अक्षय तृतीया पर सोने में निवेश: गोल्ड ETF में पैसा लगाना रहेगा सही, यहां जानें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें
आज यानी 3 मई को अक्षय तृतीया मनाई जा रही है। इस दिन हमारे देश में सोना खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसे में अगर आप भी इस दिन सोने में निवेश का प्लान बना रहे हैं तो गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या गोल्ड ETF में निवेश करना सही रहेगा। इसमें आपका क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है? सोना सुरक्षित रहेगा और मेकिंग चार्ज भी नहीं देना होगा। आज हम आपको गोल्ड ETF के बारे में बता रहे हैं ताकि आप इसमें निवेश करके फायदा कमा सकें।
सबसे पहले समझें गोल्ड ETF क्या है?
यह एक ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड होता है, जो सोने के गिरते-चढ़ते भावों पर आधारित होता है। ETF बहुत अधिक कॉस्ट इफेक्टिव होता है। एक गोल्ड ETF यूनिट का मतलब है कि 1 ग्राम सोना। वह भी पूरी तरह से प्योर। यह गोल्ड में इन्वेस्टमेंट के साथ स्टॉक में इन्वेस्टमेंट की फ्लेक्सिबिलिटी देता है। गोल्ड ETF की खरीद-बिक्री शेयर की ही तरह BSE और NSE पर की जा सकती है। हालांकि इसमें आपको सोना नहीं मिलता। आप जब इससे निकलना चाहें तब आपको उस समय के सोने के भाव के बराबर पैसा मिल जाएगा।
गोल्ड ETF में निवेश करने के हैं कई फायदे
- कम मात्रा में भी खरीद सकते हैं सोना: ETF के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है। इससे कम मात्रा में या SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए सोना खरीदना आसान हो जाता है। वहीं भौतिक (फिजिकल) सोना आमतौर पर तोला (10 ग्राम) के भाव बेचा जाता है। ज्वेलर से खरीदने पर कई बार कम मात्रा में सोना खरीदना संभव नहीं हो पाता।
- मिलता है शुद्ध सोना: गोल्ड ETF की कीमत पारदर्शी और एक समान होती है। यह लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन का अनुसरण करता है, जो कीमती धातुओं की ग्लोबल अथॉरिटी है। वहीं फिजिकल गोल्ड अलग-अलग विक्रेता/ज्वेलर अलग-अलग कीमत पर दे सकते हैं। गोल्ड ETF से खरीदे गए सोने की 99.5% शुद्धता की गारंटी होती है, जो कि सबसे उच्च स्तर की शुद्धता है। आप जो सोना लेंगी उसकी कीमत इसी शुद्धता पर आधारित होगी।
- नहीं आता ज्वेलरी मेकिंग का खर्च: गोल्ड ETF खरीदने में 0.5% या इससे कम की ब्रोकरेज लगती है, साथ ही पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए सालाना 1% चार्ज देना पड़ता है। यह उस 8 से 30 फीसदी मेकिंग चार्जेस की तुलना में कुछ भी नहीं है, जो ज्वेलर और बैंक को देना पड़ता है, भले ही आप सिक्के या बार खरीदें।
- सोना रहता है सुरक्षित: इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड डीमैट अकाउंट में होता है जिसमें सिर्फ सालाना डीमैट चार्ज देना होता है। साथ ही चोरी होने का डर नहीं होता। वहीं फिजिकल गोल्ड में चोरी के खतरे के अलावा उसकी सुरक्षा पर भी खर्च करना होता है।
- व्यापार की आसानी: गोल्ड ETF को बिना किसी परेशानी के तुरंत खरीदा और बेचा जा सकता है। गोल्ड ETF को लोन लेने के लिए सिक्योरिटी के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इन फंड्स ने दिया अच्छा रिटर्न
फंड का नाम | बीते 1 साल में रिटर्न | 3 साल में फंड का औसत सालाना रिटर्न | 5 साल में फंड का औसत सालाना रिटर्न |
एक्सिस गोल्ड ETF | 9.9% | 16.8% | 10.8% |
SBI गोल्ड ETF | 9.9% | 16.7% | 11.1% |
इनवेस्को इंडिया गोल्ड ETF | 9.9% | 16.4% | 10.4% |
निप्पॉन इंडिया गोल्ड ETF | 9.5% | 16.3% | 10.6% |
आदित्य बिरला सन लाइफ गोल्ड ETF | 9.3% | 16.0% | 10.4% |
इसमें कैसे कर सकते हैं निवेश?
