Stock Market में क्या होता है Zero Beta Risk Portfolio?

हर नया इन्वेस्टर चाहता है की ऐसा पोर्टफोलियो तैयार करे की उसमे कम से कम रिस्क हो और अच्छे रिटर्न्स हों. ऐसा ही एक पोर्टफोलियो है जिसे कहते Zero Beta Risk Portfolio. ये उन इन्वेस्टर्स के लिए बढ़िया है जो मार्केट में सोच समझ कर पैसा लगाना चाहते हैं और बिलकुल रिस्क नहीं ले सकते. आईये जानते हैं की कैसे बना सकते हैं ये पोर्टफोलियो.

Market Market रिस्क क्या होता है Risk- मार्केट रिस्क

मार्केट रिस्क क्या होता है?
मार्केट रिस्क (Market Risk) या बाजार जोखिम यह संभावना है कि कोई व्यक्ति या अन्य संस्था वित्तीय बाजारों में निवेश के समग्र प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले कारकों के कारण नुकसान का अनुभव करेगा।बाजार जोखिम या संस्थागत जोखिम एक ही साथ समस्त बाजार के प्रदर्शन को प्रभावित करता है। बाजार जोखिम को विविधीकरण के कारण खत्म नहीं किया जा सकता।

विशिष्ट जोखिम या अप्रणालीगत जोखिम में किसी विशिष्ट सिक्योरिटी का प्रदर्शन शामिल रहता है और इसे डायवर्सिफिकेशन के जरिये कम किया जा सकता है। मार्केट रिस्क ब्याज दरों, एक्सचेंज दरों, भूराजनैतिक घटनाओं या मंदी के कारण उत्पन्न हो सकते हैं।

मार्केट रिस्क को समझना
मार्केट रिस्क और स्पेसफिक रिस्क (अप्रणालीगत) निवेश जोखिम के दो प्रमुख वर्ग हैं। मार्केट रिस्क जिसे प्रणालीगत जोखिम भी कहा जाता है, को डायवर्सिफिकेशन के जरिये खत्म नहीं किया जा सकता। हालांकि अन्य तरीकों से इसे हेज किया जा सकता है। मार्केट रिस्क के स्रोतों में मंदी, राजनीतिक भूचाल, ब्याज दरों में परिवर्तन, प्राकृतिक आपदायें और आतंकी हमले शामिल हैं। प्रणालीगत या मार्केट रिस्क एक ही समय पूरे बाजार को प्रभावित कर सकता है। इसका विपरीत अप्रणालीगत जोखिम होता है जो किसी विशिष्ट कंपनी या उद्योग के लिए अनूठा होता है। इसे निवेश पोर्टफोलियो के संदर्भ में स्पेसफिक रिस्क, डायवर्सिफाइएबल रिस्क या रेजीडुअल रिस्क भी कहा जाता है।

अप्रणालीगत जोखिम को डायवर्सिफिकेशन के जरिये कम किया जा सकता है। बाजार जोखिम कीमत परिवर्तनों के कारण होता है। स्टॉक्स, करेंसियों या कमोडिटी के मूल्यों में परिवर्तनों के मानक परिवर्तन को मूल्य अस्थिरता के रूप में संदर्भित किया जाता है। अस्थिरता को वार्षिक लिहाज से रेट किया जाता है और इसे पूर्ण तरीके से जैसेकि 10 डॉलर या आरंभिक मूल्य की प्रतिशतता जैसेकि 10 प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। अमेरिका में सार्वजनिक रूप से ट्रेड करने वाली कंपनियों को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के सामने इसका खुलासा करने की आवश्यकता होती है कि किस प्रकार उनकी उत्पादकता और परिणाम वित्तीय बाजारों के प्रदर्शन से लिंक किया जा सकता है। इस आवश्यकता का अर्थ है वित्तीय जोखिम के प्रति कंपनी के एक्सपोजर के बारे में विस्तृत जानकारी देना।

बाजार ज़ोखिम

Market-Risk

जोखिम यह है कि निवेश का मूल्य घट जाएगा। बाजार जोखिम को कभी-कभी व्यवस्थित जोखिम भी कहा जाता है, और यह एक विशिष्ट मुद्रा या वस्तु को संदर्भित करता है। बाजार जोखिम आम तौर पर वार्षिक शब्दों में, या तो प्रारंभिक मूल्य के अंश (8%) या पूर्ण संख्या (INR 9) के रूप में व्यक्त किया जाता है।

