Trading Account: ट्रेडिंग अकाउंट से कैसे अलग है Demat अकाउंट, क्या है दोनों में फर्क
दुनियाभर में कहीं भी आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट के साथ शेयर और सिक्योरिटीज को खरीद या बेच सकते हैं। बिना ट्रेडिंग अकाउंट के आप यह काम नहीं कर पाएंगे। ट्रेडिंग अकाउंट के अस्तित्व में आने के बाद से ही संपूर्ण शेयर-व्यापार प्रक्रिया काफी सहज हो चुकी है
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। शेयर बाजार में निवेश करने के लिए एक ट्रेडिंग अकाउंट उतना ही जरूरी है जितना की कार के लिए ईधन। इस खाते के होने के बाद ही आप शेयर मार्केट में निवेश करके लाखों, करोड़ों का लाभ उठा सकेंगे। अक्सर देखा जाता है कि लोग ट्रेडिंग अकाउंट और डीमैट अकाउंट दोनों को एक मान लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। ये दोनों खाते ही अलग-अलग होते है।
जहां डीमैट अकाउंट को ट्रेडिंग की दिशा में पहला कदम कहा जाता है। भारत में शेयर खरीदने और बेचने के लिए ट्रेडिंग खाता खोलना जरुरी और अनिवार्य कदम है। डीमैट अकाउंट का उपयोग शेयरों के रिकॉर्ड को रखने के लिए किया जाता है। अगर हम दूसरे शब्दों में कहें तो एक डीमैट अकाउंट आपको आपके पहले से खरीदे गए शेयरों और सभी डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट क्या है? सिक्योरिटीज को स्टोर करने की अनुमति देता है, जबकि एक ट्रेडिंग खाते से आप वास्तविक लेनदेन करते हैं।
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दुनियाभर में कहीं भी आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट के साथ शेयर और सिक्योरिटीज को खरीद या बेच सकते हैं। बिना ट्रेडिंग अकाउंट के आप यह काम नहीं कर पाएंगे। ट्रेडिंग अकाउंट के अस्तित्व में आने के बाद से ही संपूर्ण शेयर-व्यापार प्रक्रिया काफी सहज हो चुकी है। इस वजह से अब आम लोग भी आसानी से ट्रेडिंग करने का लाभ उठा पा रहे हैं। वर्तमान समय में आप अपना ट्रेडिंग मार्केट में मौजूद किसी भी कंपनी में खुलवा सकते है। यह कंपनी आपकी खरीद और स्टॉक एक्सचेंजों के बीच मध्यस्थता की तरह काम करता है।
सभी ट्रेडिंग खाते के लिए एक आईडी मैप की जाती है, और प्रत्येक खाते को अतिरिक्त सुरक्षा के लिए एक पासवर्ड द्वारा सुरक्षित भी प्रदान किया जाता है। आपको इस आर्टिकल में हम एक ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के बारे में सभी जानकारी स्टेप वाइज बताने वाले हैं और साथ ही एक ट्रेडिंग अकाउंट को खोलने में आपको कौन से डॉक्यूमेंट की जरुरत होगी इसकी भी जानकारी उपलब्ध कराएंगे।
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने की प्रक्रिया
●ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए किसी भी ट्रेडिंग अकाउंट जैसे 5paisa की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं या इसका मोबाइल एप भी डाउनलोड कर सकते हैं।
●उस प्रॉम्प्ट पर क्लिक करें जिसमें लिखा होगा कि 'एक ट्रेडिंग खाता खोलें'।
●वेबसाइट आपको एक नए पृष्ठ पर री डायरेक्ट करेगी, जहां आपको अपने सभी बुनियादी विवरण दर्ज करने होंगे।
●एक बार जब आप उन विवरणों को जमा कर देते हैं, तो आपको अपने मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी पर वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) भेजा जायेगे।
●ओटीपी को संबंधित क्षेत्रों में इनपुट करें और सबमिट बटन पर क्लिक करें।
●ओटीपी के सत्यापन के बाद, आपको एक ट्रेडिंग खाता खोलने का फॉर्म भरना होगा।
●एक बार ऐसा करने के बाद, एक रिलेशनशिप मैनेजर (आरएम) दस्तावेजीकरण आवश्यकताओं के संबंध में आपके फोन या आपके ईमेल पर आपसे संपर्क किया जाएगा।
●दस्तावेज़ीकरण प्रक्रिया पूरी होने और बाद में सभी हस्ताक्षरित फ़ॉर्म प्राप्त करे और इसके बाद आपका ऑनलाइन ट्रेडिंग खाता 24 घंटों के भीतर चालू हो जाएगा।
डीमैट अकाउंट क्या है ?
डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट की तरह है, जिसमें आप शेयर सर्टिफिकेट और अन्य सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रख सकते हैं। डीमैट अकाउंट का मतलब डिमैटेरियलाइजेशन अकाउंट होता है। इसमें शेयर, बॉन्ड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज , म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस और ईटीएफ जैसे इन्वेस्टमेंट को रखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। इस अकाउंट के माध्यम से शेयरों और संबंधित डॉक्युमेंट्स के रखरखाव की परेशानियों दूर हो जाती हैं।
डीमैट अकाउंट का अर्थ हम एक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते हैं। मान लीजिए आप कंपनी X का शेयर खरीदना चाहते है, शेयर खरीदने के साथ का वह आपके नाम पर ट्रांसफर भी होंगे। पहले आपको अपने नाम के साथ शेयर सर्टिफिकेट भी मिलते थे। जिसमें पेपर वर्क की कार्रवाई भी शामिल है। जितनी बार कोई शेयर खरीदा या बेचा जाता था तो उतनी बार सर्टिफिकेट बनाने पड़ते थे। इस कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए भारत ने एनएसई पर व्यापार के लिए 1996 में डीमैट अकाउंट प्रणाली की शुरुआत की।
आज के समय में कोई पेपर वर्क नहीं होती है और न ही कोई भैतिक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। इसलिए जब आप कंपनी X के शेयर खरीदते हैं, तो आपको जो भी मिलता है, वह आपके डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में एंटर हो जाता है। डीमैट एकाउंट को ऐसे ही आसान शब्दों में आप समझ गए होंगे।
यदि आप आज शेयर बाजार (एनएसई और बीएसई) या किसी अन्य सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो डीमैट अकाउंट अनिवार्य है. आपके द्वारा किए जाने वाले ट्रेड और लेनदेन के इलेक्ट्रॉनिक सेटेलमेंट के लिए डीमैट अकाउंट नंबर अनिवार्य है.
डीमैट अकाउंट कैसे प्राप्त करें?
जब आप डीमैट अकाउंट के बारे में जान गए हैं, तो आइए जानते है डीमैट अकाउंट कैसे खोला जा सकता है। आप डीमैट अकाउंट नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL ) या सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CSDL) के साथ खोल सकते हैं। ये डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DP) एजेंट नियुक्त करती हैं, जो स्वंय और इन्वेस्टर्स के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करती है। उदाहरण के रूप में एचडीएफसी बैंक एक डीपी है, जिसके साथ आप डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। स्टॉकब्रोकर और फाइनेंसियल इंस्टीटूशन भी डीपी है। आप उनके साथ भी डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं।
जिस तरह से एक बैंक अकाउंट में पैसा होता है, उसी तरह से एक डीमैट अकाउंट आपके इन्वेस्टमेंट को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रखता है, जो लैपटॉप या स्मार्ट डिवाइस और इंटरनेट के साथ आसानी से एक्सेस हो सकता है। जिसको एक्सेस करने के लिए आपके पास एक यूनिक लॉगिन आईडी और पासवर्ड होना चाहिए। हालांकि, बैंक अकाउंट के विपरीत, आपके डीमैट अकाउंट में किसी भी प्रकार का 'न्यूनतम बैलेंस' होना आवश्यक नहीं है।
आप किसी भी डिपॉजिटर्स की वेबसाइट पर जाकर उनकी डीपी की सूची प्राप्त कर सकते है। जिसके साथ आप डीमैट एकाउंट खोलना चाहते है। डीपी का चुनाव उनके वार्षिक शुल्क पर निर्भर होना चाहिए।
यह ध्यान देना चाहिए कि आप एक से अधिक डीमैट एकाउंट को एक डीपी के डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट क्या है? साथ न जोड़े। क्योंकि एक पैन कार्ड को कई डीमैट अकाउंट के साथ जोड़ा जा सकता है।
डीमैट अकाउंट का विवरण
आपका डीमैट अकाउंट खुलने के बाद सुनिश्चित करें, कि आपको अपने डीपी से निम्न विवरण प्राप्त किया :
डीमैट अकाउंट नंबर : सीडीएलएस के तहत यह बेनिफिशियरी आईडी' के रूप में जाना जाता है। यह मुख्यत 16 कैरेक्टर का मिश्रण है।
डीपी आईडी : यह आईडी डिपॉजिटर प्रतिभागी को दी जाती है। जो आपके डीमैट अकाउंट नंबर का हिस्सा है।
पीओए नंबर : यह पावर ऑफ अटॉर्नी एग्रीमेंट का हिस्सा है, जहां एक इन्वेस्टर दिए गए निर्देशों के अनुसार स्टॉक ब्रोकर को अपने अकाउंट को संचालित करने की अनुमति देता है।
ऑनलाइन एक्सेस के लिए आपको अपने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट्स पर एक यूनिक लॉगिन आईडी और पासवर्ड भी मिलेगा।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट
डीमैट अकाउंट एक ट्रेडिंग अकाउंट के साथ होता है. जो शेयर बाजार में शेयर खरीदने औऱ बेचने के लिए जरूरी है. उदाहरण के रूप में एचडीएफसी बैक का एक डीमैट अकाउंट 3 इन 1 होता है, जिसमें सेविंग, डीमैट और ट्रेडिंग तीनों को जोड़ा जाता है.
