एनएसई और बीएसई का मतलब
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एक निवेशक के रूप में , आपको शेयरों , बाजारों , सूचकांक और एक्सचेंजों से अवगत होना चाहिए।
शेयर – एक शेयर आम तौर पर कंपनी द्वारा पैसे जुटाने के लिए जारी किया जाता है। स्टॉक कंपनी के पूरे हिस्से का एक भाग है , इसलिए यदि आप कंपनी का भाग खरीदते हैं , तो आप कंपनी का हिस्सा बन जाते हैं।
स्टॉक एक्सचेंज – स्टॉक एक्सचेंज ट्रेडिंग के लिए एक विनियमित बाजार है। यदि कोई कंपनी अपने शेयरों को बेचना चाहती है , तो उसे स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत होना चाहिए। एक बार पंजीकृत होने पर , यह अपने शेयरों को सूची बद्ध कर सकती है और एक कीमत पर उन्हें निवेशक को बेच सकती हैं। निवेशक और कारोबारी ब्रोकरों के माध्यम से एक्सचेंजों से जुड़ सकते हैं , जो एक्सचेंज पर ऑर्डर खरीदते हैं या बेचते हैं। कारोबारी विभिन्न कंपनियों के शेयर बेच और खरीद सकते हैं। स्टॉक एक्सचेंज उच्च लिक्विडिटी प्रदान करता है , क्योंकि प्रक्रिया पारदर्शी और तेज है। कंपनी के विकास के आधार पर निवेशकों को डिविडेंड का भुगतान किया जाता है यदि कंपनी लाभ कमाती है , तो डिविडेंड बढ़ता है। यदि कंपनी बढ़ रही है , तो यह अधिक निवेशकों को आकर्षित करती है , और कंपनी अधिक शेयर जारी करती है। चूंकि शेयरों की मांग बढ़ जाती है , शेयर की कीमत भी बढ़ जाती है। स्टॉक एक्सचेंज शेयर की कीमत का मूल्यांकन भी करता है। ) भारत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ( एनएसई ) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ( बीएसई ) दो प्राथमिक स्टॉक एक्सचेंज हैं। इस लेख में आगे हम एनएसई और बीएसई के बारे में और भी अधिक पढ़ेंगे।
सूचकांक – एक शेयर बाजार की समग्र हालत दिखाता है। शेयरों की सूची व्यापक है और भ्रमित करने वाली हो सकती है ; एक सूचकांक आकार , क्षेत्र और उद्योग प्रकार के आधार पर कंपनियों और शेयरों को वर्गीकृत करके स्टॉक चुनने में मदद करता है। निफ्टी एनएसई के लिए सूचकांक है , और सेंसेक्स बीएसई के लिए सूचकांक है। यह कंपनी की प्रतिष्ठा , बाजार पूंजी और महत्व के आधार पर एनएसई ( बीएसई के 30) के 50 शेयरों का एक सेट है। सूचकांक मूल्य की गणना ‘ भारित औसत बाजार पूंजी ‘ के रूप में की जाती है। यदि स्टॉक की कीमतें बढ़ जाती हैं , तो निफ्टी और सेंसेक्स की कीमतें भी बढ़ती हैं , यदि स्टॉक की कीमतों में गिरावट आती है , तो निफ्टी और सेंसेक्स सूचकांक भी गिर जाता है। सूचकांक शेयरों की प्रवृत्ति और प्रदर्शन स्टॉक मार्केट में एक्सचेंज चार्जेज क्या हैं का प्रतिनिधित्व करता है।
आइए बीएसई और एनएसई अर्थ पर एक नज़र डालें:
बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ) : बीएसई सबसे पुराना और सबसे तेज़ स्टॉक एक्सचेंज है। यह एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज था। बीएसई नए या ऐसे निवेशकों के लिए एक आदर्श विकल्प है जो स्थिर , कम जोखिम वाले निवेश की तलाश में हैं।
एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ) : एनएसई अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है और पहला स्टॉक एक्सचेंज था जिसने व्यापार के लिए स्क्रीन – आधारित प्रणाली की पेशकश की। यह एक पूरी तरह से एकीकृत व्यापार मॉडल के साथ भारतीय बाजार व्यापार में पारदर्शिता लाया जो उच्च गुणवत्ता वाले डेटा और सेवाएं प्रदान करता है। एनएसई के पास अन्य स्टॉक एक्सचेंजों की तुलना में उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम है। एनएसई उन निवेशकों के लिए एक अच्छा स्टॉक मार्केट में एक्सचेंज चार्जेज क्या हैं विकल्प है जो उच्च जोखिम लेते हैं।
एनएसई और बीएसई निवेशकों और कंपनियों दोनों के लिए एक सुरक्षित बाजार प्रदान करते हैं। दोनों उच्च लिक्विडिटी , उच्च पहुंच और उच्च लेनदेन की गति प्रदान करते हैं। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ( सेबी ) स्टॉक एक्सचेंजों के लिए नियामक निकाय है जो कारोबार तथा निवेशकों के हितों के सुरक्षा उपायों को बढ़ावा देता है।
Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा
Stock Market Trading: स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं तो सभी चार्जेज को आसानी से समझें ताकि मुनाफा बढ़ा सकें. मुनाफे के मामले में एनएसई और बीएसई पर ट्रेडिंग में भी फर्क है.