गोल्ड ETF खरीदने के लिए आपको अपने ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलना होता है। इसमें NSE पर उपलब्ध गोल्ड ETF के यूनिट आप खरीद सकते हैं और उसके बराबर की राशि आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक अकाउंट से कट जाएगी। आपके डीमैट अकाउंट में ऑर्डर लगाने के दो दिन बाद गोल्ड ETF आपके अकाउंट में डिपॉजिट हो जाते हैं। ट्रेडिंग खाते के जरिए ही गोल्ड ETF को बेचा जाता है।
क्या Gold ETF में पैसा लगाने का सही समय है? क्यों आ रही है तेजी, आपके पास भी है एफडी से ज्यादा कमाई का मौका
Gold ETF-म्यूचुअल फंड उद्योगों के संगठन एंफी के आंकड़े बताते हैं कि निवेशकों ने नवंबर में गोल्ड ईटीएफ के अंदर 683 करोड़ रुपये का निवेश किया. अक्टूबर की तुलना में यह निवेश दोगुने से भी ज्यादा है
सोना चाहे कितना भी महंगा क्यों न हो जाए, लेकिन निवेशकों का इसके प्रति लगाव कभी कम नहीं होता.. दुनियाभर में जब भी कोई बड़ा संकट सामने आता है तो सुरक्षित निवेश के लिए लोग सोना खरीदना शुरू कर देते हैं. अब कोरोना वायरस का नया अवतार ओमीक्रोन दुनिया के सामने नया संकट बनकर सामने आया है. इस संकट को सामने देख सोने के प्रति लोगों की चाह फिर से क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है? बढ़ गई है. निवेशकों को सोने में निवेश के लिए गोल्ड के ट्रेडेड फंड यानी गोल्ड ईटीएफ खूब पसंद आ रहे हैं.
क्या है गोल्ड ईटीएफ-पेपर गोल्ड में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका गोल्ड ईटीएफ खरीदना है. यह एक ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड होता है, जो सोने की गिरते चढ़ते भावों पर आधारित होता है. ईटीएफ बहुत अधिक कॉस्ट-इफेक्टिव क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है? होता है. एक गोल्ड ईटीएफ यूनिट का मतलब है कि 1 ग्राम सोना. वह भी पूरी तरह से प्योर. यह गोल्ड में इन्वेस्टमेंट के साथ स्टॉक में इन्वेस्टमेंट की फ्लेक्सिबिलिटी देता है. गोल्ड ईटीएफ की खरीद और बिक्री शेयर की ही तरह बीएसई और एनएसई पर की जा सकती है.
लोग खूब कर रहे निवेश-म्यूचुअल फंड उद्योगों के संगठन क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है? एंफी के आंकड़े बताते हैं कि निवेशकों ने नवंबर में गोल्ड ईटीएफ के अंदर 683 करोड़ रुपये का निवेश किया. अक्टूबर की तुलना में यह निवेश दोगुने से भी ज्यादा है, निवेशकों ने अक्टूबर में गोल्ड ईटीएफ के अंदर 303 करोड़ व सितंबर में 446 करोड़ रुपये का निवेश किया था. विशेषज्ञों की मानें तो, कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का कारण बनता जा रहा है. इससे शेयर बाजारों में फिर से अस्थिरता का माहौल है, यही वजह है कि सुरक्षित निवेश के लिए निवेशक गोल्ड ईटीएफ में पैसा लगाने लगे हैं.