बाजार जोखिम के स्रोतों में मंदी, ब्याज दरों में बदलाव, राजनीतिक उथल-पुथल, प्राकृतिक आपदाएं और आतंकवादी हमले शामिल हैं। बाजार जोखिम को कम करने के लिए सबसे बुनियादी रणनीति विविधीकरण है। एक पोर्टफोलियो जो अच्छी तरह से विविधतापूर्ण होता है, उसमें विभिन्न उद्योगों की प्रतिभूतियां, जोखिम की अलग-अलग डिग्री वाले परिसंपत्ति वर्ग शामिल होते हैं। विविधीकरण जोखिम को पूरी तरह से नहीं हटाता है, लेकिन यह निश्चित रूप से जोखिम को सीमित करता है, क्योंकि पोर्टफोलियो में कई उपकरण प्रदर्शन कर रहे हैं।

बाजार जोखिम मापना

बाजार जोखिम को मापने के लिए, विश्लेषक मूल्य-पर-जोखिम (VaR) पद्धति का उपयोग करते हैं। वीएआर निवेश के लिए नुकसान के जोखिम का एक उपाय है। यह एक सांख्यिकीय जोखिम प्रबंधन पद्धति है जो किसी स्टॉक या पोर्टफोलियो के संभावित नुकसान के साथ-साथ होने वाली हानि की संभावना को मापती है। लेकिन, वीएआर पद्धति के लिए कुछ मान्यताओं की आवश्यकता होती है जो इसकी सटीकता को सीमित करती हैं।

निवेश से जुड़े जोखिम को समझिए इन 9 आसान टिप्स के जरिए

महंगाई आपके रिटर्न को चट कर जाती है. महंगाई को मात देने के लिए जीवन के किसी भी पड़ाव में आप इक्विटी से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं.

photo (3)

हाल में आयोजित ET Wealth Investment Workshop में मणिकरण शिरकत करने पहुंचे थे. उन्होंने अलग-अलग तरह के निवेश इंस्ट्रूमेंट से जुड़े जोखिमों के बारे बताया. साथ ही इनसे निपटने के तरीके भी सुझाए.

1. मार्केट रिस्क : यह जोखिम शेयर बाजार की अस्थिरता से जुड़ा है. इसमें आपके निवेश के मूल्य को खतरा होता है. मणिकरण कहते हैं, "इस तरह के जोखिम से निपटने का सबसे आसान तरीका डायवर्सिफिकेशन है. अपनी जरूरत के अनुसार Market रिस्क क्या होता है इक्विटी, डेट, गोल्ड, रियल एस्टेट जैसे अलग-अलग एसेट क्लास में अपने निवेश को डायवर्सिफाई किया जा सकता है."

2. इंफ्लेशन रिस्क : इंफ्लेशन यानी महंगाई को मणिकरण धीमा जहर करार देते हैं. महंगाई आपके रिटर्न को चट कर जाती है. महंगाई को मात देने के लिए जीवन के किसी भी पड़ाव में आप इक्विटी से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं.

3. इंटरेस्ट Market रिस्क क्या होता है रेट रिस्क : यह जोखिम ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के कारण पैदा होता है. सिंघल मानते हैं कि डेट प्रोडक्टों को समझ लेने पर इस जोखिम को मैनेज किया जा सकता है. पीपीएफ के साथ भी ब्याज दर का जोखिम होता है. कारण है कि यह भी मार्केट से जुड़ा है.

4. करेंसी रिस्क : यह जोखिम अंतरराष्ट्रीय निवेश से जुड़ा होता है. सिंघल ने कहा, "2017 में उन पोर्टफोलियो का रिटर्न अच्छा रहा जिनमें घरेलू फंडों के मुकाबले अमेरिकी इंटरनेशनल फंड थे. जोखिम को कम करने के लिए इंटरनेशनल फंडों में निवेश किया जा सकता है. यह भारतीय रुपये के कारण निवेश में होने वाली उठापटक के जोखिम से बचाने में मददगार होता है."

5. क्रेडिट रिस्क : IL&FS और DHFL जैसी ट्रिपल Market रिस्क क्या होता है ए (एएए) रेटिंग वाली कंपनियों के हालिया संकट के कारण यह जोखिम इन दिनों काफी चर्चित है. यह जोखिम आपको केवल तभी लेना चाहिए जब आप इसके नतीजों से वाकिफ हों.

6. सेक्टर रिस्क : जब आप किसी खास सेक्टर में निवेश करते हैं तो केंद्रीकरण यानी कॉन्सेन्ट्रेशन का जोखिम रहता है. इस जोखिम को कम करने के लिए तमाम सेक्टरों में निवेश को फैला देना चाहिए. सेक्टर रिस्क को कम करने के लिए म्यूचुअल फंडों का भी सहारा ले सकते हैं.

