इमरान खान ने जताई ये खतरनाक आशंका

ड्रेगन का खतरनाक प्लान सामने आया, क्या भारत इसके लिए तैयार है?

पत्रकार गिरिजेश वशिष्ठ बता रहे हैं कि किस तरह विदेशी मुद्रा खतरनाक क्यों है चीन भारत को तेजी से हथियारों से घेर रहाहै . उसने भारत के चारों तरफ संबंधों का तानाबाना बुनलिया है. पड़ोसी देशों को कर्ज के जाल में फंसाकर वहां हथियार तैनात कर रहा है. ये स्थिति भारतके लिए खतरनाक हो सकतीहै.

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शिक्षा , इतिहास , अर्थशास्त्र, राजनीति और अन्य समसामयिक विषयों पर पत्रकार गिरिजेश वशिष्ठ के विश्लेषण इस चनल पर लगातार मिलता है. आजाद, खुली और स्वस्थ पत्रकारिता को अपने अनुभव से लेकर आते हैं.
ये चैनल पत्रकार गिरिजेश वशिष्ठ के विश्लेषणों का चैनल है. गिरिजेश वशिष्ठ वरिष्ठ पत्रकार हैं. वो इन्डिया टुडे ग्रुप, दिल्ली आजतक, ज़ी, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, सहारा समय समेत अनेक महत्वपूर्ण समाचार संस्थानों में संपादक के स्तर पर जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं और पिछले 34 साल से लगातार सक्रिय हैं.
This is a analysis channel of Girijesh Vashistha. Girijesh Vashistha is a senior journalist; he has worked with India Today group, Zee Network, Dainik Bhaskar, Dainik Jagran and sahara samay like Prominent News organizations for 34 years at Editor Level

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ऐतिहासिक चूक: क्या डूबते पाकिस्तान को बचा पाएगा IMF का Bailout Package

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पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ( Pakistan) दिवालिया होने की कगार पर है. इस्लामाबाद और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बीच 6 बिलियन अमरीकी डालर ( US Dollar) के बेलआउट पैकेज को फिर से शुरू करने के लिए चल रही बातचीत के बावजूद देश की आर्थिक स्थिति फिलहाल एक गंभीर भविष्य का सामना कर रही है. पाकिस्तानी रुपया (PKR) एक 'बेकाबू गिरावट' पर है. यह 21 जून को प्रति अमरीकी डालर 212 को पार कर गया था. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार एक खतरनाक स्तर तक कम हो गया है. वहीं देश में छह सप्ताह से भी कम का आयात कवर बचा है.

पाकिस्तान ट्रिब्यून में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार 9 बिलियन अमरीकी डालर से नीचे है. पिछले एक साल में पाकिस्तानी रुपये में 34 फीसदी ( पीकेआर 53.67) का भारी अवमूल्यन हुआ है. इसके विपरीत पिछले साल जून में यह पीकेआर 157.54 पर बंद हुआ था. इसके चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया लगभग 16.5 प्रतिशत (31 दिसंबर, 2001 से) की गिरावट के साथ साल 2022 में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया है. जापानी येन, दक्षिण कोरियाई वोन और बांग्लादेशी टका वाली 13 समकक्षों के बास्केट में यह सबसे निचले पायदान पर है.

कोरोना संकट में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक वृद्धि

पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है और तमाम देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी है. लॉकडाउन का प्रतिकूल प्रभाव भारत की आर्थिक वृद्धि पर भी पड़ा लेकिन इस कोरोना काल में देश को एक बड़ी उपलब्धि भी हासिल हुई है.

    • देश के विदेशी भंडार में हुई रिकॉर्ड वृद्धि
    • कोरोना काल में ये वृद्धि शानदार संकेत
    • FCA है बढ़ोत्तरी की प्रमुख वजह

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    कोरोना संकट में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक वृद्धि

    नई विदेशी मुद्रा खतरनाक क्यों है दिल्ली: भारत में कोरोना संक्रमण के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और मरीजों के स्वस्थ होने की संख्या भी तेज गति से बढ़ रही है. ये देखकर गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन को समाप्त कर दिया है और उसके स्थान पर अनलॉक करने की व्यवस्था की है. इसका मतलब ये है कि चरणबद्ध तरीके से लोग लॉकडाउन से बाहर आ रहे हैं और सभी व्यवस्थाएं धीरे धीरे सामान्य रूप से चलने लगी हैं. अनलॉक की वजह से कारोबार भी शुरू हो रहा है और बड़े बड़े उद्योगों के नुकसान में कमी आनी शुरू हुई है. बड़ी खबर ये है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है.

    विदेशी पूंजी की रुखसती रुकेगी!

    इसके अलावा इन प्रमोटरों को विदेशी मुद्रा की उधारी के ऐसे भाग के इस्तेमाल की भी मंजूरी मिल सकती है, जो इन्होंने पहले प्रयोग नही किया है। अगर बॉन्ड परिपक्व हो जाता है, तो ऋण प्रतिदान के दबाव को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल फिर से किया जा सकेगा।

    मौजूदा निर्देशों के तहत 40 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा ऋण के पुनर्भुगतान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से आदेश लेना होता है। लेकिन किसी बॉन्ड को फिर से खरीदने की अनुमति नहीं है। विदेशी मुद्रा उधारी के बिना इस्तेमाल हुए भाग का फिर से उपयोग पुनर्भुगतान या ऋण आपत्ति के आधार पर भुगतान की अनुमति मौजूदा दिशा-निर्देश में विदेशी मुद्रा खतरनाक क्यों है शामिल नहीं है।

    इस कदम को उठाने से पहले सरकार रिजर्व बैंक से मशविरा कर रही है। अगर ऐसा हो जाता है, तो विदेशी मुद्रा के बाह्य प्रवाह को कम किया जा सकता है। पहले भी ऋण के इस्तेमाल नहीं हुए भाग के उपयोग का मामला उठा था।

    खतरनाक है अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजार की अलग-अलग चाल : आरबीआई रिपोर्ट

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    केंद्रीय बैंक ने अपनी फाइनेंशियल स्टैलिबिलीट रिपोर्ट में यह भी कहा है कि केंद्रीय बैंकों और दूसरी अथॉरिटी के हस्तक्षेप से वित्तीय बाजार में स्थिरता लाने में मदद मिली है. लेकिन, दोनों की अलग-अलग चाल से जोखिम बढ़ता है.

    यह पहली बार नहीं है कि आरबीआई ने इस जोखिम को लेकर आगाह किया है. पिछले साल अगस्त में भी उसने इस तरह का संकेत दिया था. तब केंद्रीय बैंक ने चढ़ते शेयर बाजार में जल्द गिरावट आने का अनुमान जताया था. केंद्रीय बैंक ने अपनी फाइनेंशियल स्टैलिबिलीट रिपोर्ट में यह भी कहा है कि केंद्रीय बैंकों और दूसरी अथॉरिटी के हस्तक्षेप से वित्तीय बाजार में स्थिरता लाने में मदद मिली है. लेकिन, दोनों की अलग-अलग चाल से जोखिम बढ़ता है.

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