युवा अवस्था की ज़िम्मेदारियाँ : युवा अवस्था में नौकरी पेशा व्यक्ति, उन दिनों की जिम्मेदारियों जैसे कि घर का किराया, बच्चों की पढाई का खर्चा आदि को निभाते निभाते अपने बुढ़ापे की आर्थिक ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ कर देता हैं और फिर एक ऐसा समय आता हैं जब उसे पैसो की ज़रूरतों को पूरा करने के अपने बच्चों या फिर रिश्तेदारों पर निर्भर होना पड़ता हैं | इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता हैं कि आप युवा अवस्था से ही अपनी रिटायरमेंट को बेहतर बनाने का प्रयास करे और यह आप एक सही रिटायरमेंट पॉलिसी ले के कर सकते है |

Price Volume Breakout: LIC समेत इन शेयरों में दिखी भारी खरीदारी

: सकारात्मक ग्लोबल संकेतों के बीच आज निफ्टी में तेजी देखने को मिली है। निफ्टी (Nifty) आज 50 अंकों की तेजी से साथ खुला है। हम आपको इस लेख के जरिए उन शीर्ष शेयरों के बारे में बता रहे हैं, जिनमें आज प्राइस वैल्यूम ब्रेकआउट देखने को मिल रहा है। निफ्टी 50 अंकों के उछाल के साथ 18,435.15 स्तर पर खुला, जबकि कल निफ्टी 18,385.3 पर बंद हुआ था। वैश्विक स्तर सकारात्मक उपज निवेश की रेटिंग संकेतों के कारण ऐसा देखने को मिला है। मुख्य वॉल स्ट्रीट सूचकांकों में चार दिन की गिरावट के बाद आज सकारात्मक पर समाप्त हुआ।

हॉलीडे शॉपिंग और बैंक ऑफ जापान (बीओजे) की मौद्रिक नीति के बदलाव के कारण बॉन्ड उपज में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी होने के कारण निवेशक खरीदारी को लेकर सतर्कता रख रहे हैं। रातोंरात के कारोबार में नैस्डैक कंपोजिट (Nasdaq Composite) 0.01% पर फ्लैट रहा, जबकि डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल (Dow Jones Industrial) में एवरेज 0.28% की तेजी आई और एसएंडपी 500 ( S&P 500) में 0.1% की तेजी के साथ बंद हुआ है। सुबह 10:25 बजे, निफ्टी 50 32.8 अंक या 0.18% की गिरावट के साथ 18,352.5 पर कारोबार कर रहा था। वहीं व्यापक बाजार सूचकांकों ने सीमावर्ती सूचकांकों से बेहतर प्रदर्शन किया। जबकि 100 इंडेक्स 0.23% ऊपर कारोबार कर रहा है। वहीं निफ्टी स्मॉल-कैप 100 इंडेक्स 0.15% बढ़ा है। 20 दिसंबर के डेटा के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 455.94 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 494.74 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। आज जिन शेयरों में प्राइस वॉल्यूम ब्रेकआउट देखने को मिला है, वे निम्न हैं:

(Disclaimer: This above is third party content and TIL hereby disclaims any and all warranties, express or implied, relating to the same. TIL does not guarantee, vouch for or endorse any of the above content or its accuracy nor is responsible for it in any manner whatsoever. The content does not constitute any investment advice or solicitation of any kind. Users are advised to check with certified experts before taking any investment decision and take all steps necessary to ascertain that any information and content provided is correct, updated and verified.)

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रिटायरमेंट पेंशन प्लान्स

सेवानिवृत्ति बीमा योजनाओं के साथ स्टाइल में अपनी सेवानिवृत्ति का आनंद लें

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सेवानिवृत्ति पेंशन योजनाएं आपको वर्षों में अपनी कमाई को निवेश करने में मदद करती हैं और एक ऐसा फंड बनाती हैं जिसे आप अपने सेवानिवृत्ति के वर्षों के दौरान पूर्ण रूप से या इसे भागों में निकाल सकते हैं। इसके अलावा, ये योजनाएं आपके जीवन के सुनहरे वर्षों निवेश के साथ सुरक्षा के दोहरे लाभों के साथ आपकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए आदर्श हैं। जीवन यापन की उच्च लागत और बढ़ती मुद्रास्फीति को देखते हुए, सेवानिवृत्ति योजना अधिक आवश्यक हो गई है।

