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एमएसपी का संदेश- किसान परंपरागत फसल चक्र से निकले, विविधीकरण की दिशा में आगे बढ़ें
देश के वैसे कुछ हिस्सों में भी धान की खेती की जाने लगी है जहां पानी का संकट बढ़ रहा है और उसके अंधाधुंध दोहन के चलते भूजल का स्तर नीचे जा रहा है। इसलिए किसानों को परंपरागत फसल चक्र से निकल फसल विविधीकरण की दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए।
केंद्रीय कैबिनेट ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी(MSP) की घोषणा कर देश के किसानों को यही संदेश दिया है कि वे परंपरागत फसल चक्र से निकल कर फसल विविधीकरण की दिशा में आगे बढ़ें और उन फसलों को प्राथमिकता के आधार पर उगाएं, जिनकी देश में कमी हो जाती है। वास्तव में इसी कारण जहां धान, बाजरा, मक्का जैसी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य अपेक्षाकृत कम रखे गए हैं, वहीं दलहन और तिलहन के मूल्यों में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। ऐसा करना समय की मांग थी, क्योंकि देश को दलहन और तिलहन के मामले में आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक हो गया है।
पोर्टफोलियो की क्षमता और विचार
नए रिश्तों को खोजने और उनके महत्व का परीक्षण करने के लिए टेराबाइट्स के ट्रेडिंग डेटा का मैन्युअल रूप से विश्लेषण करना निषेधात्मक रूप से महंगा होगा। इस तरह, AI पारंपरिक तरीकों की तुलना में स्पष्ट रूप से अधिक कुशल है। एल्गोरिदम को नियमित रूप से अपडेट करने, नए डेटा स्रोत खोजने और परिणामों का विश्लेषण करने से खुदरा निवेशकों के लिए समय की बचत होती है।
पोर्टफोलियो की शुद्धता
अधिकांश भाग के लिए, मनुष्य एआई-आधारित प्रणालियों की तुलना में अधिक गलतियाँ करते हैं। जीत के बाद सहज आशावाद, या हार के बाद पछतावे का पछतावा, एल्गोरिदम से अनुपस्थित हैं। स्वचालित निष्पादन भी मानवीय त्रुटि की संभावना को कम करता है। नियम-आधारित सिस्टम कभी छुट्टी नहीं लेते। यह एक अनुभवहीन अस्थायी प्रतिस्थापन नीति को तोड़ने के जोखिम को कम करता है।
एआई उन्नत डेटा एनालिटिक्स निवेश विचारों का समर्थन करने के लिए उपयोग की जाने वाली जानकारी की मात्रा में काफी वृद्धि कर सकता है। एआई घटनाओं को मनुष्यों की तुलना में काफी तेजी से संसाधित कर सकता है और 24/7 काम कर सकता है। कल्पना कीजिए कि एक समय की कमी वाले विश्लेषक के पास एक डैशबोर्ड है जो सभी उपलब्ध रिपोर्टों को सारांशित करता है और समय और प्रतिस्पर्धियों के आय कॉल की तुलना करता है। एआई-सहायता प्राप्त विश्लेषक शायद बेहतर होंगे, बहुत बेहतर!
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मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में कारगर
फसल विविधीकरण मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में भी कारगर है. फसल विविधीकरण से तात्पर्य फसल को बदलकर बोने से हैं. जैसा की लगातार खेत में हर साल एक ही फसल बोने से मिट्टी की उर्वरक शक्ति नष्ट हो जाती है, जिससे फसल की पैदावार भी घटती है और किसानों को मुनाफा भी कम होता है. ऐसे में मिट्टी की सेहत को सुधारने के लिए फसल विविधीकरण अपनाकर कम लागत में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है. अगर मिट्टी की सेहत सुधरती है, तो इससे खेत जल्दी बंजर नहीं होंगे और उस भूमि पर लंबे समय तक खेती किया जा सकेगा.
