क्या फर्क आएगा और कैसे
माना जा रहा है कि बैंकिंग व्यवस्था या कहे रुपये के लेन-देन की व्यवस्था में डिजिटल रुपया के आने से पूरी तरह से एकरूपता आ जाएगी. आज की तारीख में रुपये के डिजिटल बैंकिंग में लेन-देन व्यापार के लिए कौन से बाजार उपलब्ध हैं के लिए आपको बैंक खाते की जरूरत होती है जो डिजिटल रुपये के लेन-देन में नहीं पड़ेगी. इसके अलावा डिजिटल बैंकिंग में लेन-देन रियलटाइम नहीं होता जो डिजिटल रुपये में रियलटाइम मनी ट्रांसफर होगा. डिजिटल रुपये में बैंक खाते की जगह वॉलेट अकाउंट से लेन-देन होगा. यानी पूरी प्रक्रिया में उपयोगकर्ता को एक वॉलेट अकाउंट दिया जाएगा जिसमें उसके द्वारा खुद रुपया रखा जाएगा. उसे यह रुपया बैंक उसके खाते में डालकर देगा. यह रुपया उपयोगकर्ता के हिसाब से उसके वॉलेट में डाला जाएगा. अकाउंट में रुपये भी क्यूआर कोड के जरिए दिया जाएगा. यह क्यूआर कोड एनपीसीआई द्वारा उपयोगकर्ता को दिया जाएगा.

Lakme India: नेहरू, JRD टाटा और वो दिन जब बना देश का पहला कॉस्मेटिक ब्रैंड

लैक्मे का जलवा आज भी बरकरार है. यह 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले हिंदुस्तान यूनिलीवर के 'क्लब ऑफ ब्रांड्स' में शामिल है. इसके पास 300 से ज्यादा प्रोडक्ट हैं.

लैक्मे (Lakme). इस छोटे से नाम से ही एक मुकम्मल तस्वीर खिंच जाती है. कामयाबी की बुलंदियां व्यापार के लिए कौन से बाजार उपलब्ध हैं छूने वाला देश का पहला स्वदेशी कॉस्मेटिक ब्रांड. यही लैक्मे अब 70 साल का हो चला है. इस लंबे सफर में लैक्मे का संबंध देवी लक्ष्मी, देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू और विख्यात उद्योगपति JRD टाटा से भी जुड़ता है. आइए, जानते हैं लैक्मे की पूरी कहानी.

कैसे हुआ जन्म?

टाटा ग्रुप ने कॉस्मेटिक्स के कारोबार में लैक्मे के जरिए ही शुरुआत की थी. तब इस ग्रुप के चेयरमैन थे जेआरडी टाटा. खास बात ये कि आजाद भारत में स्थापित पहली कॉस्मेटिक कंपनी भी यही है. टाटा सेंट्रल आर्काइव्स की वेबसाइट tatacentralarchives.com पर इस बारे में कई रोचक तथ्य मिलते हैं.

देश के आजाद होने के वक्त तक सौंदर्य प्रसाधन के मामले में महिलाओं के सामने दो ही मुख्य विकल्प थे. एक परंपरागत तरीका, जिसमें हल्दी, नीम, दही, नारियल तेल जैसी प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल होता था. खर्च भी कम और सब कुछ घर में ही उपलब्ध. लेकिन दूसरा विकल्प ज्यादा खर्चीला था. सौंदर्य प्रसाधन बेचने में विदेशी कंपनियों का बोलबाला था. ज्यादातर इनका आयात ही होता था. इस तरह इन कंपनियों के जरिए देश का पैसा बाहर जा रहा था. यही बात पं. जवाहरलाल नेहरू को खटक रही थी.

पं. नेहरू ने इस बारे में अपने मित्र जेआरडी टाटा से चिंता जाहिर की. टाटा ने इसे एक अवसर के रूप में देखा. इस तरह 1952 में लैक्मे की नींव पड़ गई. एक भारतीय कंपनी, जो भारत के लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर प्रोडक्ट तैयार करने लगी और बाद में पूरी तरह छा गई.

शुरू में TOMCO की सहायक कंपनी

लैक्मे को टाटा ऑयल मिल्स कंपनी (TOMCO) की सहायक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था. पहले इस TOMCO के बारे में थोड़ा जान लीजिए. TOMCO को 1920 में कोचीन (मौजूदा कोच्चि) में स्थापित किया गया. मकसद था निर्यात के लिए नारियल तेल का उत्पादन करना. बाद में कंपनी धीरे-धीरे साबुन, खाना पकाने के तेल, डिटर्जेंट, शैंपू भी बनाने लगी. आगे चलकर TOMCO ने 1953 में दो नामी फ्रेंच फर्म - रॉबर्ट पिगुएट (Robert Piguet) और रेनॉयर (Renoir) के सहयोग से लैक्मे को लॉन्च किया.

खास बात ये है कि इन विदेशी सहयोगियों की इक्विटी में कोई भागीदारी नहीं थी. उनकी भागीदारी केवल परफ्यूम बेस और कुछ तकनीकी जानकारी देने तक सीमित थी. बदले में उन्हें इसकी रकम मिलती. सीधे-सीधे ये समझ लीजिए कि शुरुआत से ही लैक्मे पूरी तरह से 'मेक इन इंडिया' मिशन था.