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रिटायरमेंट प्लान के लाभ

    युवा अवस्था की ज़िम्मेदारियाँ : युवा अवस्था में नौकरी पेशा व्यक्ति, उन दिनों की जिम्मेदारियों जैसे कि घर का किराया, बच्चों की पढाई का खर्चा आदि को निभाते निभाते अपने बुढ़ापे की आर्थिक ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ कर देता हैं और फिर एक ऐसा समय आता हैं जब उसे पैसो की ज़रूरतों को पूरा करने के अपने बच्चों या फिर रिश्तेदारों पर निर्भर होना पड़ता हैं | इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता हैं कि आप युवा अवस्था से ही अपनी रिटायरमेंट को बेहतर बनाने का प्रयास करे और यह आप एक सही रिटायरमेंट पॉलिसी ले के कर सकते है |

सेवानिवृत्ति योजनाएँ या पेंशन योजनाएँ क्या हैं?

सेवानिवृत्ति योजना या पेंशन योजना एक विशिष्ट प्रकार की बीमा पॉलिसी हैं जो आपको एक आरामदायक सेवानिवृत्त जीवन जीने में मदद करती हैं। ये योजनाएं आपको सुरक्षा प्रदान करती हैं और निवेश नीतियों के रूप में भी कार्य करती हैं जो सेवानिवृत्ति के बाद की आपकी जरूरतों जैसे चिकित्सा खर्च, रहने की लागत आदि को पूरा करने के लिए एक कोष जमा करने में मदद करती हैं।

ये योजनाएं आपकी कमाई को वर्षों में निवेश करती हैं और एक फंड बनाती हैं, जिसका उपयोग आप एक बार में या सेवानिवृत्ति के दौरान भागों में करते हैं। पर्याप्त निवेश और उचित योजना के साथ, आप आसानी से अपने सुनहरे वर्षों की योजना बना सकते हैं और सेवानिवृत्ति के बाद भी आय के एक स्थिर प्रवाह के साथ अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं।

आपको एक सेवानिवृति योजना की आवश्यकता क्यों है?

हम अपनी दिन-प्रतिदिन की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी मेहनत की कमाई का निवेश इतना अधिक करते हैं कि हम अपने बाद के वर्षों में अपने लिए एक आरामदायक और समृद्ध जीवन हासिल करने पर बहुत कम ध्यान देते हैं।

हममें से अधिकांश लोगों के नौकरी और यहां तक कि अच्छे लाइफ स्टाइल की मांग करते हैं| हमारे तनावपूर्ण जीवन की दैनिक भागदौड़ में, क्या हम अपने सेवानिवृत्ति के बाद के जीवन के बारे में भी सोचते हैं? लेकिन इस सबके जिम्मेदार हम सब स्वयं हैं गहरी सांस गहरी सांस लें और अपने भविष्य के बारे में सोचें| यदि हम अपनी सेवानिवृति के बाद के जीवन का आनंद नहीं ले पा रहे हैं तो इतनी मेहनत करने का क्या मतलब है? लाइफस्टाइल के अलावा, हमारे पास अपने परिवारों के प्रति जिम्मेदारियां हैं जो सेवानिवृत्ति के साथ दूर नहीं हो सकती हैं।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपकी सेवानिवृत्ति के बाद का जीवन सुचारू और शांतिपूर्ण रहे और आपके परिवार की देखभाल भी अच्छी तरह से होती रहे, अब आपके उपज निवेश की रेटिंग लिए सेवानिवृत्ति की योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण है। अपनी वर्तमान आयु, आय, लाइफ स्टाइल जीवन शैली और जीवन लक्ष्यों के आधार पर, आप एक निवेश राशि चुन सकते हैं और अपनी सेवानिवृत्ति के लिए योजना बना सकते हैं।

क्या आप रिटायरमेंट के बाद की आय में विश्वास रखते हैं?

प्रोफेशनल लाइफ से सेवानिवृत्ति का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि आप नियमित आय प्राप्त करना बंद कर दें। सेवानिवृत्ति योजनाएं आपको अपनी बचत का एक हिस्सा आवंटित करने और उन्हें समय के साथ बढ़ने देती हैं। फिर आप सेवानिवृत्त होने के बाद नियमित भुगतान प्राप्त करने का विकल्प चुन सकते हैं।

उपज निवेश की रेटिंग

न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी क्या है? Srote | April 2021 यह तो लगभग सब जान गए हैं कि एमएसपी या न्यूनतम समर्थन मूल्य महत्वपूर्ण चीज़ है। लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका निर्धारण कैसे किया जाता है। इसके पीछे तर्क क्या हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य, उसके निर्धारण, उसके महत्व और सीमाओं को समझने के लिए थोड़ा इतिहास में झांकना होगा। सोमेश केलकर