लोग कभी-कभी डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच कंफ्यूज होते हैं कि वे एक जैसे नहीं हैं। एक डीमैट एकाउंट में आपके नाम के शेयरों और अन्य सिक्योरिटीज का विवरण होता है। शेयर खरीदने और बेचने के लिए, आपको एक ट्रेडिंग एकाउंट खोलना होगा। कई बैंक और ब्रोकर ऑनलाइन ट्रेडिंग सुविधाओं के साथ ट्रेडिंग एकाउंट की पेशकश करते हैं, जिससे आम इन्वेस्टर्स के लिए शेयर मार्केट में भाग लेना आसान हो जाता है।
डीमैट अकाउंट के प्रकार
अब हम डीमैट अकाउंट की परिभाषा समझ गए हैं। तो आइए डीमैट अकाउंट के प्रकारों को देखें। यह मुख्य रूप से तीन प्रकार हैं:
रेगुलर डीमैट अकाउंट: यह उन भारतीय नागरिकों के लिए है जो, देश में रहते हैं।
रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: इस तरह का डीमैट अकाउंट प्रवासी भारतीयों (NRI) के लिए है, जो विदेशों में फंड ट्रांसफर करने सक्षम बनाता है। हालांकि, इस तरह के डीमैट अकाउंट को एनआरई बैंक अकाउंट से लिंक करने की जरूरत है।
नॉन-रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: यह भी एनआरआई के लिए है, लेकिन इस प्रकार के डीमैट अकाउंट के साथ, विदेशों में फंड ट्रांसफर करना संभव नहीं है। साथ ही इसे एनआरओ बैंक अकाउंट से भी लिंक कराना होगा।
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* इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य है और यह केवल सूचना के प्रयोजनों के लिए है। यह आपकी अपनी परिस्थितियों में विशिष्ट सलाह का विकल्प नहीं है।
Demat vs Trading Account: डीमैट व ट्रेडिंग अकाउंट में क्या अंतर होता है? दोनों के क्या इस्तेमाल हैं?
Demat vs Trading Account: इक्विटी मार्केट में निवेश के लिए किसी भी व्यक्ति के पास डीमैट अकाउंट का होना सबसे पहली शर्त है। डीमैट अकाउंट के साथ एक और खाता अटैच होता है जिसे ट्रेडिंग अकाउंट कहते हैं। जरूरत के आधार पर दोनों निवेशक दोनों का अलग-अलग इस्तेमाल करते हैं।
शेयर बाजार में निवेश करने वालों ने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में बहुत सुनते हैं, पर अधिकांश लोगों को इन दोनों खातों के बीच का अंतर नहीं पता होता है। आइए आसान भाषा में जानते हैं डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच क्या-क्या अंतर होता है?