हालांकि नवंबर में सोने का भाव भी कम हुआ था और साथ में निवेश के लिए यह एक सस्ता विकल्प भी है, यही वजह है कि नवंबर में गोल्ड ईटीएफ में लोगों ने पैसा लगाया है. इस साल नवंबर तक गोल्ड ईटीएफ में निवेशक 4500 करोड़ रुपए का निवेश कर चुके हैं.
क्या क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है? कहते हैं एंफी के आंकड़े-एंफी के आंकड़े बताते हैं कि गोल्ड ईटीएफ के नए निवेशकों की संख्या नवम्बर में 10 प्रतिशत बढ़कर 29.29 लाख हो गई है. अक्टूबर में यह आंकड़ा 26.6 लाख था. गोल्ड ईटीएफ पेपर गोल्ड में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका है. यह एक ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड होता है, जो सोने के गिरते-चढ़ते भावों पर आधारित होता है.
म्यूचुअल फंड में पैसे लगाते समय न करें ये गलतियां, फायदे की जगह हो जाएगा नुकसान
आम निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड निवेश का आसान और बेहतर जरिया है, लेकिन इसमें पैसे लगाते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
म्यूचुअल फंड्स में निवेश पर नुकसान से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
Avoidable Mistakes While Investing in Mutual Funds: म्यूचुअल फंड्स को आम निवेशकों के लिए कम जोखिम में बेहतर रिटर्न हासिल करने का लोकप्रिय जरिया माना जाता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप म्यूचुअल फंड में आंखें बंद करके पैसे लगा सकते हैं. निवेश कहीं भी करना हो, कोई भी फैसला पूरी सावधानी और जांच-परख करने के बाद ही करना चाहिए. म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते समय भी इन बातों पर गौर करना जरूरी है, वरना फायदे की जगह नुकसान हो सकता है.
आपके निवेश का मकसद क्या है?
निवेश से जुड़े किसी भी फैसले से पहले अपने आप से एक सवाल जरूर करें. सवाल ये कि आपके इस निवेश का लक्ष्य या खास मकसद क्या है? अगर आप इस बारे में सोचे बिना निवेश करेंगे तो ऐसे विकल्पों में पैसे लगा सकते हैं, जो आपकी जरूरत के हिसाब से सही नहीं हैं. मिसाल के तौर पर अगर आपको दो साल बाद अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए या फिर नई कार खरीदने के लिए 2 लाख रुपयों की जरूरत पड़ने वाली है, तो आप उसी हिसाब से हर महीने रिकरिंग डिपॉजिट में पैसे जमा करने के बारे में सोच सकते हैं. या फिर किसी ऐसे एफडी में निवेश कर सकते हैं, क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है? जिसकी मैच्योरिटी आपकी जरूरत से मेल खाती हो. अगर आपने इस बारे में सोचे बिना इक्विटी म्यूचुअल फंड में पैसे लगा दिए, तो हो सकता है दो साल बाद आपको बाजार की उथल-पुथल के कारण अपनी मनचाही रकम न मिल पाए.
