इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए सेबी द्वारा रेगुलेशन

न्यूजीलैंड ने क्रिप्टो ट्रेडर्स को दी चेतावनी, आखिर क्यों जानिए?

हाल ही में जारी एक चेतावनी में, न्यूजीलैंड के सर्वोच्च फाइनेंशियल रेगुलेशन बॉडी, FMA (फाइनेंशियल मार्केट्स अथॉरिटी) ने डिजिटल करेंसी द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली अस्थिरता के साथ-साथ बाद के नुकसानों को भी उजागर किया, जिसका ट्रेडर्स को सामना करना पड़ सकता है। यह बिटकॉइन (BTC) के बिगड़ते मूल्य के बाद आता है, जब टॉप क्रिप्टोकरेंसी ने स्टॉक एक्सचेंज में रिकॉर्ड-ब्रेकिंग बेनिफिट प्रदान किया था।

अथॉरिटी ने यूजर को देश में क्रिप्टोकरंसीज की गड़बड़ी के कारण घोटालों और हैकिंग कार्यों के बारे में भी बताया। इस चिंता को यू.के. के फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी (एफसीए) द्वारा पहचान किया गया है, जिसमें ऐसी डिजिटल एसेट्स के हाई जोखिम वाले हाई रिटर्न के प्रति अधिक उम्मीद हैं।

विदेशों में स्थित कई डिजिटल करेंसी ट्रेडों को माना जाता है कि वे केवल वेब पर काम करते हैं – न्यूजीलैंड के साथ कोई संबंध नहीं है।

वेरीफाइड करने का सुझाव

एफएमए किसी भी एक्सचेंज-आधारित वेबसाइट की पहचान को वेरीफाइड करने का सुझाव देता है जो डिजिटल एसेट्स से संबंधित किसी भी लेनदेन से पहले क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्ट पर उच्च रिटर्न प्रदान करता है। न्यूजीलैंड में ट्रेड गतिविधियों की देखरेख के लिए स्थापित FMA की एक शाखा है।

बिटकॉइन के चारों ओर बहुत सारी नैरेटिव के बावजूद क्रिप्टोकरेंसी के उतार-चढ़ाव वाले इवैल्यूएशन को ठीक किया जा रहा है, जो यूजर किसी भी डिजिटल करेंसी को खरीदते हैं, उन्हें उत्पन्न होने वाली ट्रेडिशनल समस्याओं से अवगत कराया जाना चाहिए, जैसे कि क्रिप्टो को फिएट करेंसी में बदलना कितना आसान है।

इनसाइडर ट्रेडिंग एवं सेबी द्वारा रोकने के लिए उठाए गए कदम।

जब भी किसी कंपनी के कर्मचारी गलत तरीके से कंपनी के शेयर्स की खरीद बिक्री करते हुए मुनाफा कमाते हैं तो इसे ही इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है। यह विशेषकर कंपनी की किसी गोपनीय या संवेदनशील जानकारी के आधार पर किया जाता है और कर्मचारियों को यह पहले से मालूम होता है कि आने वाले समय में कंपनी के शेयर्स के भाव बढ़ेंगे या गिरेंगे।

जैसे कि किसी एक कंपनी का किसी दूसरे कंपनी के साथ मर्जर या विलय होने वाला है, या कंपनी का प्रमोटर अपने शेयर्स को गिरवी रखकर लोन लेती है जिसकी जानकारी कंपनी के प्रबंधन कर्मचारियों को पहले से हो जाती है। वे लोग डील अनाउंस होने से पहले ही अपने किसी करीबी या रिश्तेदार के नाम से कंपनी के शेयर्स खरीद लेते हैं और ताकि डील कंप्लीट होने के बाद शेयर्स के दाम बढ़े तो इन्हे बेचकर मुनाफा कमाया जा सके।

इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए सेबी द्वारा रेगुलेशन

हालांकि प्रमोटर या कोई कंपनी खरीद या बिक्री सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार करती है तो यह गलत नहीं माना जा सकता है। लेकिन गलत तरीके से गैरकानूनी खरीद बिक्री के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

इनसाइडर ट्रेडिंग शेयर बाजार में मौजूद सबसे गंभीर अपराध में से एक है। यह मूल रूप से अप्रकाशित मूल्य या संवेदनशील जानकारी का उपयोग करके लिस्टेड कंपनी के शेयरों या अन्य प्रतिभूतियां जैसे ( बॉन्ड या शेयर) विकल्प की खरीद बिक्री या व्यापार को करता है जो स्टॉक मूल्य को प्रभावित कर सकता है जिसका कि अभी तक खुलासा नहीं किया गया है।