एमएसपी का इतिहास

एमएसपी की व्यवस्था 1966-67 में गेहूं के लिए शुरू की गई थी। मकसद यह था कि सरकार द्वारा संचालित रियायती सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए गेहूं की खरीद की जा सके। आगे चलकर इस व्यवस्था को अन्य ज़रूरी फसलों पर भी लागू किया गया । वर्तमान में कृषि लागत व मूल्य आयोग की अनुशंसा के आधार पर एमएसपी 23 फसलों पर लागू है। इनमें सात अनाज (चावल, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौं और रागी), पांच दालें (चना, तुअर, मूंग, उड़द और मसूर), आठ तिलहन (सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, तोरिया, तिल, केसर बीज, सूरजमुखी और रामतिल) शामिल हैं। इनके अलावा 4 व्यावसायिक फसलें भी शामिल की गई हैं: खोपरा, गन्ना, कपास और पटसन।

एमएसपी का तर्क

अब यह देखते हैं कि एमएसपी क्या है और इसके पीछे तर्क क्या है। सरल शब्दों में कहें तो एमएसपी सरकार द्वारा किसानों को प्रदान की गई सुरक्षा है । इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसानों को कीमतों की गारंटी रहे और बाज़ार का आश्वासन रहे । एमएसपी-आधारित खरीद प्रणाली का मकसद फसलों को कीमतों के उतार-चढ़ाव से महफूज़ रखना है। कीमतों में यह उतार-चढ़ाव कई अनपेक्षित कारणों से होता रहता है, जैसे मॉनसून, बाज़ार में एकीकरण का अभाव, जानकारी में असंतुलन वगैरह ।

कृषि उत्पादों की कीमतें कई कारणों से प्रभावित होती हैं। जैसे यदि किसी फसल का उत्पादन अच्छा हो, तो उसकी कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है। इसका परिणाम होगा कि किसान अगले वर्ष उस फसल को बोने से कतराएंगे, जिसका असर आपूर्ति पर पड़ेगा। इससे बचाव के लिए सरकार एमएसपी निर्धारित करती है ताकि निवेश और फसल उत्पादन बढ़े । इससे यह सुनिश्चित होता है कि यदि उपज निवेश की रेटिंग बाज़ार में किसी फसल उत्पाद की कीमतें गिरने लगें, तो भी सरकार किसानों से इसे निर्धारित समर्थन मूल्य पर खरीद लेगी। इस तरह से उन्हें नुकसान से बचाया जाता है।

एमएसपी कैसे तय होता है?

एमएसपी का निर्धारण साल में दो बार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिश पर किया जाता है। यह आयोग एक संवैधानिक निकाय है और खरीफ व रबी मौसम की अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग मूल्य नीति रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।

रिपोर्ट पर विचार करके अंतिम निर्णय केंद्र सरकार लेती है। इससे पहले वह राज्य सरकारों से सलाह-मशवरा करती है उपज निवेश की रेटिंग और देश में मांग-आपूर्ति की समग्र स्थिति पर भी विचार करती है। एमएसपी की गणना जिस सूत्र के आधार पर की जाती है, उसे 'A2+FL' सूत्र कहते हैं और इसमें C2 लागत का भी ध्यान रखा जाता है। A2 लागत में किसान द्वारा उठाए गए सारे खर्चों को शामिल किया जाता है जैसे बीज, उर्वरक, रसायन, नियुक्त मज़दूर, ईधन, सिंचाई वगैरह । 'A2+FL' में ये सारी नगद लागतें और अवैतनिक पारिवारिक श्रम की अनुमानित लागत (FL) जोड़ी जाती हैं । C2 लागत में A2+FL के अलावा किसान की अपनी भूमि तथा अचल सम्पत्ति का किराया और फसल लगाने की वजह से ब्याज का जो नुकसान हुआ है वह भी जोड़ा जाता है।

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग लाभ की गणना के लिए मात्र A2+FL को ध्यान में लेता है। बहरहाल, C2 लागतों का उपयोग एक संदर्भ के रूप में किया जाता है ताकि यह फैसला हो सके कि आयोग द्वारा अनुशंसित एमएसपी कुछ प्रमुख राज्यों में इन लागतों को शामिल कर रहा है। एमएसपी की गणना में कई बातों का ध्यान रखा जाता है:

4. कीमतों में उतार-चढ़ाव

5. बाज़ार में कीमतों के रुझान

7. अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कीमतें

8. कृषि मज़दूरी की दरें

यदि हम A2, FL और C2 में शामिल किए गए मदों को देखें तो लगता है कि उक्त सूत्र में सब कुछ शामिल हो गया है। लेकिन यह बात सच से कोसों दूर है। निर्धारित कीमतों में कुछ निहित समस्याएं होती हैं, जिनका समाधान नहीं किया जा सकता, चाहे जितनी समग्र सूची बना ली जाए ।

दूसरी समस्या क्रियांवयन की है। चाहे एमएसपी मौजूद है, लेकिन मैदानी हकीकत यह है कि अधिकांश किसानों को अपनी उपज मजबूरन एमएसपी से कम दामों पर बेचनी पड़ती है। आइए एमएसपी व्यवस्था की दिक्कतों पर एक नज़र डालते हैं खरीद की एक प्रणाली के रूप में भी और समर्थन की एक व्यवस्था के रूप में भी।

एमएसपी की सीमाएं

एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण की 2012-13 की रिपोर्ट के मुताबिक 10 प्रतिशत से भी कम किसान अपनी उपज सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी पर बेचते हैं। दी हिंदू में प्रकाशित एक विश्लेषण बताता है कि सितंबर 2020 में 68 प्रतिशत मामलों में फसलें एमएसपी से कम कीमतों पर बेची गई थीं।

एमएसपी की प्रमुख समस्या है सरकार के पास गेहूं और चावल के अलावा शेष सारी फसलों को खरीदने की व्यवस्था का अभाव । गेहूं और चावल की खरीद भारतीय खाद्य निगम द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत की जाती है। एक सवाल यह भी पूछा जाना चाहिए कि क्या एमएसपी बढ़ाने से किसानों को उनकी उपज के बेहतर दाम मिलेंगे।

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Extra Income: काम के अलावा आप घर बैठे हर महीने 15000₹ से 30000₹ कमा सकते हैं, लेकिन कैसे?

The Chopal, New Delhi: अगर आप भी नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं या सिर्फ सैलरी से घर का खर्च नहीं चल रहा है तो यह खबर आपके काम की है. आज हम आपको इस खबर पर काम करने के साथ-साथ घर बैठे 20 से 30 लाख रुपये कमाने का तरीका बताने जा रहे हैं.

आज के दौर में हर कोई जीतने के तरीके ढूंढ रहा है. बिना जीते जीना बहुत मुश्किल हो जाता है. वहीं, कम उम्र में भी लोग पैसे कमाने के तरीके ढूंढ लेते हैं, लेकिन उन्हें कमाई के बेहतर मौके नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में आज हम आपको कमाई का एक ऐसा तरीका बताने जा रहे हैं जिसे अगर सीमित तरीके से किया जाए तो 20 साल के बच्चे भी आसानी से पैसे कमा सकते हैं और छोटी राशि का टारगेट बनाकर भी आप अच्छी कमाई कर सकते हैं. कि आप कमाते हैं

20 साल की उम्र में लोग पढ़ाई करते हैं या कोई नया काम शुरू करते हैं. ऐसे में अगर उस वक्त आपके घर में कुछ आमदनी होती भी है तो यह रकम भी इस उम्र में ज्यादा लगती है. यहां बताया गया है कि आप 20 साल की उम्र में घर बैठे हर महीने 10,000 रुपये कैसे कमा सकते हैं.

वास्तव में शेयर बाजार से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. हर शनिवार और रविवार को शेयर बाजार बंद रहता है. ऐसे में शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए महीने के सिर्फ 22 दिन ही मिलते हैं. वहीं अगर इन 22 दिनों में से दो अवकाश उपज निवेश की रेटिंग भी हटा दिए जाएं तो शेयर बाजार में महीने में करीब 20 दिन कारोबार होने की संभावना रहती है.

ऐसे में 20 साल की उम्र में अगर शेयर बाजार से हर महीने 10,000 रुपये अतिरिक्त आय अर्जित करने का लक्ष्य रखा जाता है, तो 10,000 रुपये की राशि को शेयर बाजार में 20 कारोबारी दिनों में बांटना होगा. . . . ऐसे में रोजाना के 500 रुपए निकल जाते हैं.

ऐसे में अगर शेयर बाजार में छोटी रकम का निवेश कर कारोबारी घंटों के दौरान ट्रेडिंग की जाए तो हर दिन 500 रुपये का मुनाफा दर्ज होना चाहिए. यदि आप शेयर बाजार में प्रतिदिन औसतन 500 रुपये का लाभ कमाते हैं, तो आपने उसी महीने के 20वें कार्य दिवस पर 10,000 रुपये का लाभ कमाया है.

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