मांसपेशियों में खिंचाव - Muscle Strain in Hindi
मांसपेशियों में किसी प्रकार के छेद, दरार या तनाव आने की स्थिति को मांसपेशियों में खिंचाव कहा जाता है। यह तब होता है जब आप अपनी मांसपेशियों को सामान्य से अधिक फैला देते हैं या उनकी क्षमता से अधिक उनका इस्तेमाल करते हैं। सबसे अधिक खिंचाव अक्सर पैर की मांसपेशियों में आता है। मांसपेशियों में खिंचाव अक्सर खेल-कूद के दौरान, लंबे समय से किसी खराब मुद्रा में खड़े रहने या फिर किसी प्रकार की चोट लगने के कारण होता है। कुछ ऐसी भी स्थितियां हैं जिनसे मांसपेशियों में खिंचाव होने की संभावना बढ़ जाती है, जैसे वृद्धावस्था, मांसपेशियों में लचीलता की कमी, ताकत की कमी, थकान और पहले कभी चोट लगी होना आदि।
मांसपेशियों में खिंचाव आने से प्रभावित त्वचा में सूजन, कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है लालिमा या त्वचा नीली पड़ने जैसे लक्षण विकसित होते है। मांसपेशियों में खिंचाव की स्थिति से मांसपेशियों की शक्ति कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है कम हो जाती है और यहां तक की प्रभावित मांसपेशी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है।
मांसपेशियों में खिंचाव का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर आपसे आपकी पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछेंगे और आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे। मांपेशियों में खिंचाव की पहचान के लिए कोई विशेष शारीरिक परीक्षण नहीं होता है।
अधिक थकान होने से बचना और किसी जटिल एवं कठोर शारीरिक गतिविधि या व्यायाम करने से पहले थोड़ा वॉर्म-अप करने से मांसपेशियों में खिंचाव आने से बचाव किया जा सकता है। यदि मांसपेशियों में खिंचाव की स्थिति अधिक गंभीर नहीं है तो इसका इलाज घर पर ही गर्म व ठंडी चीजों से सिंकाई करके और सूजन की रोकथाम करने वाली अन्य दवाएं देकर किया जाता है। यदि मांसपेशियों में गंभीर रूप से खिंचाव आ गया है या फिर मांसपेशी मे छेद या दरार बन गई है तो इसका इलाज करने के लिए मेडिकल उपचार की आवश्यकता पड़ती है।
जब रुपया गिरता है तो इसका क्या असर होता है, समझिए आसान भाषा में
Dollar Rate Effect: अक्सर देखा जाता है कि लोग डॉलर के रेट को लेकर चिंता में रहते हैं. क्या आप जानते हैं कि आखिर जब डॉलर के सामने रुपया कमजोर होता है तो भारत पर कैसे असर पड़ता है.
अमेरिकन डॉलर के सामने भारत का रुपया लगातार गिरता जा रहा है. मंगलवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले सात पैसे की गिरावट के साथ 82.37 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ. ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब भारतीय करेंसी इतने निचले स्तर पर जा चुकी है. भारतीय करेंसी डॉलर के सामने लगातार गिरावट की ओर जा रही है. इन दिनों रुपये के कमजोर ना होने और डॉलर के ज्यादा मजबूत होने पर भी बहस चल रही है. ऐसे में सवाल है कि आखिर रुपया गिरता है तो इससे असर क्या होता है.
तो आज हम आपको बता रहे हैं कि जब भी पैसा गिरता है तो भारत में आम आदमी पर क्या असर होता है. साथ ही जानते हैं कि किस तरह से डॉलर और रुपये की वैल्यू लोगों को प्रभावित करती है….
वैसे भारत भी काफी चीजें विदेश में निवेश करता है, लेकिन भारत का आयात, भारत के निवेश से ज्यादा है. यानी हम सामान बेचते कम हैं, जबकि खरीदते ज्यादा हैं. ऐसे में हमारे पास डॉलर आता कम है और जाता ज्यादा है. यानी भारत में अरबों का माल डॉलर की कीमत के आधार पर खरीदा जाता है. इस वजह से भारत को डॉलर के एवज में ज्यादा देने होते हैं. अब जितना ज्यादा डॉलर की वैल्यू होगी, उतनी ही ज्यादा कीमत भारत को आयात सामान के लिए चुकानी होगी.
क्या है आयात-निर्यात का हिसाब?
अगर सितंबर के आयात-निर्यात के आंकड़े देखें तो भारत ने निर्यात कम किया है, जबकि आयात काफी ज्यादा है. आयात ज्यादा होने से भारत को व्यापार घाटा 1 लाख 24 हजार 740 करोड़ रुपये का हुआ. यानी जितने रुपये बेचने से आए, उससे ज्यादा पैसे दूसरे सामान खरीदने में लग गए. ऐसे में डॉलर की कीमत गिरने से भारत को नुकसान ही हो रहा है, क्योंकि व्यापार घाटा भारत का काफी ज्यादा है.