Bharat Bond ETF: ‘AAA’ रेटिंग वाली PSU कंपनियों में पैसा लगाने का मौका, सरकार ने पेश किया भारत बांड ईटीएफ
Investors Alert: म्यूचुअल फंड निवेशक रहें अलर्ट, रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बना रहा शेयर बाजार, SIP स्ट्रैटेजी में करें ये बदलाव
PM आवास: लाभार्थी के खाते में कैसे ट्रांसफर होती है सब्सिडी? EWS/LIG/MIG घर खरीदने पर 2.67 लाख तक छूट
इसी तरह अगर आपको 10-15 या 20 साल बाद होने वाले रिटायरमेंट के लिए निवेश करना है, तो डिविडेंड ऑप्शन वाला म्यूचुअल क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है? फंड आपके लिए गलत विकल्प साबित हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आपने म्यूचुअल फंड से डिविडेंड के रूप में मिलने वाली रकम को नियमित रूप से दोबारा निवेश नहीं किया, तो लॉन्ग टर्म निवेश के बावजूद आपको कंपाउंडिंग का लाभ नहीं मिलेगा. साथ ही इक्विटी फंड्स पर लागू होने वाला डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स भी आपके निवेश में सेंध लगाता रहेगा. अगर आपको रिटायरमेंट के लिए लॉन्ग टर्म निवेश करना है, तो म्यूचुअल फंड के डिविडेंड ऑप्शन की जगह ग्रोथ ऑप्शन बेहतर रहेगा
बाजार की चाल का अंदाजा लगाने के चक्कर में न पड़ें
आम निवेशकों को लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट से जुड़े फैसले करते समय बाजार की चाल का सटीक अंदाजा लगाने के चक्कर में ज्यादा नहीं पड़ना चाहिए. बल्कि सही म्यूचुअल फंड का चुनाव करने के बाद उसमें नियमित निवेश पर ध्यान देना चाहिए. सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) इसका सबसे बेहतर तरीका है. इससे न सिर्फ नियमित निवेश का लाभ मिलता है, बल्कि बाजार के उतार-चढ़ावों के बीच संतुलित रिटर्न पाने में भी मदद मिलती है. ऐसा करने की जगह अगर आप बाजार के तलहटी पर पहुंचने पर निवेश करने और फिर पीक पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाने का ख्वाब देखेंगे, तो कामयाबी मिलने की गुंजाइश बहुत ही कम रहेगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि बाजार कब अपने सबसे निचले स्तर पर है और कब पीक पर, ये पक्के तौर पर किसी को पता नहीं होता. इसीलिए कहा जाता है कि लगातार नियमित रूप से निवेश करना और अपनी पूंजी को बढ़ने के लिए पूरा टाइम देना, बाजार की सही टाइमिंग से ज्यादा जरूरी है.
सिर्फ पिछले रिटर्न के आधार पर न करें फैसला
बहुत से निवेशक म्यूचुअल फंड का चुनाव सिर्फ उसके पुराने रिटर्न को देखकर करते हैं. जिस फंड का पुराना रिटर्न सबसे ज्यादा होता है, उसी में पैसे लगा देते हैं. लेकिन ऐसा करना हमेशा सही नहीं हो सकता. ब्याज दरों के रुझान से लेकर किसी इंडस्ट्री से जुड़े बदलावों और देश-दुनिया के मैक्रो इकनॉमिक डेटा तक कई ऐसे फैक्टर होते हैं, जो म्यूचुअल फंड्स के प्रदर्शन पर असर डालते हैं. यही वजह है कि पिछले वर्षों के बेहतर प्रदर्शन को आने वाले दिनों के बेहतर रिटर्न की गारंटी नहीं माना जा सकता.
बहुत ज्यादा स्कीम्स में निवेश करना सही नहीं
कई निवेशकों को लगता है कि अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने के लिए एक साथ बहुत सारे म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना जरूरी है. हमें ये बात याद रखनी चाहिए कि दरअसल हर म्यूचुअल फंड स्कीम अपने आपमें एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो है, जिसमें अलग-अलग तरह के इंस्ट्रूमेंट्स शामिल रहते हैं. बहुत ज्यादा स्कीम्स में निवेश करने पर आपके लिए उन्हें अच्छी तरह समझना और ट्रैक करना मुश्किल हो सकता. बेहतर यही होगा कि अच्छी तरह जांच-परख करके दो-तीन अच्छी म्यूचुअल फंड स्कीम्स को चुनें और उनमें नियमित रूप से निवेश करते रहें.