स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है. (Image- Pixabay)
Stock Market Trading: अगर आप स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं और शेयरों की सक्रिय रूप से खरीद-बिक्री करते हैं तो इससे जुड़े चार्जेज के बारे में पहले से कैलकुलेशन कर लेना चाहिए. यह कैलकुलेशन इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलती है. इक्विटी में जब आप पैसे लगाते हैं तो यह इंट्रा-डे होता है या डिलीवरी या फ्यूचर या ऑप्शंस, इन सभी तरीकों में पैसे लगाने पर मुनाफा अलग-अलग हासिल होता है. स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है.
इन चार तरीकों से होती है ट्रेडिंग
- Intra-Day Equity: जब आप शेयर की खरीद-बिक्री यानी लांग या शॉर्ट पोजिशन सिर्फ एक ही दिन के लिए लेते हैं यानी कि आज ही स्टॉक मार्केट में एक्सचेंज चार्जेज क्या हैं खरीदकर बेच दिया तो यह इंट्रा-डे के तहत माना जाता है. इसमें इक्विटी की होल्डिंग नहीं मिलती है.
- Delivery Equity: इंट्रा-डे के विपरीत डिलीवरी ट्रेडिंग में आप जो शेयर खरीदते हैं, उसे डीमैट खाते में रखा जाता है और इसकी होल्डिंग कुछ समय के लिए मिलती है. इंट्रा-डे में चाहे घाटा हो या फायदा, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना जरूरी होता है, जबकि डिलीवरी इक्विटी ट्रेडिंग में अपने हिसाब से जब चाहें किसी भी कारोबारी समय पर शेयरों की बिक्री कर सकते हैं.
- Future: यह खरीदार और विक्रेता के बीच एक वायदा है जिसके तहत एक खास दिन स्टॉक मार्केट में एक्सचेंज चार्जेज क्या हैं निश्चित प्राइस पर स्टॉक्स का लेन-देन होता है. सौदा हो जाने के बाद दोनों ही पार्टियों को इस सौदे को पूरा करना अनिवार्य है और कोई भी पक्ष मुकर नहीं सकता है.
- Options: ऑप्शंस के तहत किसी खास दिन निश्चित प्राइस पर लेन-देन के लिए एक सौदा होता है जिसमें कुछ प्रीमियम चुकाना होता है. ऑप्शंस के तहत कॉल और पुट दो विकल्प मिलते हैं. कॉल ऑप्शंस के तहत खरीदार को खरीदने का अधिकार मिलता है और पुट ऑप्शंस के तहत बेचने का.
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मुनाफे पर ऐसे पड़ता है असर
ऊपर चार तरीकों के बारे में जानकारी दी गई जिससे आप शेयर मार्केट के जरिए पैसे कमाते हैं. अब नीचे देखते हैं कि आपको सभी तरीके से कितना मुनाफा हो रहा है-
- मान लेते हैं कि आप किसी कंपनी के 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर इंट्रा-डे में ही 1100 रुपये में बेच देते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ. इस पर ब्रोकरेज, एसटीटी, एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस, जीएसटी, सेबी शुल्क और स्टांप ड्यूटी मिलाकर करीब 202.24 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इस ट्रेडिंग में आपको 39795.76 रुपये का मुनाफा होगा.
- अगर आप 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर डिलीवरी लेते हैं यानी कि उनकी बिक्री किसी और दिन 1100 रुपये के भाव पर करते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ लेकिन टैक्सेज व चार्जेज के रूप में 935.04 रुपये चुकाने होंगे. इसमें 39064.96 रुपये का मुनाफा हुआ जो इंट्रा-डे ट्रेडिंग से कम है. हालांकि इंट्रा-डे में बहुत रिस्क है क्योंकि इसमें मुनाफा हो या नुकसान, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना ही होगा.
- फ्यूचर के मामले में अगर आपने 400 शेयरों को 1000 रुपये में खरीदकर 1100 रुपये में बेचा है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर वाले इस ट्रांजैक्शन में 119.86 रुपये का टैक्स व चार्जेज चुकाने होंगे. इसमें 39880.14 रुपये का मुनाफा होगा.
