न्यू फंड ऑफर यानी NFO में निवेश से पहले इन्हेें ठीक से परख लें.

Parliamentary committee signs free trade agreements with major trading partners

Recently Parliamentary Committee has urged to address the issues hindering the signing of Free Trade Agreements (FTAs) with major trading partners.

The Parliamentary Standing Committee on Commerce has released a report titled ‘Augmenting Infrastructure Facilities to Boost Exports’. In this report, the Committee has expressed the view that the FTA should be signed while balancing the interests of the domestic market and the exporters.

An Free Trade Agreements (FTAs) is an agreement signed between two or more countries to reduce barriers to imports and exports.

Key concerns highlighted by the Parliamentary Committee (PSC)

एनसीडेक्स द्वारा एग्री कमोडिटी बास्केट में भारत के पहले सेक्टोरल इंडेक्स ‘गुआरेक्स’ जारी

प्रश्न-अगस्त‚ 2021 में किसके द्वारा भारत के पहले क्षेत्रीय कृषि-सूचकांक आधारित वायदा अनुबंध ‘गुआरेक्स’ को लांच किया गया है?
(a) नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड [NCDEX]
(b) नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन लिमिटेड [NTPC]
(c) स्माल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया [SIDBIT]
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर—(a)
संबंधित तथ्य

Parliamentary बास्केट ट्रेडिंग रणनीति committee signs free trade agreements with major trading partners

Recently Parliamentary Committee has urged to address the issues hindering the signing of Free Trade Agreements (FTAs) with major trading partners.

The Parliamentary Standing बास्केट ट्रेडिंग रणनीति Committee on Commerce has released a report titled ‘Augmenting Infrastructure Facilities to Boost Exports’. In this report, the Committee has expressed the view that the FTA should be signed while balancing the interests of the domestic market and the exporters.

An Free Trade Agreements (FTAs) is an agreement signed between two or more countries बास्केट ट्रेडिंग रणनीति to reduce barriers to imports and exports.

Key concerns highlighted by the Parliamentary Committee (PSC)

NFO क्या है? क्या आपको इसमें बास्केट ट्रेडिंग रणनीति निवेश करना चाहिए, जानें क्या है सही स्ट्रैटजी

NFO को बहुत सारे निवेशक IPO जैसा ही समझते हैं. उन्हें लगता है कि जिस तरह शेयरों की डिमांड बढ़ने पर फायदा होता है, वैसा ही फंड में भी होगा. लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है.

NFO क्या है? क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए, जानें क्या है सही स्ट्रैटजी

न्यू फंड ऑफर यानी NFO में निवेश से पहले इन्हेें ठीक से परख लें.

एनएफओ (NFO) यानी न्यू फंड ऑफर. जब भी कोई म्यूचुअल फंड कंपनी एनएफओ लॉन्च करती है तो इसका जबरदस्त प्रचार किया जाता है. चैनलों और अखबारों में फंड बास्केट ट्रेडिंग रणनीति बास्केट ट्रेडिंग रणनीति मैनेजरों के इंटरव्यू आते हैं, जिनमें न्यू फंड की निवेश स्ट्रैटजी बताई जाती है. इसकी खूबियां गिनाई जाती हैं. ऐसा माहौल बनाया बास्केट ट्रेडिंग रणनीति जाता है कि म्यूचुअल फंड ग्राहकों ने इसमें पैसा लगाया तो जबरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन क्या यह सच है? क्या एनएफओ में फंड निवेशकों को निवेश करना चाहिए?

इस सवाल से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर न्यू फंड ऑफर यानी NFO है क्या? दरअसल, जब भी कोई एसेट मैनेजमेंट बास्केट ट्रेडिंग रणनीति कंपनी ( AMC) कोई नया फंड लॉन्च करती है तो यह सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही खुला होता है. फंड पोर्टफोलियो के लिए शेयर खरीदना इसका मकसद होता है और इसलिए इसके जरिये पैसा जुटाया जाता है. एक तरह से एक नए फंड की शुरुआत करने के लिए पैसा जुटाया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को न्यू फंड ऑफर कहा जाता है.