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डिजिटल रुपया क्या है, समझें

डिजिटल रुपी (Digital Rupee) आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यकीनन अपनी छाप छोड़ने वाला है. भारत सरकार के निर्देश पर आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया RBI) ने इसे प्रायोगिक तौर पर चयनित चार शहरों और चार बैंकों के जरिए परिचालन में ला रहा है. यह लेन-देन लोगों के बीच और मर्चेंट टू मर्चेंट, मर्चेंट टू कस्टमर भी जारी है. तमाम वेबसाइटों पर कई तरह की जानकारी दी गई है और लोग परेशान हो रहे हैं कि आखिर क्या सच्चाई है क्या हो रहा है और क्या होने जा रहा है.

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ऐसे में हम भी यह प्रयास कर रहे हैं कि अपने पाठकों को व्यापार के लिए कौन से बाजार उपलब्ध हैं यह आसान भाषा में समझा सकें कि यह पूरा मामला क्या है. सबसे पहले बात डिजिटल रुपी या डिजिटल रुपया क्या है?

डिजिटल रुपी का लेन-देन, क्या है Digital Rupee

डिजिटल रुपी आम भाषा में समझें तो यह वही नोट हैं जैसे आप अपने हाथों में लेकर बाजार में लेन-देन करते हैं. बाजार के अलावा आप अपने मित्र आदि या फिर चाय की दुकान पर रुपयों में लेन-देन करते हैं. आप सोच रहे होंगे फिर यह डिजिटल कैसे हुआ. तो समझिए कि जिस रुपये को आप हाथ में लेकर देते रहे हैं वह आप अपने वॉलेट के जरिए देंगे. यह वह वॉलेट नहीं है जिसे आप पर्स समझ रहे हैं. यह एक प्रकार को PayTm या फिर Google पे वाला वॉलेट है. यानि डिजिटल है. अभी आपका का डिजिटल वॉलेट किसी बैंक खाते से जुड़ा होता है. आप पेटीएम या फिर गूगल पे जैसे ऐप पर पहले किसी बैंक खाते को लिंक करते हैं फिर वहां से ऐप के वॉलेट पर पैसा ट्रांसफर करते हैं और पेमेंट में प्रयोग में लाते हैं.

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साथ ही बाजार में जियो और एयरटेल भी 2,999 रुपये की कीमत वाले प्लान भी उपलब्ध हैं, आज हम आपको तीनों कंपनियों के 2,999 रुपये वाले प्लान (Vodafone Idea vs Jio vs Airtel) के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, आप हमारा ये लेख ध्यान से पढ़े और तीनो कंपनियों के रिचार्ज प्लान्स के बारे में जानिए..

1 Year Validity Recharge Plan: Airtel Rs 2999 Plan

सबसे पहले एयरटेल के एक साल वाल प्लान की बात कर लेते है इसमें 365 दिनों की वैलिडिटी के साथ-साथ अनलिमिटे्ड वॉयस कॉलिंग यूजर्स को दी गई है। इसके साथ प्रति दिन 2GB (कुल 730GB) 100 एसएमएस करने की सुविधा दिए जा रहे है। इसके साथ ही विंक म्यूजिक, फ्री हेलोट्यून्स और 100 रुपये का कैशबैक ऑफर भी आपको दिया जाएगा।

एक साल की वैधता (365 दिनों की) है। अब बात करें कि अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग के साथ कुल 850 जीबी डेटा भी ऑफर किया जाता है। हर दिन 100 एसएमएस मिलते हैं। Vi Movies & TV Classic और Binge All Night जैसे लुत्फ आप इस प्लान पर उठा सकते हैं।

दर्द कौन समझे: RMSCL एमडी की दो टूक. डॉक्टर नहीं हूं, कैंसर मरीजों के लिए एटीजी इंजेक्शन नहीं, बोनमैरो ट्रांसप्लांट बंद. बाजार में कीमत 20 हजार

आरएमएससीएल की प्रबंध निदेशक अनुपमा जोरवाल का कहना है कि, मुझे इस बारे में पता नहीं है। मैं डॉक्टर थोड़ी ही हूं। मैं 2 हजार आवश्यक दवाओं की सूची पर्स में थोड़े ही रखती हूं। - Dainik Bhaskar

सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को निशुल्क दवा की बजाय दर्द मिल रहा है। तीन माह से एसएमएस में कैंसर मरीजों में बोनमैरो ट्रांसप्लांट व एप्लास्टिक एनीमिया मरीजों के लिए जरूरी एंटी थायमोसाइट ग्लोबुलिन (एटीजी) इंजेक्शन नहीं है। इंजेक्शन नहीं मिलने का परिणाम है कि इलाज अटक गया है और कॉटेज में भर्ती होने का चार्ज भी देना पड़ रहा है। जयपुर समेत अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा मेडिकल कॉलेज में भी इंजेक्शन नहीं मिल रहा।

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