- अगर ऑप्शंस के तहत 1 हजार रुपये के 400 शेयरों के लिए सौदा किया है जिसकी बिक्री 1100 रुपये के भाव पर होती है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर के इस सौदे में 805.38 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इसमें 39194.62 रुपये का मुनाफा होगा.
(यह कैलकुलेशन ब्रोकरेज फर्म Zerodha के कैलकुलेटर से किया गया है और इसमें एनएसई- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग का कैलकुलेशन है. सभी फर्मों के लिए ब्रोकरेज जैसे चार्जेज भिन्न होते हैं.)
F&O ट्रेडिंग में BSE पर NSE की तुलना में अधिक मुनाफा
Zerodha कैलकुलेटर के मुताबिक अगर आप एनएसई की बजाय बीएसई पर फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग करते हैं तो मुनाफा बढ़ सकता है. बीएसई पर F&O के लिए कोई एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस नहीं लगता है और इससे जीएसटी भी कम हो जाता है. ध्यान रहे कि इंट्रा-डे इक्विटी और डिलीवरी इक्विटी में बीएसई पर एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस एनएसई के बराबर ही चुकानी होती है.
Stock Market Charges kya hai aur kitne Lagte hai?
Gaurav Popat एक निवेशक, ट्रेडर और ब्लॉगर है, जो की शेयर बाज़ार मे बहुत रुचि रखता है। वह साल 2015 से शेयर बाज़ार मे है। पिछले 7 साल मे खुद अलग अलग जगह से सीख कर और अनुभव के आधार पर शेयर बाज़ार और निवेश के विषय मे यहा पर जानकारी देता है।
Stock Market: शेयर बाजार क्या है?
अगर शाब्दिक अर्थ में कहें तो शेयर बाजार किसी सूचीबद्ध कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने-बेचने की जगह है.
BSE या NSE में ही किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर ब्रोकर के माध्यम से खरीदे और बेचे जाते हैं. शेयर बाजार (Stock Market) में हालांकि बांड, म्युचुअल फंड और डेरिवेटिव का भी व्यापार होता है.
स्टॉक बाजार या शेयर बाजार में बड़े रिटर्न की उम्मीद के साथ घरेलू के साथ-साथ विदेशी निवेशक (FII या FPI) भी काफी निवेश करते हैं.
शेयर खरीदने का मतलब क्या है?
मान लीजिये कि NSE में सूचीबद्ध किसी कंपनी ने कुल 10 लाख शेयर जारी किए हैं. आप उस कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार जितने शेयर खरीद लेते हैं आपका उस कंपनी में उतने हिस्से का मालिकाना हक हो गया. आप अपने हिस्से के शेयर स्टॉक मार्केट में एक्सचेंज चार्जेज क्या हैं किसी अन्य खरीदार को जब भी चाहें बेच सकते हैं.
कंपनी जब शेयर जारी करती है उस वक्त किसी व्यक्ति या समूह को कितने शेयर देना है, यह उसके विवेक पर निर्भर है. शेयर बाजार (Stock Market) से शेयर खरीदने/बेचने के लिए आपको ब्रोकर की मदद लेनी होती है.
ब्रोकर शेयर खरीदने-बेचने में अपने ग्राहकों से कमीशन चार्ज करते हैं.
किसी लिस्टेड कंपनी के शेयरों का मूल्य BSE/NSE में दर्ज होता है. सभी सूचीबद्ध कंपनियों के स्टॉक मार्केट में एक्सचेंज चार्जेज क्या हैं शेयरों का मूल्य उनकी लाभ कमाने की क्षमता के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है. सभी शेयर बाजार (Stock Market) का नियंत्रण भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी या SEBI) के हाथ में होता है.
Sebi की अनुमति के बाद ही कोई कंपनी शेयर बाजार (Stock Market) में लिस्ट होकर अपना प्रारंभिक निर्गम इश्यू (आईपीओ या IPO) जारी कर सकती है.
प्रत्येक तिमाही/छमाही या सालाना आधार पर कंपनियां मुनाफा कमाने पर हिस्साधारकों को लाभांश देती है. कंपनी की गतिविधियों की जानकारी SEBI और BSE/NSE की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होती है.
कोई कंपनी BSE/NSE में कैसे लिस्ट होती है?
शेयर बाजार (Stock Market) में लिस्ट होने के लिए कंपनी को शेयर बाजार से लिखित समझौता करना पड़ता है. इसके बाद कंपनी पूंजी बाजार नियामक SEBI के पास अपने सभी जरूरी दस्तावेज जमा करती है. SEBI की जांच में सूचना सही होने और सभी शर्त के पूरा करते ही कंपनी BSE/NSE में लिस्ट हो जाती है.