बता दें कि इक्विटी मार्केट में निवेश के लिए किसी भी व्यक्ति के पास डीमैट अकाउंट का होना सबसे पहली शर्त है। डीमैट अकाउंट के साथ एक और खाता अटैच होता है जिसे ट्रेडिंग अकाउंट कहते हैं। जरूरत के आधार पर दोनों निवेशक दोनों का अलग-अलग इस्तेमाल करते हैं। डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों अलग-अलग तरह के खाते होते हैं। डीमैट अकाउंट वह अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या इक्विटी शेयर रख सकते हैं। वहीं दूसरी ओर ट्रेडिंग अकाउंट वह खाता होता है जिसका इस्तेमाल करतेह हुए आप इक्विटी शेयरों में लेनदेन करते हैं।
डीमैट अकाउंट वह खाता होता है जिसके माध्यम से आप अपनी इक्विटी हिस्सेदारी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में होल्ड करके रखते हैं। डीमैट अकाउंट फिजिकल शेयर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बदल देता है। डीमैट अकाउंट खोलने पर आपको एक डीमैट अकाउंट नंबर दिया जाता है जहां आप अपने इक्विटी शेयरों को सहेज कर रखते हैं। डीमैट अकाउंट बहुत हद तक बैंक अकाउंट की तरह कार्य करता है। यहां से इक्विटी बाजार में किए गए अपने निवेश की जमा और निकासी कर सकते हैं। डीमैट अकाउंट खोलने के लिए यह जरूरी नहीं कि आपके पास कोई शेयर हो। आपके अकाउंट में जीरो बैलेंस हो तो भी आप डीमैट खाता खोल सकते हैं।
इक्विटी शेयरों को खाते में सहेजकर रखने की बजाय अगर आप इनकी ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है। अगर आप शेयर बाजार में लिस्टेड किसी कंपनी के शेयरों की खरीद-बिक्री करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है।
जहां डीमैट अकाउंट आपके शेयर या को डिमैटिरियलाइज्ड तरीके से सुरक्षित रखने वाला खाता होता है, वहीं दूसरी ओर, ट्रेडिंग अकाउंट आपके बैंक खाते और डीमैट खाते के बीच की कड़ी होती है। डीमैट अकाउंट में शेयरों को सुरक्षित रखा जाता है। इसमें कोई लेन-देन नहीं किया जाता है। ट्रेडिंग अकाउंट शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए इस्तेमाल होता है। डीमैट अकाउंट पर निवेशकों को सालाना कुछ चार्ज देना होता है। पर ट्रेडिंग अकाउंट आमतौर पर फ्री होता है, हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि सेवा प्रदाता कंपनी आपसे चार्ज वसूलेगी या नहीं।
आमतौर पर डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ ही खोले जाते हैं। शेयरों में निवेश के लिए दोनों ही तरह के खाते जरूरी हैं। जब आप शेयरो को खरीदते हैं और उसे लंबे समय तक अपने पास रखना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है। वहीं अगर आप बस शेयरों की ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है। अगर आप सिर्फ इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग, फ्यूचर ट्रेडिंग, ऑप्शंस ट्रेडिंग और करेंसी ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको सिर्फ डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है। आप चाहते तो दोनों तरह के खातों को एक दूसरे के बिना भी रख सकते हैं।
विस्तार
शेयर बाजार में निवेश करने वालों ने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में बहुत सुनते हैं, पर अधिकांश लोगों को इन दोनों खातों के बीच का अंतर नहीं पता होता है। आइए आसान भाषा में जानते हैं डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच क्या-क्या अंतर होता है?
कितने तरह के होते हैं डीमैट अकाउंट और कैसे खुलवाएं डीमैट खाता ? जानिए पूरी जानकारी
देश में मौजूदा वक्त में 10 करोड़ से ज्यादा डीमैट अकाउंट होल्डर हैं. अगर आप भी डीमैट अकाउंट खोलना चाहते हैं और इसको लेकर आपके मन में सवाल है तो हम आपके सारे सवालों का जवाब आज देने जा रहे हैं. जैसे कि डीमैट अकाउंट क्या होता है, ट्रेडिंग अकाउंट क्या होता है. दोनों अलग कैसे हैं और कितने प्रकार का डीमैट अकाउंट होता है.
what is a demat account, what is a trading account. How are both different and how many types of demat account are there.
