रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, 1466 अंक टूटा सेंसेक्स, समझिए रुपया गिरते ही क्यों मच जाती है हाय-तौबा
डॉलर के मुकाबले रुपया 80.12 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा है. इसकी वजह से सेंसेक्स करीब 1466 अंकों की भारी गिरावट के साथ खुला. आइए समझते हैं रुपया गिरता है तो क्या होता है.
रुपया.. रुपया.. रुपया.. आज फिर से हर तरफ रुपये की ही बात हो रही है. एक दिन पहले ही सुपरटेक का ट्विन टावर जमींदोज हुआ है और अब रुपया अपने ऑल टाइम लो के लेवल पर जा पहुंचा है. पूरी मीडिया में ट्विन टावर छाया हुआ था, लेकिन रुपये की गिरावट ने ट्विन टावर के गिरने की खबर को थोड़ा फीका बना दिया है. रुपये ने 29 अगस्त को रेकॉर्ड निचला स्तर छुआ है और डॉलर के मुकाबले 80.12 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा है. इसकी वजह से शेयर बाजार भी धड़ाम हो गया है. शेयर बाजार में सेंसेक्स करीब 1466 अंकों की भारी गिरावट के साथ खुला. रुपये ने आज हर तरफ हाय-तौबा मचा दी है.
कितना गिर गिरता शेयर बाजार गया शेयर बाजार?
रुपये में गिरावट की वजह से सुबह सेंसेक्स करीब 1499 अंक गिरकर खुला. हालांकि, बाद के कारोबार में सेंसेक्स ने काफी हद तक रिकवर किया, लेकिन दोपहर तक भी सेंसेक्स 700-800 अंक से अधिक गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था. गिनी-चुनी कुछ कंपनियों को छोड़ दें तो सेंसेक्स की करीब 80 फीसदी कंपनियां लाल निशान गिरता शेयर बाजार में कारोबार कर रही थीं. शाम होते-होते सेंसेक्स की गिरावट 861 अंक रह गई और बाजार 57,972 अंकों पर बंद हो गया.
कितना और क्यों गिरा रुपया?
इस हफ्ते की शुरुआत रुपये में गिरावट के साथ हुई है. सोमवार को रुपया करीब 28 पैसे गिरकर 80.12 रुपये के स्तर पर पहुंच गया. हालांकि, बाद में रुपये में तेजी से रिकवरी भी देखने को मिली, जिसकी एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि रिजर्व बैंक ने कुछ डॉलर्स बेचे हों. इस गिरावट की वजह है डॉलर में आई मजबूती. इसके चलते सिर्फ रुपया ही नहीं, बल्कि बाकी देशों की करंसी भी कमजोर हुई है. डॉलर को मजबूती मिली है अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयान से. उन्होंने साफ कहा है कि केंद्रीय बैंक की सख्ती से परिवारों और कंपनियों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है.
ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने का सिलसिला अभी जारी रहेगा. उम्मीद की जा रही है कि अगली बैठक में ब्याज दरें 0.75 फीसदी तक बढ़ाने का ऐलान किया जा सकता है. अमेरिका अभी 1980 के बाद सबसे ज्यादा महंगाई देख रहा है. इसके चलते यूएस फेड दो बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है. अभी बेंचमार्क दर 1.5-1.75 फीसदी से बढ़कर 2.25-2.5 फीसदी की रेंज में पहुंच चुकी है.
ALSO READ
रुपया गिरने का क्या है मतलब?
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिका मुद्रा (डॉलर) के मुकाबले रुपया गिरने का मतलब है कि भारत की करंसी कमजोर हो रही है. इसका मतलब अब आपको आयात में चुकाई जाने वाली राशि अधिक देनी होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि ग्लोबल स्तर पर अधिकतर भुगतान डॉलर में होता है. यानी रुपया गिरता है हमे अधिक विदेशी मुद्रा खर्च करनी होती है, जिससे हमारा विदेशी मुद्रा भंडार कम होने लगता है. यही वजह है कि विदेशी मुद्रा भंडार पर संकट आते ही सबसे पहले तमाम देश आयात पर रोक लगाते हैं.
एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपको कुछ आयात करने में 1 लाख डॉलर देने पड़ रहे हैं. साल की शुरुआत में डॉलर की तुलना में रुपया 75 रुपये पर था. यानी तब जिस आयात के लिए 75 लाख रुपये चुकाने पड़ रहे थे, अब उसी के लिए 80 लाख रुपये चुकाने पड़ेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि अब डॉलर के मुकाबले रुपया 80 रुपये के भी ऊपर निकल चुका है.