स्कीम से जुड़े रिस्क की अनदेखी न करें
सीधे इक्विटी में निवेश करने के मुकाबले म्यूचुअल फंड में निवेश करना आम तौर पर कम जोखिम वाला होता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि सभी म्यूचुअल फंड में एक बराबर रिस्क होता है. जिस तरह डेट फंड के मुकाबले इक्विटी फंड में ज्यादा रिस्क होता है, उसी तरह अलग-अलग इक्विटी फंड में जोखिम की आशंका भी अलग-अलग होती है. इसलिए सही स्कीम का चुनाव करते समय जोखिम उठाने की अपनी क्षमता यानी रिस्क प्रोफाइल को भी जरूर ध्यान में रखें. बाजार में तेजी के दौर में कई बार ऐसे निवेशक भी ज्यादा रिटर्न के लालच में इक्विटी फंड की तरफ चले जाते हैं, जिनकी रिस्क लेने की क्षमता बेहद कम है. इसी तरह ब्लूचिप फंड्स या लार्ज कैप फंड्स के मुकाबले मिड-कैप या स्मॉल कैप फंड्स में जोखिम और भी ज्यादा होता है. इसीलिए निवेश का फैसला करते समय जोखिम उठाने की अपनी क्षमता को कभी न भूलें.
पूरी रकम एक साथ न लगाएं
निवेशकों को म्यूचुअल फंड में अपनी पूरी रकम एक साथ लगाने से बचना चाहिए. अगर आपके पास निवेश के लिए एक साथ मोटी रकम मौजूद है, तो भी उसे धीरे-धीरे करके निवेश करना बेहतर रहता है. आप इसके लिए सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) की मदद ले सकते हैं. एसटीपी भी एसआईपी की तरह ही काम करता है, जिसमें आपकी रकम का कुछ हिस्सा हर महीने आपकी बताई स्कीम में निवेश किया जा सकता है. इससे आपके निवेश को बाजार की तेज उथल-पुथल के असर से बचाने में मदद मिलती है.
समय-समय पर रिव्यू करना न भूलें
म्यूचुअल फंड्स दरअसल अलग-अलग तरह के एसेट क्लास में निवेश करने का जरिया हैं. इनके माध्यम से आप गोल्ड, इक्विटी, बॉन्ड जैसे अलग-अलग विकल्पों में पैसे लगाते हैं. लेकिन निवेश करने के बाद उसे पूरी तरह भूल न जाएं. अपने फंड्स को लगातार ट्रैक करते रहें और बीच-बीच में उनके प्रदर्शन की समीक्षा भी करते रहें. अगर कोई स्कीम बाजार की तुलना में लगातार कम रिटर्न दे रही है, तो आप उसकी जगह किसी बेहतर स्कीम में निवेश का फैसला भी कर सकते हैं. अगर आपने ऐसा नहीं किया, तो लंबे समय में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
सोने में पैसा लगाकर की जा सकती है कमाई, ये है निवेश का सबसे बेहतरीन तरीका
जानकारों का मानना है कि सोने की कीमतों में तेजी जारी रहेगी. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि पोर्टफोलियो में सोने को शामिल किया जा सकता है. हालांकि, बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं.
सोने में निवेश करने वालों निवेशकों को पिछले दो महीने में शानदार रिटर्न मिला है.
महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus pandemic) की वजह से सोने की कीमतों को बड़ा सपोर्ट मिला है. ग्लोबल इकोनॉमी पर Covid-19 का असर दिख रहा है. इसलिए जानकारों का मानना है कि सोने की कीमतों में तेजी जारी रहेगी. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि पोर्टफोलियो में सोने को शामिल किया जा सकता है. हालांकि, बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं. दुनियाभर के बाजार निगेटिव रिटर्न दे रहे हैं. लेकिन, सोना अपने रिकॉर्ड हाई पर है. सोने की कीमतें इस वक्त 46 हजार के पार हैं.
सोने में निवेश करने वालों निवेशकों को पिछले दो महीने में शानदार रिटर्न मिला है. जानकार मान रहे हैं कि सोने में आई तेजी लंबे वक्त के लिए नहीं है. लेकिन, फिर भी सोने में निवेश का यह बेहतरीन समय है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह बेहतर रिटर्न देने वाला निवेश साबित होगा. ऐसे में गोल्ड ईटीएफ के जरिए पैसे को सुरक्षित रखने की कोशिश करें. पिछले एक साल में गोल्ड ईटीएफ का प्रदर्शन अच्छा रहा है. ऐसे में सही वक्त है सोने में पैसा लगाकर आप अच्छी कमाई कर सकते हैं.