स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट या ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो समझ लें Demat और Trading Account
डीमैट अकाउंट आपके शेयर और असेट को डिमैटिरियलाइज्ड फॉर्म में रखने वाला अकाउंट होता हैलेकिन ट्रेडिंग अकाउंट को बैंक और डीमैट अकाउंट के बीच का लिंक माना जा सकता है। डीमैट अकाउंट खोलने पर एक डीमैट नंबर दिया जाता है जिससे ट्रेड उसमें सेटल कर सकते हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तो इसके लिए डीमैट अकाउंट होना बहुत जरूरी है। लेकिन ये अकाउंट क्या होता है, कैसे खुलता है, इसका क्या उपयोग होता है, अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल आते हैं तो निश्चिंत हो जाइए क्योंकि आपको डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट क्या है? अपने सभी सवालों का जवाब मिलने वाला है। आसान शब्दों में कहें तो डीमैट अकाउंट किसी बैंक अकाउंट जैसा ही होता है, अंतर सिर्फ इतना ही है की बैंक अकाउंट में पैसों का लेनदेन होता है।
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बता दें कि डीमैट अकाउंट रखना शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट के लिए सबसे पहली शर्त होती है। साथ ही, इसके अलावा एक ट्रेडिंग अकाउंट का भी होना जरूरी होता है, जिसकी जरूरत आपके इन्वेस्टमेंट नेचर के हिसाब से पड़ती है। हालांकि, डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों अलग-अलग होते हैं। डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट है जिसमें आप अपने असेट या शेयर को रख सकते हैं। वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट से आप ट्रांजैक्शन कर सकते हैं।
क्या है डीमैट अकाउंट
डीमैट अकाउंट शेयर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में रख सकते हैं। बता दें कि डीमैट अकाउंट फिजिकल शेयर्स को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बदल देता है। डीमैट अकाउंट खोलने पर एक डीमैट नंबर दिया जाता है जिससे ट्रेड उसमें सेटल कर सकते हैं। जिस तरह आप बैंक अकाउंट में पैसे का ट्रांजैक्शन करते हैं उसी तरह डीमैट अकाउंट में आप शेयर्स व सिक्योरिटीज का ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। इसका काम कुछ-कुछ बैंक अकाउंट जैसा होता है, जहां आप अपना पैसा जमा और निकाल सकते हैं। इसी तरह आप इस अकाउंट में सिक्योरिटी को भी जमा कर सकते हैं। साथ ही, जरूरत डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट क्या है? पड़ने पर डेबिट और क्रेडिट भी किया जाता है। बता दें कि डीमैट अकाउंट खोलने के लिए आपके पास कोई शेयर हो, ऐसा कोई जरूरी नहीं है। इसके अलावा आपके अकाउंट में अगर जीरो बैलेंस भी है तो कोई परेशानी होगा।
ट्रेडिंग अकाउंट क्या होता है?
डीमैट अकाउंट के उलट अगर आपको स्टॉक ट्रेडिंग करनी है तो आपको इसके लिए ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ेगी। स्टॉक मार्केट में लिस्टेड किसी कंपनी के शेयर में निवेश करना हो तो आप इस अकाउंट से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ट्रेडिंग कर सकते हैं।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट में कुछ सामान्य अंतर
डीमैट अकाउंट आपके शेयर और असेट को डिमैटिरियलाइज्ड फॉर्म में रखने वाला अकाउंट होता है,लेकिन ट्रेडिंग अकाउंट को बैंक और डीमैट अकाउंट के बीच का लिंक माना जा सकता है। बता दें कि, डीमैट अकाउंट जहां बस एसेट स्टोर करने के लिए खुलवाया जाता है, इससे कोई ट्रांजैक्शन नहीं हो सकता है। साथ ही, ट्रेडिंग अकाउंट ट्रेड ट्रांजैक्शन करने के काम आता है। इसके अलावा डीमैट अकाउंट पर निवेशक को सालाना चार्ज देना होता है। वहीं आमतौर पर ट्रेडिंग अकाउंट फ्री होता है, लेकिन चार्ज कंपनी पर भी निर्भर होता है कि वो आपसे चार्ज लेगी या नहीं। हालांकि, डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ ही खोले जाते हैं।
स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट के लिए ये दोनों ही अकाउंट जरूरी है। जब एक इन्वेस्टर शेयरों में ट्रेड करता है तो ये शेयर स्टोर करने के लिए उसे डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है। अगर ट्रेडर बस ट्रेडिंग कर रहा है, तो वो इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग, फ्यूचर ट्रेडिंग, ऑप्शन ट्रेडिंग और करेंसी ट्रेडिंग कर रहा है, तो वो ट्रेडिंग अकाउंट से भी हो जाता है, इसमें डीमैट अकाउंट की कोई जरूरत नहीं होती है।
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