यूपीएसआई( unpublished price sensitive index)

यह किसी फॉर्म या कंपनी के शेयरों की कीमतों क्वार्टरली परिणामों, ट्रेडर्स वे रेगुलेशन अधिग्रहण सौदे, विलय या किसी भी तरह की संवेदनशील गतिविधियों से संबंधित विशेष जानकारी के एक भाग को संदर्भित करता है जिसे जनता के बीच सांझा न करते हुए या साझा करने से पहले कंपनी के लोग या संबंधी (यूपीएसआई) तक पहुंचने में सक्षम हो जाते हैं तो वह लोग गलत तरीके से गैरकानूनी रूप से व्यापार या शेयर बाजार में कम्पनी के लिस्टेड शेयर में सौदे करते हैं। उदहारण के लिए यदि एक कंपनी का निर्देशक अपने दोस्त या संबंधी व्यक्ति को अभी तक के किए गए सौदे के बारे में सूचना का आदान प्रदान करता है और बाद में उस जानकारी को अपने सहयोगियों को बांट देता है तथा वो दोस्त उस संबंधित कंपनी के शेयर्स खरीद लेते हैं जिससे कि उनको उन शेयरों से मुनाफा कमाया जा सके। इसी गैर कानूनी तरीके से किए गए शेयर्स की खरीद फरोख्त को सेबी द्वारा इनसाइडर ट्रेडिंग के तौर पर नियम उल्लंघन करने का दोषी मानते हुए कानूनी तौर पर कार्यवाही की जा सकती है।

इनसाइडर किसे माना जाता है ?

सेबी द्वारा परिभाषित इनसाइडर ऐसे व्यक्ति के तौर पर परिभाषित करता है जिस व्यक्ति के पास किसी विशेष कंपनी ट्रेडर्स वे रेगुलेशन के शेयरों या प्रतिभूतियां के बारे में मूल्य संवेदनशील गोपनीय जानकारी होती है।इनसाइडर वह हो सकता है जो इनसाइडर ट्रेड करने से पहले 6 माह तक कंपनी के साथ किसी भी प्रकार से जुड़ा हुआ यदि पाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति किसी भी प्रकार के कंपनी के कर्मचारी, निर्देशक, रिश्तेदार,वित्तीय प्रबंधन कंपनी का अधिकारी, बैंकर, ट्रस्टी कर्मचारी भी हो सकता है, इन सभी को इनसाइडर ट्रेडिंग का दोषी माना जा सकता है।

सेबी द्वारा रेगुलेशन

भारत में इनसाइडर ट्रेडिंग रेगुलेशन 2015 में सेबी द्वारा इनसाइडर ट्रेडिंग को रेगुलेट किया गया है।जिसमे उपरोक्त सभी गैरकानूनी तरीके से शेयर बाजार से शेयर्स की खरीद फरोख्त करके उनसे पैसे कमाने के उद्देश्य ट्रेडर्स वे रेगुलेशन के कारणों से सेबी रेगुलेशन नियमों के उल्लंघन पाए जाने पर किसी व्यक्ति विशेष या संस्थाओं को कैपिटल मार्केट में ट्रेडिंग करने से रोक सकता है।

फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स रेगुलेशन बिल क्या है?

फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स रेगुलेशन एक्ट, 1952 अमेंडमेंट लंबे समय से अटका हुआ है.

बिल पास होने पर क्या होंगे बदलाव?

सेबी की तरह एफएमसी को भी एक्सचेंज से फंड जुटाने उन्हें मान्यता देने या खारिज करने का अधिकार होगा। एफएमसी अभी कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया पर निर्भर है। एकबार यह बिल पास हो जाए, तो वह एक्सचेंज पर होने वाले डील और ब्रोकरों से भी फंड जुटा सकता है। एफएमसी को पेनाल्टी लगाने का भी अधिकार होगा, जो अभी नहीं है। एक मजबूत रेगुलेटर के तौर पर एफएमसी, इंस्टीट्यूशनल प्लेयर्स की एंट्री का फ्रेमवर्क तैयार कर सकेगा, जो बड़े कॉरपोरेट्स के लिए काउंटरपार्टीज का काम करेंगे।

कई साल से बिल पास होने का इंतजार

बिल को सबसे पहले 2003-2004 में राज्यसभा में पेश किया गया था, लेकिन तब लोकसभा भंग हो जाने के कारण यह पास नहीं हो पाया था। जनवरी 2008 में पास अध्यादेश की अवधि खत्म होने के बाद इसे संसद में पेश नहीं किया जा सका। कमोडिटी मार्केट अब तक इसके पास होने का इंतजार कर रहा है।

कमोडिटी एक्सचेंज पर कौन ट्रेड करते हें और वे कैसे काम करते हैं?