दुनिया में करीब 80 फीसदी व्यापार डॉलर में होता है. हर सामान के बनने में डॉलर का इस्तेमाल हुआ है. किसी ना किसी के सामान की प्रोसेस वो आइटम इस्तेमाल होता है, जो विदेश से आता है. इसका मतलब है कि उसके लिए ट्रेड डॉलर में ही किया होगा. सीधे शब्दों कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है में कहें तो आपके काम में आने वाले अधिकतर सामान का संबंध डॉलर से होता है और उससे बनने तक ट्रेड डॉलर में हो रखा होता है. ऐसे में हर सामान पर डॉलर और भारती करेंसी की वैल्यू से असर पड़ता है. अगर डॉलर की वैल्यू ज्यादा है तो हमारे लिए सामान की कीमत ज्यादा हो कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है जाएगी.
अब असर की बात करें तो यह साफ है कि जब भारत का खर्चा ज्यादा हो रहा है तो भारत के लिए यह गलत संकेत है, जिसका असर हर वर्ग पर पड़ता है. इसके साथ ही जो व्यापार आयात पर ज्यादा निर्भर करते हैं, उन व्यापार से जुड़े सामान भी डॉलर की कीमत बढ़ने पर बढ़ जाते हैं. लेकिन, भारत में अधिकतर सामान में आयात से जुड़ी चीजे शामिल हैं, जिससे कीमतें लगातार बढ़ती जाती हैं.
Rupee at All time Low: रुपए में रिकॉर्ड गिरावट, डॉलर के मुकाबले पहली बार 78 के नीचे फिसला, आज 43 पैसे गिरा
Rupee at All time Low: डॉलर के मुकाबले रुपए मे रिकॉर्ड गिरावट आई है. रुपया पहली बार डॉलर के मुकाबले 78 के लेवल के नीचे लुढ़क गया है. रुपए में आज 43 पैसे की बड़ी गिरावट दर्ज की गई और ये 78.26 रुपए पर जा फिसला है.
Rupee at All time Low: भारतीय मुद्रा (Indian Rupee) में अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले सोमवार को बड़ी कमजोरी देखने को मिली. रुपया अपने ऑल टाइम लो (Rupee All time low) को टच कर गया. ऐसा पहली बार हुआ है जब रुपया 78 के नीचे फिसला है. घरेलू स्टॉक मार्केट (stock market) में कमजोरी के रुख, विदेशी फंड्स की लगातार निकासी और अमेरिकी डॉलर में लगातार मजबूती से आज रुपए में 43 पैसे की गिरावट आई है. विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली और अमेरिका में महंगाई दर के आंकड़ों से डॉलर के मुकाबले रुपए में इतनी बड़ी गिरावट आई है.
क्यों कमजोर हो रहा है रुपया?
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के फॉरेक्स एंड बुलियन एनॉलिस्ट गौरांग सोमैया का कहना है डॉलर में आ रही मजबूती और ग्लोबल क्रूड कीमतों में तेजी के चलते रुपए में लगातार गिरावट है. पिछले हफ्ते घरेलू मोर्चे और अमेरिका में महंगाई के आंकड़ों ने बाजार का सेंटीमेंट और बिगाड़ दिया है. सोमैया का कहना है कि अमेरिकी डॉलर में अभी मजबूती बने रहने की कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है उम्मीद है.
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कौन संभालेगा रुपये की गिरावट?
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम (Crude oil Price) में तेजी और शेयर बाजारों में लगातार गिरावट के चलते रुपए (Rupee against Dollar) में ये गिरावट आ रही है. रूस और यूक्रेन युद्ध से रुपया लगातार डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है. वैश्विक अस्थिरता के चलते विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं. इससे भी रुपये को चोट पहुंच रही है. 23 फरवरी 2022 को युद्ध शुरू होने से पहले रुपया डॉलर के मुकाबले 74.62 रुपए पर था जो गिरकर 13 जून 2022 को 78.20 के रिकॉर्ड स्तर तक लुढ़क चुका है. रुपया में गिरावट को थामने के लिए RBI को नए कदम उठाने होंगे.
