तौर पर नष्ट, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है.

जिस देश का केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी को जारी करता है, उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है. यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होती है. इसकी खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है.

लीगल टेंडर है डिजिटल रुपया

भारतीय रिजर्व बैंक का CBDC एक लीगल टेंडर है. CBDC के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक RBI का बैकअप रहेगा. यह आम मुद्रा यानी फिएट मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा. फिएट मुद्रा, सरकार द्वारा जारी की जाने वाली करेंसी को कहा जाता है. इसलिए एक प्रकार से कह सकते हैं कि डिजिटल रुपया, सरकारी गारंटी वाला डिजिटल वॉलेट होगा. डिजिटल मुद्रा के रूप में जारी इकाइयों को चलन में मौजूद मुद्रा में शामिल किया जाएगा. जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBDC से भी आप लेनदेन कर सकेंगे. सरल शब्दों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे.

दो तरह की CBDC

रिटेल (CBDC-R): रिटेल CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी

होलसेल (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है.

पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और यूजर्स को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है. इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.

RBI को सीबीडीसी की शुरुआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी. यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और लिक्विडिटी के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग

डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में काफी अंतर है. इसलिए दोनों में कन्फ्यूज न हों. सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है. डिजिटल रुपये को केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है. इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है. वहीं क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट या वर्चुअल एसेट है. यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है. बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है.

कब होगा रिटेल सेगमेंट का ट्रायल

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि डिजिटल रुपये (खुदरा खंड) (e₹-R) का पहला पायलट परीक्षण नवंबर माह के आखिर में शुरू करने की योजना है. आरबीआई की डिजिटल मुद्रा में सौदों का निपटान करने से निपटान लागत में कमी आने की संभावना है. डिजिटल रुपये (थोक खंड) के पहले पायलट परीक्षण में हिस्सा लेने के लिए SBI, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC को चुना गया है.

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