रुपया गिरते ही क्यों टूट जाता है शेयर बाजार?
शेयर बाजार की चाल काफी हद तक सेंटिमेंट पर गिरता शेयर बाजार निर्भर करती है. ऐसे में अगर कोई महामारी जैसे कोरोना, राजनीतिक अस्थिरता या कोई बड़ा वित्तीय फ्रॉड सामने आ जाता है, तो लोग डरकर अपना पैसा निकलने लगते हैं. ऐसे में विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कमजोर होने लगता है और उसका सीधा असर शेयर बाजार पर देखने को मिलता है. रुपया गिरता है तो एक बात साफ हो जाती है कि अब आयात महंगा हो जाएगा. रुपया गिरने के वजह से विदेशी मुद्रा भंडार तुलनात्मक रूप से तेजी से कम होता है, ऐसे में उसका असर गिरता शेयर बाजार गिरता शेयर बाजार बाजार पर दिखता है.
घरेलू शेयर बाजार में लगातार तीसरे दिन गिरावट, बैंकिंग व IT शेयर गिरने से सेंसेक्स फिसला
शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी बुधवार को अपनी शुरुआती बढ़त खोकर लगातार तीसरे दिन नुकसान में नीचे बंद हुए। यूरोपीय बाजारों में कमजोर रुख के बीच ऑयल एंड गैस, बैंकिंग तथा आईटी शेयरों में जबरदस्त बिकवाली से इंडेक्स में गिरावट रही।
मुंबई (पीटीआई)। 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 372.46 अंक या 0.69 प्रतिशत फिसल कर 53,514.15 अंक के स्तर पर आकर बंद हुए। इंडेक्स में यह लगातार तीसरे दिन गिरावट रही। एशियाई बाजारों में लाभ के बीच सेंसेक्स खुलने के बाद दिन के उच्च स्तर 54,211.22 अंक तक पहुंच गया। बाद में बाजार बढ़त कायम रखने में नाकाम रहा और नकारात्मक यूरोपीय बाजार की वजह से 750 अंक से ज्यादा टूट कर 53,455.26 अंक के निचले स्तर तक आ गया था। इसी तरह एनएसई निफ्टी भी 91.65 अंक या 0.57 प्रतिशत लुढ़क कर 16,000 अंक के नीचे 15,966.65 अंक के स्तर पर आकर बंद हुआ।
एचयूएल सेंसेक्स पैक में टाॅप गेनर
सेंसेक्स पैक में शामिल इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी, भारती एयरटेल, एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस, टाइटन और एचसीएल टेक्नोलाॅजी के शेयर बिकवाली के दबाव में आकर टूट गए और नुकसान में लाल निशान के साथ बंद हुए। वहीं दूसरी ओर एचयूएल, एशियन पेंट्स, सनफार्मा, कोटक महिंद्रा बैंक, एनटीपीसी और नेस्ले इंडिया के शेयर बिकवाली के दबाव के बावजूद लाभ कमाने में कामयाब रहे और तेजी के साथ हरे निशान में बंद हुए।
कच्चा तेल 100 डाॅलर प्रति बैरल
एशिया में शंघाई, सियोल और टोक्यो के शेयर बाजारों में कारोबारी सौदे लाभ के साथ बंद हुए। वहीं हांगकांग के शेयर बाजारों में कारोबारी सौदे मामूली नुकसान के साथ लाल निशान में गिरता शेयर बाजार बंद हुए। यूरोपीय शेयर बाजारों में मिड सेशन सौदे नीचे भाव पर किए गए। अमेरिकी शेयर बाजार मंगलवार को नुकसान में नीचे भाव पर बंद हुए। इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का सौदा 1 प्रतिशत तेजी के साथ 100.5 डाॅलर प्रति बैरल के भाव पर किया गया। एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 1,565.68 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
बजट से पहले आम तौर पर गिरता है शेयर बाजार
मुंबई। संसद में आम बजट पेश होने से ठीक गिरता शेयर बाजार पहले शेयर बाजार के माहौल ने अब तक एक खास पैटर्न का संकेत दिया है। पिछले 10 मौकों पर बजट से एक महीना पहले शेयर बाजार में गिरावट आई है। लेकिन, पिछले 9 में से 7 मौकों पर बजट वाले दिन कोई बड़ी गिरावट या तेजी नहीं आई है।
फरवरी 2009 में बजट वाले दिन शेयर बाजार 3.42 फीसदी गिरा और उस महीने 0.19 फीसदी टूटा था। लेकिन, बजट के 1 महीने बाद मार्च में बाजार 3.89 फीसदी गिरा था। जुलाई, 2009 में आए बजट के दिन बाजार 5.83 फीसदी गिरा और उस महीने इसमें 7.02 गिरावट आई थी, लेकिन बजट के 1 महीने बाद अगस्त में बाजार 10.47 फीसदी चढ़ा था।