इसके बाद कंपनी अपनी हर गतिविधि की जानकारी शेयर बाजार (Stock Market) को समय-समय पर देती रहती है. इनमें खास तौर पर ऐसी जानकारियां शामिल होती हैं, जिससे निवेशकों के हित प्रभावित होते हों.
शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव क्यों आता है?
किसी कंपनी के कामकाज, ऑर्डर मिलने या छिन जाने, स्टॉक मार्केट में एक्सचेंज चार्जेज क्या हैं नतीजे बेहतर रहने, मुनाफा बढ़ने/घटने जैसी जानकारियों के आधार पर उस कंपनी का मूल्यांकन होता है. चूंकि लिस्टेड कंपनी रोज कारोबार करती रहती है और उसकी स्थितियों में रोज कुछ न कुछ बदलाव होता है, इस मूल्यांकन के आधार पर मांग घटने-बढ़ने से उसके शेयरों की कीमतों में उतार-चढाव आता रहता है.
अगर कोई कंपनी लिस्टिंग समझौते से जुड़ी शर्त का पालन नहीं करती, तो उसे सेबी BSE/NSE से डीलिस्ट कर देती है.
शायद आपको पता न हो, विश्व के सबसे अमीर व्यक्तियों में शामिल वारेन बफे भी शेयर बाजार (Stock Market) में ही निवेश कर अरबपति बने हैं.
आप कैसे कर सकते हैं शेयर बाजार में निवेश की शुरूआत?
आपको सबसे पहले किसी ब्रोकर की मदद से डीमैट अकाउंट खुलवाना होगा. इसके बाद आपको डीमैट अकाउंट को अपने बैंक अकाउंट से लिंक करना होगा.
बैंक अकाउंट से आप अपने डीमैट अकाउंट में फंड ट्रांसफर कीजिये और ब्रोकर की वेबसाइट से खुद लॉग इन कर या उसे आर्डर देकर किसी कंपनी के शेयर खरीद लीजिये.
इसके बाद वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर हो जायेंगे. आप जब चाहें उसे किसी कामकाजी दिन में ब्रोकर के माध्यम से ही बेच सकते हैं.
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देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज ने निवेशकों को किया अलर्ट, गारंटीड रिटर्न स्कीम से रहें सावधान, वरना डूब जाएगा पैसा
NSE Alert: एक्सचेंज निवेशकों को आगाह करते हुए कहा कि वे एंटिटीज/व्यक्तियों द्वारा स्टॉक मार्केट में रिटर्न की गारंटी के साथ पेश की जाने वाली योजनाओं में निवेश नहीं करें क्योंकि कानूनन इस पर प्रतिबंध है.
NSE Alert: देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) ने शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले निवेशकों को सचेत किया है. एनएसई (NSE) ने निवेशकों को एश्योर्ड रिटर्न की स्कीम्स के प्रति आगाह किया है. एक्सचेंज ने बताया कि ये एंटिटीज NSE के पास न तो मेंबर के रूप में रजिस्टर्ड हैं और न ही किसी रजिस्टर्ड मेंबर की ओर से अधिकृत व्यक्ति हैं. ऐसी एश्योर्ड रिटर्न वाली स्कीम में पैसा लगाना जोखिम है. आपका निवेश भी डूब सकता है.
NSE का यह अलर्ट तब आया जब उसने पाया कि टेलीग्राम चैनल और वॉट्सऐप (WhatsApp) के जरिए परिचालन करने वाली ‘रियल ट्रेडर’ और ‘ग्रो स्टॉक’ जैसी एंटिटीज रिटर्न की गारंटी का दावा करते हुए योजनाओं की पेशकश कर रही हैं.
गारंटीड रिटर्न स्कीम में न करें निवेश
एक्सचेंज ने बयान में कहा कि निवेशकों को आगाह किया जाता है कि वे एंटिटीज/व्यक्तियों द्वारा शेयर बाजार में रिटर्न की गारंटी के साथ पेश की स्टॉक मार्केट में एक्सचेंज चार्जेज क्या हैं जाने वाली योजनाओं में निवेश नहीं करें क्योंकि कानूनन इस पर प्रतिबंध है. एक्सचेंज ने पिछले महीने इसी तरह का एडवाइजरी जारी किया था. उस समय एक्सचेंज को पता चला था कि शेयर्स बाजार प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक एंटिटी एश्योर्ड रिटर्न के साथ निवेश स्कीम की पेशकश कर रही है.
हाल ही में, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के शेयरधारकों ने आशीष कुमार चौहान को प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दी. एनएसई की असाधारण आम बैठक 11 अगस्त को हुई थी. इसमें शेयरधारकों ने 99.99 फीसदी वोटों के साथ चौहान की नियुक्ति को मंजूरी दी. चौहान पहले BSE के मैनेजिंग डायरेक्ट और CEO थे. उन्होंने 26 जुलाई को एनएसई के प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया.
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