7. हेल्थ रिस्क/ज्यादा जीने का जोखिम : देश में चिकित्सा सुविधाएं तेजी से बढ़ रही हैं. इसने औसत उम्र में इजाफा किया है. सिंघल ने वर्कशॉप में हिस्सा लेने पहुंचे लोगों से सवाल किया, "मान लेते हैं कि आपने फाइनेंशियल प्लानिंग करते हुए माना कि 80 साल जीवित रहेंगे. लेकिन, तब क्या होगा अगर आप 90 साल जीते हैं? अतिरिक्त 10 सालों के लिए कौन भुगतान करेगा? क्या आप इसके लिए तैयार हैं?" फिर सिंघल ने खुद इसका जवाब दिया. कहा, "आपका हेल्थ इंश्योरेंस एक सीमा तक आपकी जरूरतों की देखभाल करता है. आपको एक हेल्थ प्लान बनाना चाहिए. इस जोखिम से नहीं बचा जा सकता है."

8. लाइफस्टाइल रिस्क : सिंघल ने कहा कि इन दिनों कई लोग अपने पड़ोसियों या दोस्तों से प्रभावित होते हैं. ये अपने बजट के अनुसार नहीं खर्च करते हैं. यह लाइफस्टाइल रिस्क है. ऐसा तब होता है, जब आप अपनी चादर से ज्यादा पांव फैलाते हैं. सिंघल कहते हैं कि फाइनेंशियल प्लानिंग बजट बनाने से शुरू होती है. जब आप बजट से चलते हैं तभी आपके पास निवेश के लिए पैसा बचता है. इसी से आप लाइफस्टाइल रिस्क को मैनेज कर सकते हैं.

9. व्यवहार से जुड़ा जोखिम : जब आप केवल रिटर्न की अपेक्षा के साथ निवेश करते हैं और नुकसान उठा बैठते हैं तो हतोत्साहित हो जाते हैं. तब आप निवेश को रोकने के बारे में सोचने लगते हैं. यही व्यवहार से जुड़ा जोखिम है. अपने रिस्क प्रोफाइल को समझकर इस तरह के जोखिम से बचा जा सकता है.

हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और शेयर बाजार के नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. इस पेज को लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें.

म्यूचुअल फंड में निवेशकों को किस तरह के रिस्क (जोख़िम) होते हैं?

म्यूचुअल फंड में निवेशकों को किस तरह के रिस्क (जोख़िम) होते हैं?

म्यूचुअल फंड उन सेक्यूरिटीज़ में निवेश करते हैं जो अलग-अलग मार्केट में लेन-देन करते हैं जैसे स्टॉक, बॉन्ड, गोल्ड या दूसरी एसेट क्लासेस। किसी भी बिकाऊ सेक्युरिटी पर स्वाभाविक तौर पर बाज़ार (मार्केट) रिस्क का असर होता है, मतलब सेक्युरिटी की कीमत बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव के अधीन होती है। इंटरेस्ट रेट में बदलाव बॉन्ड की कीमत पर उल्टा असर डालता है और साथ ही डेट फंड के NAVs पर भी। इसलिए, डेट फंड सबसे ज़्यादा इंटरेस्ट रिस्क का सामना करते हैं।

उनमें क्रेडिट रिस्क (बॉन्ड जारीकर्ता के डिफॉल्ट होने का जोखिम) भी होता है। कुछ नियमित इनकम देने वाले डेट फंड्स पर महंगाई का असर भी पड़ता है मतलब उनका दिया गया मुनाफा निवेशक द्वारा अनुभव की गई महंगाई की भरपाई नहीं कर पाते हैं। इक्विटी फंड्स बाजार जोख़िम का सामना करते हैं क्योंकि वे मार्केट में स्टॉक ट्रेडिंग में निवेश करते हैं और स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव इन फंडों के NAV पर असर डालते हैं। कुछ सेक्यूरिटीज़ की बाजार में बार-बार खरीद-बिक्री की जाती है जबकि दूसरों की नहीं। अगर म्यूचुअल फंड ने आपके पैसे किसी ऐसी सेक्यूरिटीज़ में निवेश किए हैं जिनकी अक्सर खरीद-बिक्री नहीं की जाती है, तो फंड के लिए सही समय पर सही कीमत में सेक्युरिटी को खरीदना या बेचना मुश्किल हो सकता है।

यह लिक्विडिटी रिस्क है जो फंड के पोर्टफोलियो के अंदर लेनदेन की कीमत बढ़ा देता है, जिससे आपके फंड के NAV पर असर पड़ता है इसलिए म्यूचुअल फंड से जुड़े रिस्क (जोख़िम) निवेश किए गए एसेट के प्रकार पर निर्भर करते हैं।

रेटिंग: 4.45
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 266