फरवरी 2010 में बजट वाले दिन शेयर बाजार 1.08 फीसदी चढ़ा और उस महीने इसमें 2.09 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन बजट के 1 महीने बाद मार्च में बाजार 7.4 फीसदी चढ़ा था। फरवरी, 2011 में बजट वाले दिन बाजार 0.69 फीसदी चढ़ा और उस महीने इसमें 3.11 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन बजट के 1 महीने बाद मार्च में बाजार 6.28 फीसदी चढ़ा था।
मार्च 2012 में बजट वाले दिन बाजार 1.19 फीसदी गिरा और उस महीने 3.79 फीसदी गिरावट आई थी, लेकिन बजट के 1 महीने बाद अप्रैल में बाजार 1.8 फीसदी गिर गया था। फरवरी, 2013 में बजट वाले दिन बाजार 1.52 फीसदी गिरा और उस महीने इसमें 6.18 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन बजट के 1 महीने बाद मार्च में बाजार 0.1 फीसदी गिर गया था।
फरवरी, 2014 में बजट वाले दिन बाजार 0.48 फीसदी चढ़ा और उस महीने इसमें 2.82 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन बजट के 1 महीने बाद मार्च में बाजार 6.69 फीसदी उछला था। जुलाई, 2014 में बजट वाले दिन बाजार 0.28 फीसदी गिरा और उस महीने 0.82 फीसदी गिरावट आई थी, लेकिन बजट के 1 महीने बाद अगस्त में बाजार 0.17 फीसदी गिरा था।
फरवरी 2015 में बजट के दिन बाजार 0.48 फीसदी चढ़ा और उस महीने इसमें 0.67 फीसदी गिरावट आई थी, लेकिन बजट के 1 महीने बाद मार्च में बाजार 4.72 फीसदी गिर गया था। फरवरी 2016 में बजट से पहले बाजार अब तक शेयर बाजर करीब 4.35 फीसदी टूटा है।
सेंसेक्स के 1,000 अंक गिरने से शेयर मार्केट में मचा हाहाकार, निवेशकों को एक झटके में 4 लाख करोड़ का नुकसान
घरेलू बाजार के इंट्राडे ट्रेड में शुक्रवार को एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई जिससे निवेशकों को लगभग 4 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सेंसेक्स के 1,गिरता शेयर बाजार 000 अंक गिरने से शेयर मार्केट में मचा हाहाकार, निवेशकों को एक झटके में 4 लाख करोड़ का नुकसान
Highlights दोपहर बाद एनएसई निफ्टी 300 अंक से अधिक गिरकर 17,350 अंक से नीचे आ गया। दूसरी ओर, 30 शेयरों का सेंसेक्स बेंचमार्क 1.71% यानी लगभग 1000 अंकों तक लुढ़क कर 58,100 अंकों पर कारोबार कर रहा है। महिंद्रा, एचडीएफसी ट्विन्स, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, कोटक बैंक, एनटीपीसी में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
नई दिल्ली: कमजोर वैश्विक संकेतों से आज घरेलू शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ खुले। घरेलू बाजार के इंट्राडे ट्रेड में शुक्रवार को एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई जिससे निवेशकों को लगभग 4 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। बीएसई में लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप फिसलकर 277.58 लाख करोड़ रुपये पर आ गया।
ग्लोबल मार्केट में मंदी और कुछ स्थानीय कारणों से बाजार में यह गिरावट दिख रही है। इस दौरान एनएसई निफ्टी 300 अंक से अधिक गिरकर 17,350 अंक से नीचे आ गया। वहीं दूसरी ओर, 30 शेयरों का सेंसेक्स बेंचमार्क 1.71% यानी लगभग 1000 अंकों तक लुढ़क कर 58,100 अंकों पर कारोबार कर रहा है।
टाटा स्टील, एचयूएल, इंफोसिस, एचसीएल टेक, टाइटन, आईटीसी, सन फार्मा ने बढ़त हासिल की वहीं दूसरी ओर पावर ग्रिड, टेक महिंद्रा, एचडीएफसी ट्विन्स, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, कोटक बैंक, एनटीपीसी में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