क्या है गोल्ड ईटीएफ?
गोल्ड ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) म्यूचुअल फंड का ही एक प्रकार है, जो सोने में निवेश करता है. इस म्यूचुअल फंड योजना की यूनिट स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती हैं. गोल्ड ईटीएफ पैसिव तरीके से प्रबंधित किए जाने वाले ऐसे फंड होते हैं, जिनका उद्देश्य स्पॉट बाजार में फिजिकल गोल्ड से मिलने वाले रिटर्न के समान रिटर्न देना होता है.
कैसे करें गोल्ड ईटीएफ में निवेश?
गोल्ड ईटीएफ में निवेश के लिए कम से कम एक यूनिट खरीदनी पड़ती है. ये यूनिट एक ग्राम की होती है. हालांकि, क्वांटम म्यूचुअल फंड आधे ग्राम सोने की यूनिट भी उपलब्ध कराता है. कोई भी निवेशक अपने ट्रेडिंग खाते के जरिए स्टॉक एक्सचेंज से गोल्ड ईटीएफ खरीद सकता है. खरीद के बाद गोल्ड ईटीएफ की यूनिट निवेशक के डीमैट खाते में जमा हो जाती है. ट्रेडिंग खाते के जरिए ही इसे बेचा भी जा सकता है.
कितने गोल्ड ईटीएफ हैं उपलब्ध?
गोल्ड ईटीएफ में निवेश के कई फायदे हैं. क्योंकि, गोल्ड ईटीएफ निवेशक के खाते में यूनिट के तौर पर दर्ज होता है. ऐसे में निवेशक को ऐसी कोई भी समस्या नहीं होती जो फिजिकल गोल्ड से संबंधित होती हैं. गोल्ड ईटीएफ में आधे ग्राम की यूनिट भी उपलब्ध है, ऐसे में कम पूंजी वाले भी इसमें निवेश कर सकते हैं. वैल्यू रिसर्च के रिसर्च डाटा के मुताबिक, गोल्ड का इक्विटी से निगेटिव रिलेशनशिप है. यही वजह है कि गिरते स्टॉक मार्केट के बावजूद सोने में लगातार तेजी देखने को मिली है.
लंबी अवधि में और ऊपर जाएगी कीमतें
एजेंल ब्रोकिंग के कमोडिटी और करेंसी सेगमेंट के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता के मुताबिक, अगले एक महीने में सोने के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में $1,780 के स्तर तक जा सकता है. वहीं अगर लंबी अवधि के लिए लक्ष्य लेकर चलें तो सोने के दाम $2,200 के स्तर तक जा सकते हैं. गुप्ता के मुताबिक MCX पर सोने के दाम 50,000 रुपए के करीब पहुंच रहा है. लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 1,800 प्रति औंस से ज्यादा रहती हैं, तो लंबी अवधि के MCX में सोने की कीमत का लक्ष्य 58,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है.
ज़ी बिज़नेस LIVE TV यहां देखें
क्या हो रणनीति?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मौजूदा स्तरों से सोने में थोड़ी-थोड़ी खरीदारी की जा सकती है. आप हर महीने गोल्ड ईटीएफ का यूनिट खरीद सकते हैं. अगर आप आधे ग्राम की यूनिट खरीदना चाहें, तो यह अभी मिल सकती है. आप हर महीने कम से कम एक यूनिट की खरीदारी से शुरुआत कर सकते हैं. हर महीने थोड़ा-थोड़ा सोना खरीदने की इस रणनीति के जरिए जहां एक तरफ सोने में आपका एक्सपोजर बढ़ेगा, वहीं भविष्य के लिए पूंजी भी तैयार होगी.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 174