कई मायनों में यह आईपीओ जैसा लगता है लेकिन यह वैसा नहीं होता. मौजूदा नियमों के मुताबिक भारत में एनएफओ की अवधि 3 से 15 दिनों तक होती है. अगर फंड ओपन एंडेड है तो इसके कुछ दिनों बाद इसमें निवेश शुरू हो जाता है. अगर क्लोज एंडेड है तो निवेशक एनएफओ पीरियड के दौरान इसे सब्सक्राइव कर सकता है लेकिन उसे इस दौरान होल्ड किए रखना होगा. अब सवाल यह है कि आपको एनएफओ में निवेश करना चाहिए या नहीं. ज्यादातर एक्सपर्ट्स आम म्यूचुअल फंड निवेशकों को इसमें निवेश करने की सलाह नहीं देते हैं. आखिर क्यों? इसकी कुछ वजहें इस तरह हैं-

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कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं

चूंकि यह फंड नया होता है इसलिए इसका कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होता है, जिसे देख कर हम निवेश का फैसला कर सकें. इसलिए ज्यादातर निवेशक फंड हाउस के पिछले प्रदर्शन को देख कर इसके एनएफओ में निवेश करते हैं. लेकिन यह सही रणनीति नहीं है. क्योंकि नई निवेश रणनीति के सामने नई चुनौतियां होती हैं और आपको पता नहीं होता कि यह फंड कामयाब होगा या नहीं. इसलिए हमेशा ऐसे फंड में निवेश करना बेहतर होता है, जिसका मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हो.

एनएफओ,आईपीओ नहीं है

एनएफओ, आईपीओ की तरह लगता है लेकिन लेकिन यह इसकी तरह नहीं होता. बहुत सारे निवेशक इसे आईपीओ जैसा समझते हैं और उन्हें लगता है कि जिस तरह शेयरों में डिमांड बढ़ने पर उन्हें फायदा होता है, वैसा ही इसमें भी ऐसा होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. म्यूचअल फंड के एनएवी पर डिमांड और सप्लाई बास्केट ट्रेडिंग रणनीति के नियम का कोई असर नहीं होता. किसी म्यूचुअल फंड में कितने यूनिट्स होंगे यह तय नहीं होता. यूनिट्स जरूरत पड़ने पर बना ली जाती हैं.

ऊंची लागत

हर फंड का एक एक्सपेंस रेश्यो होता है. ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो का मतलब यह है कि आप अपने फंड को मैनेज करने के लिए ज्यादा पैसा दे रहे हैं. जाहिर है इससे आपका रिटर्न घटेगा. भारत में रेगुलेशन नियमों के मुताबिक छोटे एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) वाले बास्केट ट्रेडिंग रणनीति फंड ज्यादा एक्सपेंस चार्ज वसूल कर सकते हैं. एनएफओ जब लॉन्च बास्केट ट्रेडिंग रणनीति होता है तो आमतौर पर इसका एयूएम छोटा होता है . इसलिए इसका एक्सपेंस चार्ज ज्यादा होने की संभावना रहती है. इसलिए यह महंगा होता है.

लॉन्चिंग टाइम

अगर कोई एनएफओ किसी खास वक्त लॉन्च हुआ है तो जरूरी नहीं है कि इसमें निवेश का यही सही वक्त है. एएमसी अपने प्रोडक्ट बास्केट को बड़ा करने या पूरा करने के लिए भी एनएफओ लाते हैं. इसलिए एनएफओ लॉन्च हुआ है इसलिए इसमें निवेश करना है, यह ठीक रणनीति नहीं है.

कुल मिला कर , एनएफओ में निवेश अंधेरे में तीर चलाने जैसा है. इसलिए अनिश्चितता की बजाय ऐसे फंड्स बास्केट ट्रेडिंग रणनीति में निवेश करें जिसका एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हो. अगर एनएफओ कुछ खास हो और आपके पोर्टफोलियो के हिसाब से यह फिट बैठ रहा है तो थोड़ा इंतजार करके देखें कि क्या इसकी थीम और निवेश रणनीति बताए गए मकसद के लिए मुफीद है.

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