बीएसई पर शुरुआती कारोबार में सनफार्मा, हिन्दुस्तान यूनिलीवर, टाटा स्टील, इंफोसिह, HCL टेक जैसे शेयरों में तेजी थी। वहीं, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के शेयर में सबसे अधिक गिरावट देखी गई। इसके अलावा पावर ग्रिड, HDFC, कोटक बैंक, HDFC Bank, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, बजाज फाइनेंस, एसबीआई, एशियन पेंट, टेक महिन्द्रा, भारती एयरटेल, ICICI Bank, Titan, ITC, नेस्ले, बजाज फिनसर्व के शेयरों में गिरावट देखने को मिली थी। बाजार में गिरावट का बड़ा कारण बैंक, वित्तीय सेवाओं और ऑटो कंपनियों से जुड़े स्टॉक्स हैं।
व्यापक बाजार भी सूचकांक के अनुरूप गिरे। निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स शुरुआती कारोबार में 0.2 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गए। S&P 500 0.8 फीसदी की गिरावट के साथ 3,757.99 पर बंद हुआ। डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 0.4 फीसदी गिरकर 30,076.68 और नैस्डैक कंपोजिट 1.4 फीसदी गिरकर 11,066.81 पर बंद हुआ।
गिरते बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशकों का रिकॉर्ड निवेश
नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार (domestic stock market) में साल 2022 में आई गिरावट ने घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) को निवेश करने के लिए एक बड़ा मौका दे दिया है। इस साल घरेलू संस्थागत निवेशक (domestic institutional investors) भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश (Investing more than Rs 2 lakh crore) कर चुके हैं। घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार में निवेश का ये आंकड़ा एक कैलेंडर वर्ष में किए गए निवेश का अभी तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। ये स्थिति भी तब है, जबकि 2022 के खत्म होने में अभी भी छह महीने से ज्यादा समय बाकी है।
शेयर बाजार के जानकारों का मानना गिरता शेयर बाजार है कि घरेलू शेयर बाजार में मंदी का ये दौर अगर कुछ और समय तक जारी रहा, तो साल 2022 के अंत तक घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा शेयर बाजार गिरता शेयर बाजार में किए गए निवेश का आंकड़ा 5 लाख करोड़ रुपये के स्तर को भी पार कर सकता है। धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी के मुताबिक इस साल अभी तक शेयर बाजार में आई गिरावट के दौरान जहां घरेलू संस्थागत निवेशक नेट बायर (शुद्ध लिवाल) रहे हैं, तो वहीं विदेशी संस्थागत निवेशक नेट सेलर (शुद्ध बिकवाल) की भूमिका निभा रहे हैं।
धामी के मुताबिक यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने और इस बढ़ोतरी को जारी रखने का संकेत देने के बाद से ही विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार समेत दुनियाभर के ज्यादातर बाजारों से अपना पैसा निकालने में लगे हुए हैं। अपना पैसा निकालने के लिए विदेशी निवेशक चौतरफा बिकवाली कर रहे हैं, जिससे शेयर बाजार में तेज गिरावट का रुख बना है। दूसरी ओर यही गिरावट घरेलू संस्थागत निवेशकों के लिए कम कीमत पर शेयर खरीदने का अवसर भी बन गया है।
पिछले करीब 8 महीने से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का दौर लगातार जारी है। 19 अक्टूबर 2021 को बीएसई का सेंसेक्स 62,245.43 अंक के अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था। उसी दिन एनएसई के निफ्टी ने भी 18,604.45 अंक के स्तर पर पहुंच कर ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बनाया था। उसके बाद से शेयर बाजार में लगातार गिरावट का दौर जारी है। सेंसेक्स अपने ऑल टाइम हाई से करीब 10 हजार अंक नीचे लुढ़ककर कारोबार कर रहा है। वहीं निफ्टी में भी 2,800 अंक से अधिक की गिरावट आ चुकी।
अगर सिर्फ साल 2022 की ही बात की जाए, तो इस साल 18 जनवरी को सेंसेक्स 61,475.15 अंक के स्तर पर और निफ्टी 18,350 अंक के स्तर पर पहुंचा हुआ था। लेकिन उसके बाद की 5 महीने की अवधि में ही सेंसेक्स 8,675 अंक से ज्यादा और निफ्टी 2,570 अंक से अधिक लुढ़क चुका है।