कुछ बड़ी साइज की एग्री कंपनियां, स्मॉल एवं मिड-साइज्ड एंटरप्राइज, रीटेल ट्रेडर्स, सटोरिए और रबड़ जैसे कुछ उत्पादों में कुछेक को-ऑपरेटिव्स कमोडिटी एक्सचेंज पर ट्रेड करते हैं।

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स्टील ट्रेडर्स ने पीएम से लगाई गुहार

[ ईटी ब्यूरो | नई दिल्ली ]स्टेनलेस स्टील और यूटेंसिल कारोबारियों ने चीनी आयात और रॉ मैटीरियल की किल्लत से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से.

[ ईटी ब्यूरो | नई दिल्ली ]

स्टेनलेस स्टील और यूटेंसिल कारोबारियों ने चीनी आयात और रॉ मैटीरियल की किल्लत से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है। 3000 से ज्यादा यूनिटों वाले राजधानी के स्टील हब वजीरपुर की दिल्ली स्टेनलेस स्टील ट्रेडर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर निकल और स्क्रैप पर कस्टम ड्यूटी घटाकर जीरो पर्सेंट करने और फिनिश्ड गुड्स पर बढ़ाकर 15 पर्सेंट करने की मांग की है। कारोबारियों का एक डेलिगेशन इस मुद्दे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली से भी मिलेगा।

एसोसिएशन के प्रेसिडेंट मुनी लाल गुप्ता ने कहा, 'चीन से सस्ते स्टील प्रॉडक्ट के बढ़ते आयात से यहां की यूनिटों का कैपेसिटी यूटिलाइजेशन घटकर 50 पर्सेंट हो गया है, जो हाल तक 70 पर्सेंट था। चीन में स्टील यूनिटों को पॉलिसी और ड्यूटी प्रोटेक्शन मिलने से वे लगातार प्रॉडक्शन बढ़ा रही हैं। उनकी बिजली, पानी और फाइनेंशियल क्रेडिट की कॉस्ट भी हमसे काफी कम है। अगर सरकार ने दखल नहीं दिया तो जल्द ही घरेलू बाजार स्टील के चाइनीज बरतनों से भी भर जाएगा।' गुप्ता ने कहा कि स्टेनलेस स्टील बनाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले निकल, स्टील स्क्रैप, क्रोम जैसे कच्चे माल की देश में उपलब्धता काफी कम है। फिलहाल इन पर 2.5 पर्सेंट इम्पोर्ट ड्यूटी है, जिसे घटाकर शून्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ और देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों के चलते भी घरेलू कारोबारियों की डिमांड घट रही है।

देश के यूटेंसिल बाजार और एक्सपोर्ट में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली वजीरपुर की स्टील फर्मों को स्थानीय स्तर पर रेगुलेशन और एनवायरमेंट नॉर्म्स को लेकर भी कई मुश्किलें पेश आ रही हैं। स्टेनलेस स्टील बनाने की प्रक्रिया में शामिल पिकलिंग यूनिटें वर्षों से डीडीए और दिल्ली पल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) के निशाने पर रहीं हैं और इन्हें मास्टर प्लान की नेगेटिव लिस्ट में डाला जाता रहा है। अप्रैल-मई में डीपीसीसी ने वजीरपुर की 107 यूनिटों को सील कर दिया था, जिससे मैन्युफैक्चरिंग चेन में शामिल हजारों यूनिटें बंद होने के कगार पर पहुंच गईं। जून में लेबर यूनियनों की हड़ताल से भी करीब एक पखवाड़े तक यहां कामकाज प्रभावित था।

इंडियन स्टेनलेस स्टील एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014-15 में देश में स्टेनलेस स्टील का कुल उत्पादन करीब 26 लाख टन होने की उम्मीद है, जो इंडस्ट्री के औसत अनुमान का लगभग आधा ही है। एसोसिएशन का दावा है कि अप्रैल से अक्टूबर के बीच चीन, कोरिया, ताइवान जैसे स्टील उत्पादक देशों की ओर से आयात करीब 150 पर्सेंट बढ़ा है। पिछले वित्त वर्ष में देश में करीब एक लाख टन स्टेनलेस स्टील आया था, जबकि पिछली छमाही में अकेले चीन से ही ढाई लाख टन से ज्यादा माल आ चुका है।

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