मांसपेशियों में खिंचाव - Muscle Strain in Hindi
मांसपेशियों में किसी प्रकार के छेद, दरार या तनाव आने की स्थिति को मांसपेशियों में खिंचाव कहा जाता है। यह तब होता है जब आप अपनी मांसपेशियों को सामान्य से अधिक फैला देते हैं या उनकी क्षमता से अधिक उनका इस्तेमाल करते हैं। सबसे अधिक खिंचाव अक्सर पैर की मांसपेशियों में आता है। मांसपेशियों में कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है खिंचाव अक्सर खेल-कूद के दौरान, लंबे समय से किसी खराब मुद्रा में खड़े रहने या फिर किसी प्रकार की चोट लगने के कारण होता है। कुछ ऐसी भी स्थितियां हैं जिनसे मांसपेशियों में खिंचाव होने की संभावना बढ़ जाती है, जैसे वृद्धावस्था, मांसपेशियों में लचीलता की कमी, ताकत की कमी, थकान और पहले कभी चोट लगी होना आदि।
मांसपेशियों में खिंचाव आने से प्रभावित त्वचा में सूजन, लालिमा या त्वचा नीली पड़ने जैसे लक्षण विकसित होते है। मांसपेशियों में खिंचाव की स्थिति से मांसपेशियों की शक्ति कम हो जाती है और यहां तक की कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है प्रभावित मांसपेशी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है।
मांसपेशियों में खिंचाव का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर आपसे आपकी पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछेंगे और आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे। मांपेशियों में खिंचाव की पहचान के लिए कोई विशेष शारीरिक परीक्षण नहीं होता है।
अधिक थकान होने से बचना और किसी जटिल एवं कठोर शारीरिक गतिविधि या व्यायाम करने से पहले थोड़ा वॉर्म-अप करने से मांसपेशियों में खिंचाव आने से बचाव किया जा सकता है। यदि मांसपेशियों में खिंचाव की स्थिति अधिक गंभीर नहीं है तो इसका इलाज घर पर ही गर्म व ठंडी चीजों से सिंकाई करके और सूजन की रोकथाम करने वाली अन्य दवाएं देकर किया जाता है। यदि मांसपेशियों में गंभीर रूप से खिंचाव आ गया है या फिर मांसपेशी मे छेद या दरार बन गई है तो इसका इलाज करने के लिए मेडिकल उपचार की आवश्यकता पड़ती है।
खाद्य पदार्थ जो आपकी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए खराब हैं
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- जब हड्डी के स्वास्थ्य की बात आती है, तो सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप अपने दैनिक कैल्शियम का सेवन बढ़ाएं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है केवल आपकी दैनिक कैल्शियम की जरूरतों को पूरा करने से ही आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं। यद्यपि अधिकांश हड्डियों का विकास बचपन और किशोरावस्था में होता है, हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि हड्डियों का नुकसान आपके मध्य-तीसवें दशक में शुरू होता है।
- स्वस्थ हड्डियाँ आपके द्वारा दिन भर में किए जाने वाले छोटे-छोटे आहार निर्णयों से बनती हैं। हम क्या खाते हैं और क्या नहीं, इससे हड्डियों के स्वास्थ्य पर बहुत फर्क पड़ता है। इसलिए, आहार हड्डियों को बेहतर या खराब बना सकता है। चूंकि कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं, ऐसे में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं जो हड्डियों को कमजोर कर सकते हैं।
खाद्य पदार्थ जो हड्डियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं
नमकीन खाद्य पदार्थ
आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ
कार्बोनेटेड ड्रिंक्स
मीठे स्नैक्स
प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ
पूछे जाने वाले प्रश्न:
कुछ आदतें आपकी हड्डियों को प्रभावित कर सकती हैं। शराब पीना। ज्यादा शराब आपकी हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकती है। यदि आप गिर जाते हैं तो इससे आपकी हड्डी टूटने का खतरा भी हो सकता है। सिगरेट पीना। धूम्रपान करने वालों की हड्डियां धूम्रपान न करने वालों की तुलना में कमजोर होती हैं। रजोनिवृत्ति के बाद धूम्रपान करने वाली महिलाओं में फ्रैक्चर होने की संभावना और भी अधिक होती है
इसलिए आपको इस सूची में शामिल सभी चीजों को करने से बचना चाहिए। एक गतिहीन जीवन शैली जीएं। व्यायाम कई चीजों के लिए अच्छा है, और मजबूत हड्डियों का निर्माण निश्चित रूप से उनमें से एक है। कैल्शियम और विटामिन डी की अपर्याप्त मात्रा प्राप्त करना, अत्यधिक मात्रा में शराब पीना, खराब आहार निर्णय लेना, सिगरेट पीना।
लेकिन एक बार जब आपकी हड्डियाँ ऑस्टियोपोरोसिस से कमजोर हो जाती हैं, तो आपके लक्षण और लक्षण हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं: पीठ दर्द, एक खंडित या ढह गई कशेरुका के कारण। समय के साथ ऊंचाई का कम होना। एक झुकी हुई मुद्रा।
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