इससे पर्यावरण में भी सुधार होगा और पानी की बचत भी होगी. फसल विविधीकरण को अपनाने से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी होता है, जैसे कि चावल-गेहूँ की फसलों के साथ फलियाँ लगाना, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के साथ ही वायुमंडलीय नाइट्रोजन की मात्रा भी बढ़ाने में मदद करता है.
मौसमी सब्जियों की खेती से मिलेगा ज्यादा मुनाफा
फसल विविधीकरण में मिश्रित मौसमी सब्जियों की खेती विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है.
Crop Diversification
रबी मक्का - अवसर और चुनौतियाँ
विश्व में मक्का एक महत्वपूर्ण अनाज फसल हैं। मक्का का मानव भोजन और पशु के चारे के अतिरिक्त उद्योग में व्यापक प्रयोग किया जाता है…
फसल विविधीकरण के इन्हीं फायदों को देखते हुए सरकार 2 हेक्टेयर या उससे कम जमीन वाले छोटे किसानों को इसे अपनाने के लिये विविधीकरण के प्रकार प्रोत्साहित कर रही है, ताकि किसान भाई कम जमीन में ही अलग-अलग फसल लगाकर अधिक पैदावार लेकर अपनी आमदनी बढ़ाने का काम कर सकें.
योजना की प्रक्रिया
फसल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय राज्य स्तरीय परियोजना परीक्षण समिति का गठन किया है, जिसका सदस्य सचिव संचालक कृषि होगा। इस योजना में 3 वर्ष तक सहायता देने का प्रावधान भी है।
क्या है फसल विविधीकरण
फसल विविधीकरण से तात्पर्य फसल को बदल कर बोना से हैं। लगातार खेत में हर साल एक ही फसल लेने से मिट्टी की उर्वराशक्ति का नाश होता है। इसी के साथ उर्वरक और पीडकनाशी आदि की दक्षता में भी कमी आ जाती है। जिससे उत्पादन के लिए आदान की आवश्यकता बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप फसल लागत बढ़ जाती है जिससे किसानों को कम लाभ होता है। इसके विपरित फसल विविधीकरण अपनाने से कम लागत मेें अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। साथ ही मिट्टी की सेहत को भी सुधारा जा सकता है।
पारंपरिक धान-गेहूं प्रणाली की जगह किसान विभिन्न फसल प्रणाली विकल्प अपनाकर कम लागत में उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकते है।
- मक्का-सरसों-मूंग
- मक्का -गेहूं
- मक्का-गेहूं-मूंग
- धान-आलू-स्प्रिंग मक्का
- सोयाबीन-गेहूं-मूंग
- अरहर-गेहूं
- अरहर-गेहूं-मूंग
फसल विविधीकरण को अपनाने से होने वाले लाभ
फसल विविधीकरण से किसानों को अनेक लाभ होते हैं। इनमें से जो लाभ प्राप्त होंगे, वे इस प्रकार से हैं-
- परंपरागत प्रणाली के स्थान पर फसल विविधीकरण प्रणाली को अपनाने से कुल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
- फसल विविधीकरण प्रणाली से किसानों की आय बढ़ सकती है।
- फसल विविधीकरण प्रणाली में संसाधनों का उपयुक्त उपयोग होता है।
- भूमि की उर्वरा शक्ति विविधीकरण के प्रकार बढ़ती है इससे इसके उपयोग की क्षमता में बढ़ोतरी होती है। यानि अधिक लंबे समय तक उस भूमि पर खेती की जा सकती है। खेत जल्द बंजर नहीं होते हैं।
- फसल विविधीकरण से रोजगार के अवसरों मेें बढ़ोतरी होगी।
- फसल विविधीकरण प्रणाली के जरिये टिकाऊ कृषि विकास होगा।
- फसल विविधीकरण के प्रकार विविधीकरण से पर्यावरण में सुधार होता है जिससे प्रदूषण की समस्या कम हो होगी।
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न्यूनतम अंक: 1
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