मार्केट एनालिस्ट मयंक मोहन के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार को गिराने में विदेशी निवेशकों की बिकवाली का अहम योगदान रहा है। लेकिन उनकी इसी बिकवाली ने घरेलू संस्थागत निवेशकों को घरेलू शेयर बाजार में तुलनात्मक तौर पर कम कीमत में बड़ा निवेश करने का मौका मुहैया करा दिया है। गिरता शेयर बाजार इस निवेश के जरिए घरेलू संस्थागत निवेशकों के पास कम कीमत में अच्छे स्टॉक्स का बड़ा भंडार इकट्ठा हो गया है।
मयंक मोहन का कहना है कि कुछ समय बाद जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थितियां सुधरेंगी और शेयर बाजार बाउंस बैक करेगा, तो अभी बिकवाली करने वाले विदेशी निवेशक उस समय चौतरफा लिवाली करने में जुट जाएंगे। ऐसा होने पर उस समय घरेलू संस्थागत निवेशक अभी खरीदे गए शेयरों को ऊंची कीमत पर बिक्री करके अच्छा मुनाफा कमाने की स्थिति में होंगे।
हालांकि कुछ जानकारों का ये भी कहना है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों के लिए अभी जमकर खरीदारी करना उनके भविष्य के कारोबार के लिहाज से एक बड़ा जुआ भी साबित हो सकता है। क्योंकि अगर अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां उनकी उम्मीद के मुताबिक जल्द ही सकारात्मक नहीं हुईं और शेयर बाजार में तेजी का रुख नहीं बना, तो घरेलू संस्थागत निवेशकों के लिए इस साल अभी तक किए गए 2 लाख करोड़ रुपये के भारी भरकम निवेश को लंबे समय तक होल्ड कर पाना आसान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में अपना कारोबार जारी रखने के लिए उन्हें जबरदस्त नुकसान का सामना करके अभी के निवेश को बाजार में और भी कम कीमत पर निकालना भी पड़ सकता है।
स्टॉक ब्रोकर नीरव बखारिया के मुताबिक रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अगर लंबा खिंचा, तो पूरी दुनिया को एक बार फिर 2008 जैसी मंदी का सामना करना पड़ सकता है। खासकर अमेरिका समेत दुनिया के तमाम विकसित देशों में जिस तरह महंगाई बढ़ी है, उसने मंदी का संकेत दे दिया है। अमेरिका में महंगाई फिलहाल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है और पिछले 40 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थितियों में जल्द सुधार होने की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
हालांकि बखारिया का ये भी कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स इतने मजबूत हैं कि ग्लोबल मार्केट में बन रही दबाव की स्थिति का भारतीय बाजार पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ना चाहिए। भारतीय शेयर बाजार में निगेटिव ग्लोबल सेंटीमेंट्स कारण तात्कालिक असर जरूर पड़ सकता है, लेकिन लंबे समय तक ये गिरावट कायम रहने वाली नहीं है। इसलिए इस बात की संभावना कम ही है कि भारतीय शेयर बाजार लंबे समय तक गिरावट का शिकार बना रहेगा।
बखारिया का कहना है कि सेंसेक्स के लिए 52,0000 अंक के स्तर पर और निफ्टी के लिए 15,200 अंक के स्तर पर स्ट्रॉन्ग सपोर्ट बना हुआ है। सेंसेक्स के लिए 50,000 और निफ्टी के लिए 14,800 अंक के स्तर पर हेवी बैरियर भी है। अगर बिकवाली के दबाव में बाजार इस स्तर से नीचे चला जाता है, तो इसे घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा पिछले पांच-छह महीने में किए गए ताबड़तोड़ निवेश के लिए खतरे की घंटी मानना चाहिए। अगर इस बैरियर के पहले ही शेयर बाजार की गिरावट रुक जाती है, तो फिर उसके बाउंस बैक करने में देर नहीं लगेगी। और जैसे ही शेयर बाजार बाउंस बैक करेगा, वैसे ही घरेलू संस्थागत निवेशकों की गिरावट वाले बाजार में निवेश करने की रणनीति पूरी तरह से सफल हो जाएगी। (एजेंसी, हि.स.)
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 763